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Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट ने ढांचा विध्वंस केस में CBI कोर्ट को 30 सितंबर तक फैसला सुनाने का दिया समय

Ayodhya Controversial Structure Caseविवादित ढांचा विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी व उमा भारती भी आरोपित हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 04:49 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 09:27 PM (IST)
Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट ने ढांचा विध्वंस केस में CBI कोर्ट को 30 सितंबर तक फैसला सुनाने का दिया समय
Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट ने ढांचा विध्वंस केस में CBI कोर्ट को 30 सितंबर तक फैसला सुनाने का दिया समय

लखनऊ, जेएनएन। रामनगरी अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआइ कोर्ट को 30 सितंबर तक अपना फैसला सुनाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश 19 अगस्त को दिया था।

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अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी व उमा भारती भी आरोपित हैं। सीबीआइ ने इनके खिलाफ केस दर्ज किया है और इस प्रकरण की सुनवाई लखनऊ में सीबीआई की विशेष कोर्ट में हो रही है। लखनऊ की सीबीआइ ट्रायल कोर्ट को इस केस में फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय बढ़ाया गया है। अभी तक सीबीआइ की विशेष कोर्ट बयान दर्ज करने के साथ आरोपितों की सफाई भी सुन रही है।

अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 24 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विशेष जज के सामने अपना बयान दर्ज करवाया था। इस दौरान देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने उस समय की केंद्र सरकार को अपने खिलाफ लगे आरोपों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इस मामले में खुद को निर्दोष करार देते हुए आडवाणी ने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित थे।

इनसे पहले डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कल अदालत से कहा था कि वह बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में निर्दोष हैं। केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उन्हेंं गलत तरीके से फंसाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से इस मामले में पेश किए गए सबूत झूठे और राजनीति से प्रेरित हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को झूठा बताया था।

गौरतलब है कि रामनगरी अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचा ढहा दिया था। उनका दावा था कि विवादित ढांचा की जगह पर भगवान श्रीराम का का प्राचीन मंदिर हुआ करता था। यहां पर राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों में आडवाणी और जोशी भी शामिल थे।  


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