Love Jihad Law in UP: हंगामा व नारेबाजी के बीच धर्मांतरण रोकने का विधेयक यूपी विधान परिषद से भी पास
Love Jihad Law in UP योगी आदित्यनाथ सरकार ने समाजवादी पार्टी के भारी हंगामे के बीच उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 विधान परिषद से भी पास करा लिया है। सपा के सदस्यों ने वेल में आकर विधेयक की प्रतियां फाड़कर सभापति पर फेंकी।
लखनऊ, जेएनएन। Love Jihad Law in UP: लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 ने विधान परिषद की भी अग्निपरीक्षा पास कर ली है। समाजवादी पार्टी के भारी हंगामे के बीच उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को विधान परिषद में भी इस विधेयक को ध्वनि मत से पास करा लिया है। अब जल्द ही यह विधेयक कानून बन जाएगा। सिर्फ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अंतिम मुहर लगनी बाकी है। इससे पहले सरकार ने बुधवार को इस विधेयक को विधान सभा में पास कराया था।
समाजवादी पार्टी के भारी विरोध और हंगामे के बीच विधान परिषद में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को विधेयक पास करा लिया। सपा इस बिल के लिए कई संशोधन प्रस्ताव लेकर आई और इसे प्रवर समिति को देने की मांग की। कांग्रेस और बसपा ने भी सपा का समर्थन किया। सभापति ने सपा के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सपा सदस्य इस बिल पर मतदान कराने की मांग करने लगे। सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने सपा सदस्यों की मांग ठुकरा दी। इस पर सपा सदस्य वेल में आ गए और बिल की प्रतियां फाड़कर हवा में उड़ाने लगे। इसी हंगामे के बीच नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने विधेयक पास करा लिया।
भोजनावकाश के बाद शाम साढ़े चार बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। नेता सदन ने विधान सभा से पारित चार विधेयकों को सदन की मेज पर रखा। तीन विधेयक ध्वनि मत से पास हो गए, जबकि चौथा विधेयक उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021 पर हंगामा हो गया। सपा सदस्य इसमें संशोधन का प्रस्ताव लेकर आए। सपा के शशांक यादव ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म की स्वतंत्रता को यह विधेयक प्रभावित कर रहा है। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने इस विधेयक को प्रवर समिति भेजने की मांग की। कांग्रेस के दीपक सिंह ने कहा कि आइपीसी की धारा में जब पहले से प्राविधान है तो यह विधेयक क्यों लाया गया। बसपा के दिनेश चंद्रा ने भी इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग की।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि सरकार यह विधेयक जनता के हितों को ध्यान में रखकर लाई है। प्रदेश में षड्यंत्र के तहत धर्मांतरण का कार्य हो रहा था। इसी को रोकने के लिए यह विधेयक है। नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि इसमें किसी भी जाति धर्म के साथ भेदभाव की बात नहीं है। विपक्ष मिथ्या वर्णन कर रहा है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है। सभापति ने सपा के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया तो नारेबाजी हंगामा शुरू हो गया। सदन की कार्यवाही पहले 10 मिनट व बाद में 15 मिनट के लिए स्थगित की गई।
शाम 5:25 बजे अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त आए तो भी सपा सदस्य वेल में खड़े होकर हंगामा करने लगे। सपा सदस्य अधिष्ठाता पर कागज के गोले व बिल की प्रतियां फेंकने लगे। इसी शोर-शराबे व हंगामे के बीच सरकार ने विधान परिषद में लंबित पुराने तीन विधेयक वापस ले लिए। भाजपा सदस्य लक्ष्मण प्रसाद ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके बाद सदन सोमवार (एक मार्च) दिन में 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
बता दें कि 28 नवंबर, 2020 को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश जारी किया था, जिसे योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने 24 नवंबर, 2020 को मंजूरी दे दी थी। इस कानून के जरिए सूबे में छल-कपट अथवा जबरन कराए गए धर्मांतरण के मामलों में एक से 10 वर्ष तक की सजा का प्राविधान है। इसके साथ ही धर्मांतरण करने के लिए साठ दिन पूर्व जिलाधिकारी अथवा संबंंधित अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष तय प्रारूप के तहत आवेदन करना भी अनिवार्य है। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में कठोर सजा व संबंधित सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त करने का प्राविधान है।
ये विधेयक भी हुए पास
- 1. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021
- 2. उत्तर प्रदेश शैक्षिक संस्था (अध्यापक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2021
- 3. उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण विधेयक, 2021
ये विधेयक लिए गए वापस
- 1. भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा-शर्त विनियमन) (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017
- 2. उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (संशोधन) विधेयक, 2017
- 3. उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक, 2019