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Vikas Dubey News : चर्चित व निष्पक्ष रही है हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल की छवि

Vikas Dubey News उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दुर्दांत विकास दुबे प्रकरण की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 12:40 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 06:08 AM (IST)
Vikas Dubey News : चर्चित व निष्पक्ष रही है हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल की छवि
Vikas Dubey News : चर्चित व निष्पक्ष रही है हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल की छवि

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दुर्दांत विकास दुबे प्रकरण की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया है। शशिकांत अग्रवाल की छवि इलाहाबाद हाई कोर्ट के चर्चित और निष्पक्ष न्यायमूर्ति की रही है। दुर्दांत विकास दुबे का खात्मा हो चुका और अब सरकार इस कांड के पीछे की एक-एक कहानी को उजागर करना चाहती है। इसके लिए एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। आयोग न सिर्फ इस प्रकरण से जुड़ी प्रत्येक मुठभेड़, बल्कि विकास दुबे व उसके साथियों के पुलिस सहित विभिन्न व्यक्तियों से संबंध की भी जांच-पड़ताल कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगा।

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वर्ष 1943 में 15 नवंबर को जन्मे सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1971 में विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत करने लगे। हाई कोर्ट में वकालत करने के कुछ साल बाद ही वह आपराधिक मामलों के चर्चित अधिवक्ताओं में शुमार किए जाने लगे। वह पांच फरवरी 1999 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति नियुक्त किए गए। पांच जनवरी 2005 को उनका स्थानांतरण झारखंड हाई कोर्ट कर दिया गया। इससे नाराज होकर उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नैनीताल हाई कोर्ट उत्तराखंड में वकालत करने चले गए। इलाहाबाद हाई कोर्ट में छह साल न्यायमूर्ति रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। इसमें सबसे चर्चित अब्दुल करीम तेलगी स्टांप घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश था। इस आदेश की पूरे देश में चर्चा हुई थी।

विपक्षी दल उठा रहे सवाल : कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से ही विपक्षी दलों द्वारा तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। हत्यारे दुबे की मौत के बाद तमाम रहस्यों के दब जाने की बात कही जा रही है। इसी बीच सरकार ने जांच आयोग गठन का निर्णय लिया है। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि विकास दुबे और उसके साथियों के द्वारा दो-तीन जुलाई को की गई वारदात, दस जुलाई को हुआ विकास दुबे का एनकाउंटर व इस बीच हुए सभी एनकाउंटर एक लोक महत्व का विषय हैं। इसके संबंध में जांच करना आवश्यक है। इसलिए राज्य सरकार द्वारा रविवार को जारी अधिसूचना के माध्यम से जांच आयोग अधिनियम 1952 (अधिनियम संख्या 60 सन 1952) की धारा 3 के तहत सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का निर्णय लिया गया है।

कानपुर में होगा आयोग का मुख्यालय : एक सदस्यीय जांच आयोग का मुख्यालय कानपुर में होगा। सभी तथ्यों की जांच करने के साथ ही आयोग भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अपने सुझाव भी देगा। प्रवक्ता ने कहा कि आयोग राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट अन्य बिंदुओं की भी जांच करेगा। अधिसूचना जारी किए जाने की दिनांक से दो माह की अवधि में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी। अवधि में किसी प्रकार का परिवर्तन सरकार के आदेश से किया जाएगा।

ये होंगे जांच के अहम बिंदु

  • विकास दुबे और उसके सहयोगियों के द्वारा दो-तीन जुलाई की रात में की गई घटना, जिसमें आठ पुलिस कर्मियों की हत्या हुई थी और अन्य पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
  • दस जुलाई को पुलिस और विकास दुबे के बीच हुई मुठभेड़, जिसमें विकास दुबे मारा गया।
  • दो-तीन जुलाई से दस जुलाई के बीच पुलिस और इस प्रकरण से संबंधित अपराधियों के बीच हुई प्रत्येक मुठभेड़।
  • आयोग विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस व अन्य विभागों या व्यक्तियों से दुरभिसंधि के संबंध में भी गहनतापूर्वक जांच करेगा।

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