कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने किया सरेंडर, अदालत ने निरस्त किया वारंट
वर्ष 2012 में चुनाव आचार संहिता का उल्लघंन करने व वर्ष 2015 में धरना-प्रदर्शन के दौरान तोड-फोड़ व पुलिस बल पर हमला करने आदि के मामले में शनिवार को रीता बहुगुणा जोशी ने एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया और वारंट रिकाल करने की गुहार लगाई।
लखनऊ, जेएनएन। वर्ष 2012 में चुनाव आचार संहिता का उल्लघंन करने व वर्ष 2015 में धरना-प्रदर्शन के दौरान तोड-फोड़ व पुलिस बल पर हमला करने आदि के मामले में शनिवार को रीता बहुगुणा जोशी ने एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया और वारंट रिकाल करने की गुहार लगाई। विशेष जज पवन कुमार राय ने वारंट रिकाल करते हुए उन्हें दोनो मामलों में 50-50 20 हजार के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। इन दोनों मामलों में गैरहाजिर रहने पर विशेष अदालत से उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी था।
यह था मामला
बता दें कि वर्ष 2015 से संबंधित इस मामले में आरोपी ओमकार नाथ सिंह, रमेश मिश्रा, बोध लाल शुक्ला, रमेश मिश्रा, मनोज तिवारी मधुसूदन प्रभुजी उर्फ प्रहलाद द्विवेदी व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित थे। जबकि आरोपी निर्मल खत्री, प्रदीप माथुर, के.के. शर्मा, राजेश पति त्रिपाठी, राज बब्बर, प्रदीप आदित्य जैन की ओर से उनके वकीलों द्वारा हाजिरीमांफी का प्रार्थना पत्र दिया गया। अदालत ने कहा है कि रीता बहुगुणा जोशी, अजय राय, राज कुमार लोधी, शैलेन्द्र तिवारी, शरिक अली एवं पप्पू खां के गैरहाजिर रहने पर उनके विरुद्ध बिना जमानती वारंट एवं जामिनदारों को नोटिस जारी किए जाने का आदेश दिया गया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल होने के उपरांत 25 अप्रैल 2016 को संज्ञान लिया गया था। उसके बाद से मामला लगातार अभियुक्तों पर आरोप तय करने के लिए चल रहा है। परंतु अभियुक्तों के उपस्थित न होने के कारण आरोप तय नहीं हो पा रहा है। जबकि उच्चतम न्यायालय द्वारा शीघ्र विचारण किए जाने का निर्देश है।