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मुख्‍यमंत्री योगी के न‍िरीक्षण के बाद जागा लोहिया प्रशासन, न‍िदेशक ने ल‍िए अहम फैसले

मुख्यमंत्री के निरीक्षण के बाद निदेशक ने लिया फैसला सीनियर डॉक्टर रहेंगे मौजूद।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 03:09 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 03:09 PM (IST)
मुख्‍यमंत्री योगी के न‍िरीक्षण के बाद जागा लोहिया प्रशासन, न‍िदेशक ने ल‍िए अहम फैसले
मुख्‍यमंत्री योगी के न‍िरीक्षण के बाद जागा लोहिया प्रशासन, न‍िदेशक ने ल‍िए अहम फैसले

लखनऊ, जेएनएन। लोह‍िया आयुर्व‍िज्ञान संस्थान में बुधवार को अचानक मुख्यमंत्री योगी आद‍ित्यनाथ पहुंचे। उन्होंने गंभीर मरीजों को समय पर इलाज मुहैया कराने के ल‍िए इमरजेंसी सेवाएं दुरुस्त करने के न‍िर्देश द‍िए। यहां भीड़ के मैनेजमेंट के साथ-साथ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने का फरमान सुनाया। इसके बाद एक्शन में आए संस्थान प्रशासन ने सीनियर डॉक्टर की ड्यूटी लगाकर नई इमरजेंसी ओपीडी चलाने का फैसला किया।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दस बजे के करीब लोहिया संस्थान पहुंचे। यहां पहले स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग की इमरजेंसी गए। इसके बाद मुख्य इमरजेंसी में पहुंचे। मुख्यमंत्री व चिकित्सा शिक्षा मंत्री को अचानक देखकर डॉक्टरों में हड़कंप मच गया। निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी, एमएस डॉ. देवा शीष शुक्ला समेत कई सीनियर डॉक्टर पहुंच गए। मुख्यमंत्री ने दोनों इमरजेंसी में एक साथ जुटी भीड़ का कारण पूछा। मरीजों से इलाज के बारे में जानकारी ली। वहीं स्ट्रेचर की सीट फटी होने व चादर न होने पर भी पूछा। इसके बाद निदेशक ने स्ट्रेचर को ट्राएज एरिया का बताया। साथ ही प्लास्टिक सीट को बार-बार सैनिटाइज करने का हवाला देकर चादर न लगाने का कारण बताया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इमरजेंसी व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश देकर चले गए।

सीएम के जाते ही मंथन, सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी पर फैसला

मुख्यमंत्री के वापस जाते ही निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने संस्थान के अधीक्षक व डॉक्टरों संग बैठक की। इसके बाद इमरजेंसी में भीड़ कम करने के लिए हॉस्पिटल ब्लॉक की पुरानी ओपीडी में इमरजेंसी ओपीडी चलाने का फैसला किया। इसमें सीनियर डॉक्टर सुबह नौ से चार बैठकर मरीजों को देखेंगे। इसके बाद वह ऑनकॉल रहेंगे।

पांच विभागों की इमरजेंसी ओपीडी

डॉ. एके त्रिपाठी के मुताबिक हर रोज इमरजेंसी में 400 मरीज आ रहे हैं। इसमें 80 फीसद ओपीडी बेस्ड ही होते हैं। इन मरीजों को अंदर से ही इमरजेंसी ओपीडी में भेज दिया जाएगा। यहां मेडिसिन, सर्जरी, आर्थोपेडिक व पीडियाट्रिक के सीनियर डॉक्टर उन्हें देखेंगे। दवा लेने के बाद वह घर चले जाएंगे। ऐसे में मुख्य इमरजेंसी में सिर्फ 20 फीसद मरीज रह जाएंगे। गंभीर मरीजों को समय पर भर्ती कर इलाज मिल सकेगा। 


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