खबर का असर: अब रात में ड्यूटी करेंगे सीनियर, स्त्री रोग-न्यूरो सर्जन भी रहेंगे मौजूद
ट्रामा सेंटर में 25 डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर जारी, रोज एक फैकल्टी मेंबर रहेगा मौजूद।
लखनऊ[जागरण संवाददाता]। ट्रामा सेंटर में अब सीनियर डॉक्टर भी मौजूद रहेंगे। ऐसे में वह जूनियर के कार्यो की निगरानी के साथ-साथ गंभीर मरीजों के इलाज में भी मदद करेंगे। शुक्रवार को सीनियर डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर केजीएमयू प्रशासन ने जारी कर दिया है। दरअसल, ट्रामा सेंटर की इमरजेंसी सेवाएं जूनियर चिकित्सकों के भरोसे थीं। वहीं सीनियर ड्यूटी से बेपरवाह खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस में मशगूल हैं। ऐसे में इलाज में जमकर हो रही लापरवाही से आए दिन मरीजों की जान जा रही थी। लिहाजा दैनिक जागरण ने शुक्रवार के अंक में 'जूनियर के भरोसे सेवाएं, सीनियर प्राइवेट प्रैक्टिस पर' शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की। साथ ही विभिन्न विभाग के डॉक्टरों द्वारा शहर में चलाए जा रहे अस्पताल व क्लीनिकों का भी क्षेत्रवार हवाला दिया। ऐसे में सीनियर डॉक्टरों को दी जा रही छूट को लेकर केजीएमयू प्रशासन पर सवाल खड़े किए गए। दोपहर में ही कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने ट्रामा सेंटर में सीनियर्स की ड्यूटी लगाने का निर्देश जारी कर दिया। सीएमएस डॉ. एसएन शखवार ने पत्रकार वार्ता में सीनियर डॉक्टर का ड्यूटी रोस्टर जारी किया। इसमें कुल 25 डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। यह रोस्टर शनिवार से लागू होगा। स्त्री रोग व न्यूरो सर्जन रहेंगे मौजूद
एनेस्थीसिया के डॉ. तनमय, डॉ. प्रेमनाथ सिंह, क्रिटिकल केयर के डॉ. अविनाश अग्रवाल, डॉ. अरमीन, डॉ. सुलेखा, डॉ. सैय्यद नबील, डॉ. सुहैल, ईएनटी के डॉ. मनीष चंद्रा, डॉ. अभिषेक बहादुर, मेडिसिन के डॉ. हरीश गुप्ता, न्यूरो सर्जरी के डॉ. अंकुर बजाज, डॉ. अवधेश कुमार यादव, स्त्री एवं प्रसूति रोग की डॉ. मोनिका, डॉ. नम्रता, आथरेपेडिक सर्जरी के डॉ. देवर्षि, डॉ. सोमेन, डॉ. विकास, डॉ. अर्पित, डॉ. संजीव, डॉ. मयंक महेंद्रा, पैथोलॉजी के डॉ.संजय मिश्र, डॉ.शालिनी भल्ला, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी की डॉ. अमिया अग्रवाल, डॉ. अरुणोश तिवारी व ट्रामा सर्जरी के डॉ. नरेंद्र कुमार का ड्यूटी रोस्टर में नाम शामिल किया गया है।
निजी प्रैक्टिस पर बोलती बंद
कुछ डॉक्टरों की रात में ड्यूटी लगाकर केजीएमयू प्रशासन ने इमरजेंसी सेवा सुधारने की ओर तो कदम बढ़ाया। मगर प्राइवेट प्रैक्टिस पर अभी मौन साध रखा है। लिहाजा, शहर में खुलेआम प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों की क्लीनिक व उनका अस्पतालों में धड़ल्ले से विजिट जारी रहेगा। पत्रकार वार्ता में जब प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने के बारे में पूछा गया तो जिम्मेदारों की बोलती बंद हो गई। उन्होंने कहा, भैया ज्वलंत मुद्दे न उठाएं। इन विभागों की है इमरजेंसी सेवा
