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Police Commissioner System In UP: पुलिस कमिश्नर लखनऊ व नोएडा के अधिकारों में कटौती की तैयारी

Police Commissioner System In UP लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में लागू पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत पुलिस आयुक्त को दिए गए अधिकारों में लोक व शांति व्यवस्था से जुड़े कुछ मामलों में सीधे कार्रवाई से जुड़े कुछ अधिकार कम किए जाने पर विचार चल रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 02:48 PM (IST)
Police Commissioner System In UP: पुलिस कमिश्नर लखनऊ व नोएडा के अधिकारों में कटौती की तैयारी
लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर से कुछ अधिकार वापस लेकर जिलाधिकारी को देने की तैयारी है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में लागू पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत पुलिस आयुक्त को दिए गए अधिकारों में लोक व शांति व्यवस्था से जुड़े कुछ मामलों में सीधे कार्रवाई से जुड़े कुछ अधिकार कम किए जाने पर विचार चल रहा है। दोनों जिलों में 13 जनवरी 2019 को पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की गई थी और अब 10 माह बाद दोनों जिलों में इस प्रणाली को और बेहतर बनाने तथा लोक व्यवस्था से जुड़े कुछ मुद्दों के व्यावहारिक पक्ष को लेकर नए सिरे से समीक्षा की जा रही है। 

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बीते दिनों कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस पुलिस कमिश्नर प्रणाली की विस्तार से समीक्षा नहीं की जा सकी थी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने जिलाधिकारी लखनऊ और गौतमबुद्धनगर से दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 133 और 145 के तहत कार्रवाई के अधिकार को पुलिस आयुक्त से हटाकर वापस जिलाधिकारी को दिए जाने के बाबत रिपोर्ट तलब की है। दोनों जिलाधिकारियों से आख्या मांगी गई है। शासन इसे लेकर जल्द निर्णय करेगा।

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने लखनऊ और गौतमबुद्धनगर के डीएम को लिखे पत्र में दोनों धाराओं के तहत कार्रवाई का अधिकार फिर से जिला मजिस्ट्रेट को सौंपे जाने को लेकर एक सप्ताह में वस्तुपरक व औचित्यपूर्ण रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। अपर मुख्य सचिव गृह का कहना है कि इस मामले में विचार के बाद निर्णय किया जाएगा।

लखनऊ नगर और गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के साथ ही पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट, अपर जिला मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई थीं। इसी तरह लखनऊ नगर और गौतमबुद्धनगर में तैनात संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, उप पुलिस आयुक्त, अपर उप पुलिस आयुक्त व सहायक पुलिस आयुक्त को भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई थीं। जिससे उन्हें सीआरपीसी की धारा 133 और 145 के तहत कार्रवाई का अधिकार भी हासिल है। कानून-व्यवस्था व अपराध नियंत्रण में पुलिस अधिकारियों की व्यस्तता को देखते हुए जमीन व पानी से जुड़े विवादों के निपटारे के व्यावहारिक पहलुओं को भी देखा जा रहा है।

क्या है धारा 133 : सीआरपीसी की धारा 133 के तहत विधि विरुद्ध जमाव या अराजकता की शिकायत पर कार्रवाई की जाती है। इसके तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट को अधिकार होता है कि यदि उसे कहीं अराजकता की शिकायत प्राप्त होती है और उससे लोक शांति भंग होने का खतरा है तो वह सभी पक्षों की सुनवाई करके 'न्यूसेंस' को हटाने का आदेश दे सकता है। इसके तहत अक्सर वाहन खड़े करने, आम रास्ते को रोकने जैसी शिकायतों को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद सामने आते हैं।

क्या है धारा 145 : सीआरपीसी की धारा 145 के तहत किसी जमीन अथवा संपत्ति को लेकर विवाद, स्वामित्व, कब्जे या जल से जुड़े विवादों में कार्रवाई का प्रावधान है। इन मामलों को लेकर यदि कहीं लोक शांति भंग होने की संभावना है तो उसमें पुलिस की रिपोर्ट पर कार्यपालक मजिस्ट्रेट को कार्रवाई का अधिकार होता है। 


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