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स्वस्थ पर्यावरण में भी सहायक है स्तनपान, जानें ये होते हैं फायदे

स्वस्थ पर्यावरण के लिए स्तनपान को दें बढ़ावा। विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन पर विशेषज्ञों ने दी सलाह।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 10:35 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 10:35 AM (IST)
स्वस्थ पर्यावरण में भी सहायक है स्तनपान, जानें ये होते हैं फायदे
स्वस्थ पर्यावरण में भी सहायक है स्तनपान, जानें ये होते हैं फायदे

लखनऊ, जेएनएन। हर वर्ष एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। यह एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य माताओं व शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान के महत्व के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना है । वहीं, इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम है 'सपोर्ट ब्रेस्ट फीडिंग फॉर ए हेल्दी प्लानेट' यानी स्वस्थ पर्यावरण के लिए स्तनपान को बढ़ावा दें। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य है लोगों को स्तनपान और पर्यावरण के बीच की कड़ी से अवगत कराना। स्तनपान सप्ताह के समापन पर विशेषज्ञों ने खास सलाह दी।

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स्तनपान व स्वस्थ पर्यावरण के बीच गहरा संबंध 

आरएमएल इंस्टीट्यूट में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सिंह कहते हैं, जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण में लगातार गिरावट आज दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती हैं। स्तनपान एक स्वाभाविक व जलवायु हितैषी प्रक्रिया है। इसमें हमारी पृथ्वी के दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन का उपयोग नहीं होता है। जिससे कचरे व प्रदूषण का सृजन नहीं होता है। बाजार में उपलब्ध मां के दूध के विकल्प जैसे कि ब्रेस्ट मिल्क सब्सिट्यूट  (बीएमएस) अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड पदार्थ होते हैं। इनके उत्पादन, पैकेजिंग, वितरण, मार्केटिंग और उपयोग की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है और पृथ्वी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। वहीं, मां के दूध के विकल्प के उपयोग में बोतल, निप्पल, कंटेनर और प्रचार सामग्री भी उत्पन्न होती है जिसके निपटान की भी जरूरत पड़ती है। यही वजह है कि विशेषज्ञ स्तनपान को पर्यावरण हितैषी मानते हैं।

बीएमएस की बिक्री को नियंत्रित करना इसलिए  जरूरी 

डॉ. मनीष कहते हैं, स्तनपान से शिशु, मां, परिवार व समाज को कई फायदे हैं। वहीं, मां के दूध के विकल्प यानी बीएमएस के नुकसान के बावजूद हाल के वर्षों में इन्फेंट मिल्क फार्मूला की बिक्री में तेजी से बढ़ोतरी आई है। ब्रेस्ट फीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया व इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आइबीएफएएन) के अनुसार वर्ष 2016 में भारत में मां के दूध के विकल्प की कुल बिक्री 26,900 टन थी जिसके 2021 में बढ़कर 30,700 टन होने का अनुमान है। भारत में वर्ष 2016 में बीएमएस के कारण ग्रीनहाउस गैस का कुल उत्सर्जन 107,490 टन था जो 2021 में 1,22,810 टन हो जाने का अनुमान है।

स्तनपान कराने के तमाम फायदे 

क्वीन मेरी हॉस्पिटल में चिकित्सा अधीक्षक व स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. एसपी जैसवार कहती हैं, स्तनपान कराने के तमाम फायदे हैं। यही वजह है कि गर्भवस्था के पहले दिन से ही हम मरीज को स्तनपान के प्रति प्रेरित करते हैं। वहीं, विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर सात दिन तक विशेष रूप से मरीजों को जागरूक करते हैं।

स्तनपान के ये होते हैं फायदे 

  • मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है। इसमें बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए सभी पोषक तत्व उचित मात्रा व अनुपात में पाए जाते हैं। 
  • स्तनपान से प्रसव उपरांत कम रक्तस्राव होता है, मां एनीमिया से बची रहती है।
  • मां का दूध बच्चे को रोग प्रतिरोधक क्षमता देता है।
  • स्तन व ओवेरियन कैंसर से बचाव होता है।
  • मां का दूध सुपाच्य होता है, मोटापे से बचाता है।
  • गर्भावस्था में बढ़े वजन को कम करता है।
  • मां का दूध वयस्क होने पर डायबिटीज, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों से भी बचाता है। 
  • अगली गर्भावस्था से बचाता है।
  • स्तनपान से मां व बच्चे के बीच अच्छी बॉनडिंग  बनती है।
  • मां के लिए सुविधाजनक होता है।
  • स्तनपान बच्चे को हाइपोथर्मिस्ट यानी तपावस्था से बचाता है।

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