निकाय चुनावः अंतिम अधिसूचना में कुछ वार्डों का बदला आरक्षण
आपत्तियां आने पर जिलाधिकारी ने गलती पकड़ी और वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े दर्ज किए गए। इससे वार्डों का प्रस्तावित आरक्षण बदल गया।
लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश में 653 नगर निकायों के 12007 वार्डों में से 40-42 वार्डों के आरक्षण में गड़बड़ी मिली है। सबसे बड़ी गड़बड़ इटावा नगर पालिका परिषद में हुई। यहां पर अनुसूचित जाति (एससी) की जनसंख्या वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार दर्ज हो गई। इससे यहां के वार्डों का आरक्षण गड़बड़ा गया। आपत्तियां आने के बाद जिलाधिकारी ने गलती पकड़ी और वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े दर्ज किए गए। इससे यहां के पांच वार्डों का प्रस्तावित आरक्षण बदल गया।
नगर विकास विभाग गुरुवार देर रात तक निकायों के वार्डों के आरक्षण को अंतिम रूप देने में जुटा रहा। अंबेडकरनगर नगर पालिका परिषद में वार्डों के आरक्षण में ओबीसी की जनसंख्या ही गलत दर्ज हो गई। यहां पर रैपिड सर्वे के आंकड़े दर्ज करने में गलती हुई। इस कारण यहां के वार्डों में भी ओबीसी के आरक्षण का गणित बिगड़ गया। यहां के डीएम को इसकी जानकारी तब हुई जब लोगों ने अनंतिम आरक्षण पर आपत्तियां दर्ज कीं। सरकार ने अंबेडकरनगर नगर पालिका में भी करीब आधा दर्जन वार्डों के आरक्षण में फेरबदल किया।
इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों की नगर निकायों के एक-एक दो-दो वार्डों के आरक्षण में बदलाव हुआ है। नगर विकास विभाग के अफसरों के अनुसार आरक्षण में यह बदलाव कंप्यूटर में गलत आंकड़े दर्ज हो जाने के कारण हुआ है। अफसर ज्यादातर में मानवीय भूल ही मान रहे हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि देर रात तक सभी निकायों के आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी जाएंगी।
महापौर-अध्यक्षों का आरक्षण यथावत
16 नगर निगम के महापौर और 199 नगर पालिका परिषद व 438 नगर पंचायत के अध्यक्ष पर के प्रस्तावित आरक्षण में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। वैसे तो प्रस्तावित आरक्षण पर 12 सौ से अधिक आपत्तियां दर्ज कराई गई थी लेकिन परीक्षण में एक भी ऐसी नहीं मिली जिससे प्रस्तावित आरक्षण में किसी तरह का बदलाव हुआ हो।