ट्रामा सेंटर में पीडियाटिक्स, ट्रामा सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, इमरजेंसी मेडिसिन, पल्मोनरी क्रिटिकल केयर, क्रिटिकल केयर मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, आर्थोपेडिक सर्जरी, जनरल सर्जरी, ओरल एंड मैक्सिलो फेशियल सर्जरी के वार्ड हैं। इसके अलावा प्लास्टिक सर्जरी, ईएनटी, न्यूरोलॉजी, सीटीवीएस की सेवाएं ऑनकॉल रहती हैं।
रात नौ से सुबह नौ बजे तक की ड्यूटी
सीएमएस डॉ. शखवार ने बताया कि ट्रामा सेंटर में दिन में सीनियर राउंड करते हैं। इसके अलावा सीएमएस, एमएस व ट्रामा इंचार्ज मौजूद रहते हैं। ऐसे में लापरवाही की संभावना कम रहती है। वहीं रोस्टर में शामिल किए गए डॉक्टरों की ड्यूटी रात नौ बजे से सुबह नौ बजे तक की रहेगी। सीयूजी नंबर भी होगा जारी
ट्रामा सेंटर इंचार्ज डॉ. संदीप तिवारी के मुताबिक रात में ड्यूटी पर तैनात रहने वाले डॉक्टर को एक सीयूजी नंबर मुहैया कराया जाएगा। इसके अलावा डॉक्टर कैजुअल्टी से लेकर वार्ड तक नजर रखेंगे। कहीं भी समस्या होने पर यह डॉक्टर तुरंत हैंडिल करेंगे।
बर्न यूनिट के लिए अभी करना होगा इंतजार
केजीएमयू में बर्न यूनिट रन होने में अभी वक्त है। कारण, यूनिट के संचालन के लिए स्टाफ का अभाव होना है। वहीं वार्ड, ओटी के निर्माण संबंधी कार्य पूरा हो गया है। दरअसल, कुलपति ने हाल में ही कार्यकाल के एक वर्ष पूरा होने पर पत्रकारवार्ता की थी। इसमें मई में हर हाल में बर्न यूनिट संचालन का दावा किया गया था। वहीं शासन द्वारा स्टाफ मिलने में देरी होने पर खुद के संसाधन से यूनिट चलाने की बात कही थी। शुक्रवार को प्लास्टिक सर्जरी विभाग के 42वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर विभागाध्यक्ष डॉ. एके सिंह ने मई में यूनिट रन होने पर असमंजस जताया। उन्होंने कहा कि स्टाफ न मिलने तक आधे-अधूरे स्टाफ के साथ बर्न यूनिट संचालन करना उचित नहीं है। डॉ. एके सिंह ने कहा कि कुल 25 बेड की बर्न यूनिट है। इसमें आठ बेड का आइसीयू, आठ बेड का पोस्ट आइसीयू व चार ओटी हैं। यूनिट का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। इसका करीब नौ करोड़ रुपये बजट मिला था। शनिवार को विभाग में 16वा डॉ. आरएन शर्मा व्याख्यान होगा। चार महीने से कटी नस को जोड़ा
स्थापना दिवस से पूर्व डॉ. एके सिंह व चेन्नई के डॉ. आरएन शर्मा ने मरीजों का ऑपरेशन किया। इस दौरान 22 वर्षीय युवक की चार माह पहले हाथ की कटी नस को जोड़ा। नस कटी होने से युवक का हाथ काम नहीं कर रहा था। वह अपंगता का शिकार हो गया था। डॉक्टरों का दावा है कि कुछ महीनों में युवक का हाथ काम करने लगेगा। इसके अलावा 12 वर्षीय बच्चे का पहले फ्रैक्चर हुआ था। इसमें प्लास्टर चढ़ाने से हड्डी गलत फिक्स हो गई। उसके हाथ की अंगुलिया मुट्ठीनुमा हो गईं। चिकित्सकों ने सिकुड़ी नसों को खोलकर अंगुलिया सही कीं। इसके अलावा एक बच्चे की पैदायशी अंगुली टेढ़ी हो गई थी, जिसे काटकर सीधा किया।