लखनऊ: सड़क हादसों में 24 फीसद युवाओं की होती है हर साल मौत, दो पहिया वाहनों से सबसे ज्यादा Accident
नेशनल हार्इ-वे से लेकर शहर के मुख्य मार्ग और लिंक रोड पर हुए सड़क हादसों में इस साल भी सबसे अधिक युवाओं की ही मौत हुई है। प्रति वर्ष सड़क हादसों में करीब 24 फीसद युवाओं की मौत होती है।
लखनऊ [सौरभ शुक्ला]। नेशनल हाई-वे से लेकर शहर के मुख्य मार्ग और लिंक रोड पर हुए सड़क हादसों में इस साल भी सबसे अधिक युवाओं की ही मौत हुई है। प्रति वर्ष सड़क हादसों में करीब 24 फीसद युवाओं की मौत होती है। इसमें सबसे अधिक 16 से 25 आयु वर्ग के लोग होते हैं। क्योंकि इस उम्र के युवा सबसे जोशीले होते हैं और सर्वाधिक तेज रफ्तार से वाहन चलाते हैं। अधिक रफ्तार के कारण ही इनकी मौत होती है। इसमें से सबसे अधिक मौते दोपहिया वाहन चालकों की होती हैं। क्योंकि यह सबसे तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं। इसके अलावा यह लोग हेलमेट भी कम पहनते हैं।
इस उम्र के करीब 15-20 फीसद युवा होते हैं अनट्रेंड
रोड सेफ्टी एक्सपर्ट सैय्यद एहतेशाम बताते हैं कि 16-25 आयु वर्ग के युवाओं में जो युवा कार अथवा दो पहिया वाहन चलाते हैं। उसमें से करीब 15-20 फीसद अनट्रेंड होते हैं। उन्हें मानक के अनुरूप वाहन चलाना नहीं आता है। अथवा यूं कह लें कि इनमें से अधिकतर के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं होता है। खासकर 16 से 20 आयु वर्ग के स्कूल में पढ़ने वाले युवाओं के पास डीएल नहीं होते हैं। ऐसे में मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार 16 से 18 आयु वर्ग के युवाओं को 50 सीसी की सिर्फ अनगियर मोपेड चलाने की अनुमति है। इन्हें गियर वाली और 50 सीसी से अधिक की गाड़ी नहीं चलानी चाहिए।
गत वर्ष से हादसों में आयी कमी पर युवाओं की मौत में नहीं
गत वर्ष 2019 से इस वर्ष हादसों में करीब 9.56 फीसद की कमी आयी है पर युवाओं की मौतों में नहीं। गत वर्ष राजधानी में 1683 हादसे हुए। जिसमें से 922 लोग घायल हुए और 573 की मौत हुई। 2020 जनवरी से 15 नवंबर तक 808 सड़क हादसे हुए जिसमें 479 लोग घायल हुए और 304 की मौत हुई। इसमें से सबसे अधिक करीब 24 फीसद लोग 16 से 25 आयु वर्ग के थे।
स्कूलों को करेंगे टारगेट, युवाओं को करेंगे जागरूक
डीसीपी ट्रैफिक ख्याति गर्ग ने बताया कि सड़क हादसों में सर्वाधिक मौत युवाओं की होती है। क्योंकि वह आड़े-तिरछे कट मारते हुए काफी तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं। हादसों में युवाओं की मौत को कम करने के लिए सर्वाधिक जागरूकता कार्यक्रम स्कूलों में चलाए जाएंगे। जिसमें सबसे अधिक युवाओं को जोड़ा जाएगा। इस तरह हादसों को कम करने का लक्ष्य बनाया गया है। जल्द ही अभियान की शुरूआत की जाएगी।