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चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट की प्रतियोगिता में छाए लखनऊ के साहित्यकार

शहर के वरिष्ठ साहित्यकार संजीव जायसवाल ‘संजय’ को मिले तीन पुरस्कार। सूर्यलता जायसवाल नीलम राकेश और शताब्दी गरिका को मिला एक-एक पुरस्कार।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 03:46 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 03:46 PM (IST)
चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट की प्रतियोगिता में छाए लखनऊ के साहित्यकार
चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट की प्रतियोगिता में छाए लखनऊ के साहित्यकार

लखनऊ, जेएनएन। चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट द्वारा एक अगस्त को अखिल भारतीय लेखन प्रतियोगिता 2019 के परिणाम घोषित किए गए। कुल घोषित 26 पुरस्कारों में से छह पुरस्कार लखनऊ के साहित्यकारों को मिले। शहर के वरिष्ठ साहित्यकार संजीव जायसवाल ‘संजय’ को तीन और उनकी पत्नी सूर्यलता जायसवाल को एक पुरस्कार मिला। शहर की ही बाल साहित्यकार नीलम राकेश और शताब्दी गरिमा को एक-एक पुरस्कार मिला है। संजीव की कहानी ‘मैं फिर आऊंगा’ को कहानियां 9-12 वर्ष के वर्ग में 5500 रुपये, सामाजिक-भावनात्मक वर्ग में कहानी ‘राजा की दावत’ हेतु 5500 के साथ-साथ कांसेप्ट आधारित कहानियां वर्ग में भी कहानी ‘अगर हमारे पहिये होते के लिए 5500 रुपये का पुरस्कार मिला है।

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सूर्यलता की कहानी ‘यह दुनिया हमारी होगी’, नीलम राकेश की कहानी ‘दर्द के पार’ और शताब्दी गरिमा की कहानी ‘अम्बर और रिंकी’ को कहानियां 9-12 वर्ष के वर्ग में 5500 रुपये के पुरस्कार मिले। हर आयु वर्ग के लिए कहानियां लिखने वाले संजीव जायसवाल को चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट की पिछली प्रतियोगिता में भी सर्वाधिक पुरस्कार मिले थे। हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा दो लाख रुपये के ‘बाल साहित्य भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

इसके अलावा हिन्दी संस्थान द्वारा उन्हें ‘अमृत लाल नागर कथा साम्मान’, ‘सूर -पुरस्कार’ तथा ‘पंडित सोहन लाल द्विवेदी’ सम्मान द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें भारत सरकार के प्रतिष्ठित ‘भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार’ द्वारा दो बार सम्मानित किया गया है जो कि एक रिकॉर्ड है। संजीव की चित्र पुस्तक ‘वह हंस दिया’ का विश्व की 101 भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है और पर्यावरण पर आधारित उनके उपन्यास ‘होगी जीत हमारी’ का भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा 15 भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित किया गया है। लखनऊ के अनुसंधान संगठन ‘आरडीएसओ’ के निदेशक के पद से सेवानिवृत संजीव अब पूर्ण रूप से साहित्य सेवा में समर्पित है।


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