Huge fire break out in Lucknow: तन के कपड़ोंं को छोड़कर सब कुछ हो गया राख
Huge fire break out in Lucknow पीडित बोले जो तन पर थे कपड़े सिर्फ वही बचे बाकी गृहस्थी समेत सब कुछ हो गया राख। नजूल की है जमीन एलडीए से चल रहा विवाद स्थानीय लोगों का आरोप झोपड़ियों में लगाई गई आग।
लखनऊ, जेएनएन। ऐशबाग धोबीघाट में रविवार देर रात हुआ भीषण अग्निकांड के दौरान चारोंं तरफ सिर्फ हाहाकार सुनाई दे रहा था। कोई बच्चे तो कोई अपने वृद्ध माता-पिता को झोपड़ियों से निकाल कर सुरिक्षत स्थान पर ले जा रहा था। इस अग्निकांड में यहां रहने वाले करीब 50-60 परिवारों के सपने बिखर गए। झोपड़ियों में रखी उनकी सारी गृहस्थी के साथ ही रुपये, जेवर सब कुछ राख हो गया है। लोगों तन पर जो कपड़े थे सिर्फ वही बचे बाकी सब कुछ राख हो गया। यह कहना है झुग्गी बस्ती निवासी दिव्यांग सलीम का। सलीम के दोनों पैर खराब हैं। वह बैसाखी के सहारे चलता है। उसने बताया कि रात वह सो रहा था। एक बजे उसकी आंख खुली तो चारोंं तरफ चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी। कोई बच्चे लेकर भाग रहा था तो कोई अपने वृद्ध माता-पिता को। सलीम ने बताया कि वह भी खुद से चल नहीं सकता है। चीख पुकार सुनकर पड़ोस में रहने वाले हसीब और नसीम अहमद ने गोद में उठाकर बाहर सड़क पर बैठा दिया।
अग्निकांड दो युवकों समेत कई दमकल कर्मी झुलसे
अग्निकांड में राहत एवं बचाव कार्य के दौरान यहां रहने वाले पुत्तन और रमजान के हाथ झुलस गए। वहीं, आग पर काबू पाते समय तीन से चार दमकल और फायर कर्मी भी मामूली रूप से झुलसे। सीएफओ विजय कुमार सिंह ने बताया कि आग पर समय रहते काबू पा लिया गया था। नहीं तो हादसा बड़ा हो सकता था। एक साथ एक दर्जन से अधिक गाड़ियां लगा दी गई थीं। इस लिए स्थिति जल्दी सामान्य हो सकी। फौरी जांच में सामने आया है कि आग शार्ट सर्किट अथवा मच्छर भगाने वाली क्वायल से लगी है। आग के कारणों की जांच की जा रही है।
एलडीए से चल रहा है विवाद, आग लगाने का आरोप
यहां रहने वाले प्रकाश यादव के बेटे भानू प्रताप ने बताया कि जमीन नजूल की है। वह पीड़ियों से यहां पर रह रहें हैं। वहीं, एलडीए का दावा है कि जमीन उसकी है। इसको लेकर हाईकोर्ट में वाद भी चल रहा है। उनके पिता केस लड़ रहे हैं। भानू प्रताप और कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीन खाली कराने को लेकर आग लगाई गई है। इसकी जांच होनी चाहिए।
जल रहा था मुख्य द्वार, फंसता देख पीछे का टट्टर गिराकर भागे
चाऊमीन का ठेला लगा कर गुजर बसर करने वाले रिंकू सोनकर ने बताया कि आंख खुली तो दरवाजे से आग की भीषण लपटें निकल रहीं थीं। वह पूरे परिवार समेत फंसे हुए थे। घर में रखी दो बाल्टी पानी दरवाजे पर डाला पर आग कम न हुई। मदद की गुहार की तो चारो तरफ चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी इस कारण कोई उनकी मदद के लिए भी नहीं आ सका। किसी तरह पीछे का टट्टर तोड़ा पत्नी पहले पत्नी को बाहर निकला। फिर बच्चों को उसकी गोद में फेंका। इसके बाद नाला कूदने के दौरान गिर गया पैर में चोट भी लग गई। आनन-फानन परिवार को बाहर निकालकर सुकून लिया पर सारी गृहस्थी नहीं बचा सका। वहीं, पुत्तन और रेहान ने बताया कि रात करीब 12ः30 बजे वह खाना खाकर लेटे थे। एकाएक झोपड़ी में आग लग गई। किसी तरह उन्होंने बाहर भागकर जान बचाई।
विधि एवं न्यायमंत्री ने किया घटनास्थल का निरीक्षण, खाना बटवाया
घटना की जानकारी पर सोमवार सुबह विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने सभी पीड़ितों को ढांढस बंधाते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इसके बाद जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश को फोन कर पीड़ितों का सारा ब्योरा तैयार कराने के लिए कहा। उन्होंने लोगों में सब्जी-पूड़ी और पानी वितरित कराया। इसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारी और सदर तहसील के लेखपाल प्रदीप बाजपेयी पहुंचे। उन्होंने सभी पीड़ितों का ब्योरा तैयार किया। किसका कितना नुकसान हुआ है। अधिकारियों को चौखट पर देखकर पीड़ित परिवार की महिलाएं घर से मिले जले हुए नोट और जरूरी दस्तावेज दिखा रहे थें। इसके अलावा कई स्थानीय लोग, व्यापारी और सामाजिक संस्थाओं के लोग पहुंचे। उन्होंने पीड़ितों में पूड़ी सब्जी और तहरी वितरित की।
गृहस्थी के साथ जली गाड़ियां और मवेशी
गृहस्थी के साथ ही सिलाई का काम करने वाले नसीम की चार बकरियां चल गईं। नूरजहां के घर में पली बिल्ली और कछुआ भी जल गया। इसके अलावा पुत्तन का ई-रिक्शा रिंकू की स्कूटी समेत दर्जन भर से अधिक दुपहिया वाहन और 12-15 साइकिल जल गईं।
बिटिया की शादी के सपने भी राख हो गए साहब
पीड़िता नूरजहां और सबनम चीख-चीख कर रो रहीं थीं। नूरजहां ने बताया कि उसकी बेटी सबनम की बेटी तबस्सुम की शादी 18 अक्टूबर को होनी थी। नातिन की शादी के लिए जेवर बनवाए थे। कपड़े खरीदे और रुपये जोड़कर रखे थे। आग में नातिन की शादी के सपने भी जलकर राख हो गए। पड़ोस में रहने वाले झिनकन ने बताया कि वह भी बेटी की शादी की तैयारी कर रहे थे। बेटी के लिए 50-60 हजार रुपये के जेवर बनवाए थे और करीब 25 हजार रुपये झोपड़ी में रखे थे। सब जलकर राख हो गए।