Move to Jagran APP

UP Assembly Election 2022: महंगी बिजली को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की जुगत, जानें- क्या है हकीकत

UP Assembly Election 2022 उत्तर प्रदेश में मुफ्त और सस्ती बिजली देने का वादा कर राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को रिझाने में जुट गईं हैं। हालांकि वादों को हकीकत में बदलना न बिजली कंपनियों के लिए और न ही सरकार के लिए आसान होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 03:47 PM (IST)
UP Assembly Election 2022: महंगी बिजली को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की जुगत, जानें- क्या है हकीकत
उत्तर प्रदेश में मुफ्त और सस्ती बिजली देने का वादा कर राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को रिझाने में जुट गईं हैं।

लखनऊ [अजय जायसवाल]। UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में मुफ्त और सस्ती बिजली देने का वादा कर राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को रिझाने में जुट गईं हैं। हालांकि वादों को हकीकत में बदलना न बिजली कंपनियों के लिए और न ही सरकार के लिए आसान होगा। कारण है कि सूबे की बिजली कंपनियां एक लाख करोड़ रुपये के घाटे में चल रही हैं। केवल किसानों और 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने के लिए ही सरकार को अपने खजाने से तकरीबन 35 हजार करोड़ रुपये देने होंगे।

loksabha election banner

आम आदमी पार्टी ने सरकार बनने पर मुफ्त व सस्ती बिजली देने की पहल की है तो समाजवादी पार्टी भी ऐसा कर सकती है। माना जा रहा है कि चुनाव आते-आते भाजपा सहित दूसरे दल भी मुफ्त व सस्ती बिजली देने का वादा कर सकते हैं। सूबे में अभी किसी को मुफ्त तो नहीं लेकिन किसानों व बीपीएल परिवारों को सस्ती दरों पर बिजली दी जा रही है। छूट के एवज में सरकार अभी तकरीबन 11 हजार करोड़ रुपये सब्सिडी कंपनियों को दे रही है।

गुरुवार को जिस तरह मुफ्त बिजली देने की बात 'आप' ने की है, उसे अमल में लाने के लिए लगभग 24 हजार करोड़ रुपये और सब्सिडी चाहिए होगी। इसमें 300 यूनिट बिजली 2.50 करोड़ लाइफ लाइन व घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त में देने के एवज में सरकार पर 22 हजार करोड़ रुपये का वित्तीय भार आएगा। इसी तरह 13 लाख किसानों के ट्यूबवेल को मुफ्त बिजली के लिए 1845 करोड़ रुपये चाहिए होंगे।

भाजपा भी कर सकती है घोषणा : जिस तरह से विपक्षी दल बिजली दरों के मुद्दे को उठा रहे हैं, उसको देखते हुए भारतीय जनता पार्टी चुनाव से पहले ही सस्ती बिजली का उपहार दे सकती है। कुछ दूसरे राज्यों की तरह किसानों, छोटे व्यापारियों और बीपीएल की बिजली मुफ्त की जा सकती है। सौभाग्य योजना के तहत दिए गए कनेक्शन का बकाया बिल माफ किया जा सकता है। भाजपा बंगाल के चुनाव में 200 यूनिट तक और उत्तराखंड में 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने जैसी घोषणाएं करती रही है।

सस्ती बिजली देना अधिक कारगर : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का मानना है कि मुफ्त के बजाय अनवरत सस्ती बिजली मिलने का विकल्प ज्यादा कारगर होगा। पहले तो बिजली चोरी पर कड़ाई से अंकुश लगाया जाए ताकि सालाना तकरीबन छह हजार करोड़ रुपये बचाए जा सकें। उपभोक्ताओं के बिजली कंपनियों पर निकल रहे 20,596 करोड़ रुपये के एवज में 34 फीसद बिजली की दर एकसाथ कम की जाए या पांच वर्षों तक 6.8 फीसद सालाना दर कम की जाए।

भाजपा सरकार में 24 तो सपा में 50 फीसद महंगी हुई बिजली : भाजपा सरकार के साढ़े चार वर्षों में औसतन 24 फीसद जबकि सपा सरकार में लगभग 50 फीसद बिजली दरों में वृद्धि हुई थी। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद 30 नवंबर को बिजली की दरों में औसतन 12.73 फीसद का इजाफा किया गया। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव होने के बाद तीन सितंबर को दरों में औसतन 11.69 फीसद का इजाफा किया गया। पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिजली की दरें यथावत रहीं। चालू वित्तीय वर्ष में भी दरों को नहीं बढ़ाया गया है। सपा सरकार के पांचों वर्ष में बिजली की दरों में तकरीबन 50 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.