Cultural diplomacy: योग को मिल चुका 46 इस्लामिक देशों का समर्थन
भारतीय योग को संयुक्त राष्ट्रसंघ में दुनिया के 177 देशों का समर्थन मिला। इनमें 46 इस्लामिक देश भी हैं। अमेरिका में ढाई करोड़ लोगों ने इसे स्वीकार किया है।
लखनऊ (जेएनएन)। भारतीय संस्कृति में योग का विराट दर्शन है। यह जीवन में संतुलन की साधना और स्वस्थ जीवन का रहस्य है। योग किसी धर्म से जुड़ा नहीं यह सार्वभौमिक है तभी इसकी मान्यता भारत नहीं दुनिया भर में है। इसका समर्थन करने वालों में बड़ी संख्या में इस्लामिक देश भी हैं। इसी संस्कृति के प्रति जागरूकता के लिए गुरुवार को राजभवन में सामूहिक योगाभ्यास हुआ। इस दिन को पूरी दुनिया ने योग दिवस के रूप में मनाया। इसे अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में प्रतिष्ठित हुए तीन साल बीत चुके हैं। चौथे योग दिवस पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले लोग कहते थे कि योग किसी एक धर्म से जुड़ा है लेकिन अगर एक धर्म से जुड़ा होता तो उसे संयुक्त राष्ट्रसंघ में दुनिया के 177 देशों का समर्थन नहीं मिलता। इनमें 46 इस्लामिक देश थे। योग का महत्व पूरी दुनिया में है और अमेरिका में ढाई करोड़ लोगों ने योग को स्वीकार किया है।
मोदी को कल्चरल डिप्लोमेसी में मान्यता
गुरुवार को राजभवन में सामूहिक योगाभ्यास के प्रतिभागियों को राजनाथ सिंह बतौर मुख्य अतिथि संबोधित थे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक डिप्लोमेसी होती है। मैं मानता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कल्चरल डिप्लोमेसी में अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है। राजनाथ ने कहा कि योग को अन्तर्राष्ट्रीय उत्सव के रूप में पूरी दुनिया में मान्यता मिली है। यह मान्यता मोदी ने दिलाई है। योग का मनुष्य के जीवन से गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि योग का ऋगवेद में उल्लेख मिलता है। पतंजलि योग सूत्र में इसकी व्याख्या है। उन्होंने कहा कि योग के रूप में अधिकृत रूप से मुख्यमंत्री योगी ही बता सकते हैं।
राज्यपाल की अच्छी सेहत का राज
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि भारतीय संस्कृति की अनेक विशेषता है। साहित्य, कला और योग इस श्रेणी में हैं। योग से स्वास्थ्य बेहतर होता है। अब योग का विराट दर्शन है। शरीर के लिए यह अत्यंत उपयुक्त है। उन्होंने 84 वर्ष की उम्र में अपनी अच्छी सेहत का राज बताया। नाईक ने कहा कि स्कूल में 11 वर्ष तक लगातार सूर्य नमस्कार करने के बाद भी मेरी सेहत अच्छी क्यों न रहे। अब भागदौड़ की जिंदगी में योग बहुत जरूरी है। उन्होंने जीवन का शाश्वत सत्य चरैवेति-चरैवेति बताया। कहा कि जो बैठा है, उसका भाग्य बैठा है। जो सोया है उसका भाग्य सोया है। जो खड़ा है उसका भाग्य खड़ा है लेकिन जो चलता रहता है उसका भाग्य भी चलता रहता है। इसके लिए उन्होंने सूर्य का उदाहरण दिया।
योग के अन्त:करण में अध्यात्म
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के कारण ही दुनिया में योग को मान्यता मिली। यह भारत के लिए गौरव का क्षण है। योग व्यापक शब्दावली है और इसके अन्त:करण में भारत का अध्यात्म है। जीवन में संतुलन साधना ही योग है। हजारों वर्षों की खोज के बाद भारत ने आसन इजाद किया। दवा पर खर्च होने वाला बजट का बड़ा हिस्सा योग के जरिये बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संतुलन ही योग है। प्रधानमंत्री के योग के आह्वान से जुडऩे का अनुरोध करते हुए कहा कि आप प्राणायाम करेंगे तो पाएंगे कि आपके अंदर नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा व मुख्य सचिव राजीव कुमार भी मौजूद थे। संचालन दूरदर्शन के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी आत्मप्रकाश मिश्र ने किया।