अनुदानित कालेजों के 400 मानदेय शिक्षकों को पक्की नौकरी
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। अनुदानित कालेजों में मानदेय पर तैनात लगभग 400 शिक्षकों को स्थाई नौकरी मिल
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। अनुदानित कालेजों में मानदेय पर तैनात लगभग 400 शिक्षकों को स्थाई नौकरी मिलने का रास्ता साफ हो गया है। यह बात और है कि पक्की नौकरी पाने को बेताब शिक्षकों को एक लिपिकीय त्रुटि ने साढ़े सात साल इंतजार कराया। बहरहाल सरकार ने इस गलती को दूर करते हुए उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (संशोधन) अध्यादेश 2014 के प्रारूप को कैबिनेट से बाई सर्कुलेशन पारित कराया, जिस पर राज्यपाल बीएल जोशी ने भी मुहर लगा दी है।
अनुदानित कालेजों के प्रवक्ताओं का चयन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग करता है। इन कालेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सात अप्रैल 1998 को जारी शासनादेश के तहत प्रवक्ता की शैक्षिक योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को मानदेय पर अध्यापक तैनात किया जाने लगा। शासनादेश में कहा गया था कि मानदेय शिक्षकों की नियुक्ति का हर साल नवीनीकरण होगा और आयोग से प्रवक्ताओं का चयन होने पर उन्हें हटना पड़ेगा। इस बीच मानदेय शिक्षक अपने आमेलन (नियमितीकरण) की मांग करने लगे। दिसंबर 2006 में मुलायम सरकार ने उनके नियमितीकरण के लिए उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में तीसरा संशोधन कर धारा 31(ई) जोड़ी थी। इसमें गलती से यह लिख दिया गया कि मानदेय शिक्षकों को प्रवक्ताओं के उन्हीं पदों पर समायोजित किया जा सकेगा जिन्हें नियमानुसार भरा नहीं जा सकता है। बाद में परीक्षण करने पर पाया गया कि ऐसा कोई पद नहीं जिसे भरा नहीं जा सकता है। इसकी जगह होना यह चाहिए था कि प्रवक्ताओं को उन्हीं पदों पर समायोजित किया जा सकेगा जिन्हें नियमानुसार भरा नहीं जा सका है।
बहरहाल इस गलती को सुधारने में सरकार को साढ़े सात साल लग गए और अब जाकर मानदेय शिक्षकों के नियमितीकरण की रास्ता खुल गया है। नियमितीकरण का लाभ 2006 तक तीन शैक्षिक सत्रों में अपनी सेवाएं देने वाले मानदेय शिक्षकों को ही मिलेगा। उप्र विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के महामंत्री डा.हरेंद्र कुमार राय ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।
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