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Makar Sankranti 2021: वज्र योग देगा शुभता का संकेत, पांच ग्रहों का शुभ संयोग, नहीं होंगे मांगलिक कार्य

Makar Sankranti 2021 14 जनवरी को सूर्य सुबह 830 बजे उत्तरायण होंगे और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 830 बजे से शाम 534 तक रहेगा।संक्रांति में दान और स्नान का महत्व है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 09:28 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 02:00 PM (IST)
Makar Sankranti 2021: वज्र योग देगा शुभता का संकेत, पांच ग्रहों का शुभ संयोग, नहीं होंगे मांगलिक कार्य
सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति के दिन पांच ग्रहों का शुभ संयोग बनेगा।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। सूर्य के मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। शास्त्रानुसार उत्तरायण देवताओं का दिन है। सूर्य के मकर राशि के प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति प्रातः सूर्योदय के बाद पुण्यकाल में पवित्र स्थानों पर स्नान दान का महत्व होता है। इस पुण्यकाल में स्नान, सूर्य उपासना , जप , अनुष्ठान, दान-दक्षिणा करते है। काले तिल, गुड़ , खिचड़ी, कंबल व लकड़ी के दान का विशेष महत्व है। 14 जनवरी के बाद मलमास के कारण रूके हुए मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस बार गुरु शुक्र अस्त के चलते विवाह आदि मांगलिक कार्य अप्रैल से होंगे ।

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14 जनवरी को सूर्य सुबह 8:30 बजे उत्तरायण होंगे और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 8:30 बजे से शाम 5:34 तक रहेगा।संक्रांति में दान और स्नान का महत्व है। मकर संक्रांति के दिन श्रवण नक्षत्र में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से वज्र योग बन रहा है। यह खास संयोग कई राशियों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा। सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति के दिन पांच ग्रहों का शुभ संयोग बनेगा। जिसमें सूर्य, बुध, चंद्रमा गुरु और शनि शामिल हैं। मेष, कर्क, कन्या, तुला, धनु व मीन राशियों को इस योग का मिलेगा शुभ प्रभाव मिलेगा।

इसलिए खास है संक्रांति

मकर संक्रांति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुड़े हुए हैं जिसमें महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का दिन ही चुना था। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बतायाकि इसी दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है। मकर संक्रांति पर्व उत्तर प्रदेश में खिचड़ी के नाम से , तमिल में पोंगल , राजस्थान और गुजरात में उत्तरायण , हरियाण, पंजाब में माघी और पूर्वी भारत में भोगाली बिहू के नाम से मनाया जाता है। ज्योतिषानुसार यदि कुंडली में सूर्य शनि का दोष है तो मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य उपासना से पिता पुत्र के खराब संबंध अच्छे होते हैं । सूर्य के अच्छे प्रभाव से यश, सरकारी पक्ष और पिता से लाभ ,आत्मविश्वास में वृद्धि , सिर दर्द, आँखों के रोग, हडड्यिों के रोग , हृदय रोग आदि रोगों से भी आराम मिलता है।

राशि के अनुसार करें दान

आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि राशि के अनुसार दान करने से विशेष फल मिलता है। राशि के अनुसार इनका करें दान।

  • मेष- गुड़, मूंगफली के दाने व तिल।
  • वृष- दही, तिल व सफेद वस्त्र।
  • मिथुन- मूंग दाल, चावल व कंबल।
  • कर्क- चावल, चांदी व सफेद तिल।
  • सिंह- तांबा, गुड़़ व सोना।
  • कन्या- खिचड़ी, कंबल व हरा वस्त्र।
  • तुला- शक्कर, कंबल व सफेद वस्त्र।
  • वृश्चिक- मूंगा, लाल वस्त्र व तिल।
  • धनु- पीला वस्त्र , खड़ी हल्दी व सोना।
  • मकर- काला कंबल, तेल व काला तिल।
  • कुंभ- काला वस्त्र, काली उड़द, खिचड़ी व तिल।
  • मीनः- चने की दाल, चावल, तिल व पीला रेशमी वस्त्र।

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