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Ayodhya Ram Mandir News: अयोध्या से अमेरिका तक आनंद, रामभक्तों में उल्लास

Ayodhya Ram Mandir News रामलला के भव्यतम प्रासाद में विराजने की खुशी को उत्सव के रूप में मनाना चाह रहा हर रामभक्त।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 02:41 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 02:41 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir News: अयोध्या से अमेरिका तक आनंद, रामभक्तों में उल्लास
Ayodhya Ram Mandir News: अयोध्या से अमेरिका तक आनंद, रामभक्तों में उल्लास

लखनऊ [दुर्गा शर्मा]। Ayodhya Ram Mandir News: राम हर सनातनधर्मी की वाणी में रमा हुआ नाम है। करीब 500 वर्ष बाद वो उल्लासक दिन आया, जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा। रामनगरी उल्लसित है तो दुनिया भर में फैले सनातनी भी आनंदमग्न हैं। रामलला के भव्यतम प्रासाद में विराजने की खुशी को हर रामभक्त उत्सव के रूप में मनाना चाह रहा । कुछ यही प्रयास यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन , यूएसए में मैनेजमेंट के प्रोफेसर ओम प्रकाश गुप्ता का भी है। इस आनंद उत्सव पर उन्होंने रामकाव्य पीयूष शीर्षक से काव्य संग्रह के प्रकाशन की योजना बनाई है। प्रथम चरण में यह संग्रह ई बुक के रूप में प्रकाशित होगा। इस संग्रह में भगवान राम और रामायण संबंधित कविताएं प्रकाशित की जाएंगी। 

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संग्रह में प्रकाशन के लिए सभी भाषाओं में दुनिया भर से कविताएं आमंत्रित की जा रहीं। इसके संपादक मंडल में ओम प्रकाश गुप्ता के अलावा लखनऊ से अलका प्रमोद, विनीता मिश्रा, सिंगापुर से शार्दुला नोगजा, यूके से शैल अग्रवाल, कनाडा से शैलजा सक्सेना, ऑस्ट्रेलिया से हरिहर झा और भारत से शिव प्रकाश अग्रवाल हैं। ओम प्रकाश गुप्ता इससे पहले भी भगवान राम पर कई उल्लेखनीय काम कर चुके हैं। राम मंदिर निर्माण पर उनका कहना है कि हम सब जानते और मानते हैं कि अयोध्या के कण-कण में राम हैं। ये हमारी आस्था का सम्मान है। सभी प्रेम भाव से रहें, यही रामचरित मानस का सार भी है।

ओम प्रकाश की जन्मस्थली अहमदाबाद है। 1973 में पीएचडी के लिए यूएसए गए। 1981 में आइअाइएम अहमदाबाद में प्रोफेसर बने। 1989 में अमेरिका और फिर 1996 में वापस अहमदाबाद आना हुआ। 2001 में फिर अमेरिका गए और तब से वहीं बस गए। ओम प्रकाश अयोध्या और चित्रकूट भी भ्रमण कर चुके हैं। भगवान राम के प्रति विशेष लगाव के बारे में वह बताते हैं कि पिता बचपन में रामायण सुनाया करते थे। वे रामचरित मानस का पाठ करने के लिए प्रेरित करते थे। दिसंबर 2008 में पिता गोलोकवासी हो गए। अमेरिका में ही मंदिर में पिता की स्मृति में सुंदरकांड किया। उसी दिन तय किया कि हर महीने सुंदरकांड करेंगे। वहां रह रहे भारतीयों को जोड़कर घरों में सुंदरकांड का पाठ करने लगे। 2010 में श्री रामचरित मंथन नाम से संवाद कार्यक्रम शुरू किया। उद्देश्य यही कि ज्यादा से ज्यादा लोग रामचरित मानस के मर्म को समझें। आज विश्व भर से करीब 400 लोग इससे जुड़ चुके हैं। कोरोना संक्रमण के समय जूम एप और यू ट्यूब के जरिए हर शनिवार को रामचरित मानस पर चर्चा के लिए लोग जुटते हैं। ओम प्रकाश ने बच्चों और युवाओं को भी सुंदरकांड पाठ से जोड़ना शुरू किया। सुंदरकांड बाय यूथ ओनली पहल से अब तक दस देशों से 33 बच्चे और युवा जुड़ चुके हैं । सभी विदेशी हैं।

1008 पंक्तियों में तुलसी रामायण

कोई मोटी किताब नहीं पढ़ना चाहता। विदेश में अधिकतर लोग हिंदी नहीं जानते। इन समस्याओं को ध्यान में रखकर बाल और युवा पीढ़ी को रामायण से जोड़ने के लिए ओम प्रकाश ने 2013 में मिनी वर्जन तुलसी रामायण 1008 पंक्तियों में संकलन निकाला। ओम प्रकाश ने बड़ी बेटी के विवाह में आए सभी अतिथियों को यही किताब उपहार में भी दी। किताब बाईं तरफ हिंदी और दाईं तरफ अंग्रेजी में लिखी हुई है।

श्रीरामचरित मानस अनुक्रमणिका

ओम प्रकाश ने सोचा कि रामचरित मानस में जो भी शब्द हैं, उनका इंडेक्स बनना चाहिए। छोटे भाई के साथ मिलकर करीब चार साल इस पर काम किया और फिर 2015 में श्रीरामचरित मानस अनुक्रमणिका तैयार की। इसमें 1000 से अधिक शब्द हैं। इनके अर्थ के साथ ही रामचरित मानस में इन शब्दों का प्रयोग कहां किया गया है, कितनी बार किया गया है, ये सभी जानकारी भी है।


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