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किसानों के बीच आतंक बना पाकिस्तानी टिड्डी दल, जानिए कैसे होगा बचाव

प्रदेश में पाकिस्तानी टिड्डी दल को लेकर अलर्ट राजधानी के आसपास के जिलों में बढ़ी सतर्कता।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 04:23 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 07:04 AM (IST)
किसानों के बीच आतंक बना पाकिस्तानी टिड्डी दल, जानिए कैसे होगा बचाव
किसानों के बीच आतंक बना पाकिस्तानी टिड्डी दल, जानिए कैसे होगा बचाव

लखनऊ, जेएनएन। फरवरी में पाकिस्तान को इमरजेंसी जैसा हालात में पहुंचा देने वाला वहां के टिड्डी दल ने राजथान के रास्ते भारत का रुख किया है। राजस्थान के बाद आगरा और फिर वहां तीन दिनों कें अंदर मध्य प्रदेश में अपनी दसतक दे दी है। राजधानी समेत प्रदेशभर अलर्ट जारी कर निगरानी कमेटियों का गठन कर दिया गया है। मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में बने दल में चार सदस्य शामिल होंगे। कृषि विभाग को नोडल बनाने के साथ ही उद्यान एवं वन विभाग के साथ राजस्व विभाग की मदत लेने के आदेश जारी हो चुके हैं।

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मंगलवार को मध्यम प्रदेश के छतरपुर के गांव पनोठा में पहुचकर टिडि्डयों के दल ने तबाही शुरू कर दी है। शाम हह बजे उनके पहुचने के साथ ही ललितपुर और महोबा से पहुंची टीम ने आवाज और कीटनाशक के माध्यम से उन्हें वहीं पर रोक रखा है। 10 लाख की संख्या में आई टिडि्यों के दो भाग में बटने से अघिकािरयों ने राहत की सांस ली है। उप कृषि निदेशक डॉ.सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में पाई जाने वाली टिडि्यां 50 से 100 के झुंड में रहती हैं लेकिन पाकिस्तानी टिडि्डयों के दल में पांच से 10 लाख टिडि्डयां होती हैं जो एक रात में करोड़ों की फसल को तबाह कर देती हैं। दो दल बटने से एक मध्य प्रदेश की तरफ रुख किए है, जो झांसी व छतरपुर तक हैं जबिक दूसरा दल अागरा और ललितपुर तक पहुंच चुका है। राजधानी से पानी के टैंकर वाले टैक्टर की मांग की गई है। राजधानी आने से पहले कानपुर देहात, उन्नाव व रायबरेली में दस्ते का गठन कर इसे रोकने की पूरी तैयारी कर ली गई है।

आम और सब्जयों को होगा नुकसान

इससे पहले 2006 में भी पाकिस्तानी टिडि्डयों ने देश में तबाही मचाई थी। करीब 14 साल बाद एक बार फिर उनके आने से फसलों को भारी नुकसान होने की संभावना है। वर्तमान समय में आम की बागों में आम लगे हुए हैं और खेतों में कद्दू, खीरा, खरबूजा, तरबूज, लौकी के साथ करैला के साथ ही पान व मेंथा की फसल को नुकसान पहुंचेगा। कृषि रक्षा अधिकारी धनंजय सिंह ने बताया कि ये हरी पत्तियां व फल पर आक्रमण करती हैं। जिस बाग या खेत में लाखों टिडि्डयां बैठेंगी वहां हरियाली पूरी तरह से नष्ठ हो जाएगी। ये हवा के रुख के साथ चलती हैं। वर्तमान समय में लू की स्थिति बन रही है जो इनके लिए मुफीद है। बारिश में मादा अंडे नहीं दे पाती और धीरे-धीरे से नष्ट हो जाती है।

ऐसे होगा बचाव

  • टिड्डा दल दिखे तो किसान ट्रम या तेज आवाज करने वाले संसाधनों को बजाएं।
  • आसमान में झुड दिखे तो जिला कृषि अधिकारी के फोन नं.7607000265 व कृषि रक्षा अधिकारी के फोन नं.9445116359 पर सूचित करें।
  • आम के बागवान बाग में पानी भर दें जिससे टिड्डा जमीन पर अंडा न दे सके।
  • बागवान क्लोरोपायरीफास 50 फीसद या डेल्टामैथ्रिन 28 फीसद मात्रा की दवा एक मिली एक लीटर पानी में घोलकर पेड़ों पर छिड़काव करें।
  • क्लोरोपायरीफास 20 फीसद की ढाई मिली.मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर फाेर्स से छिड़काव करें।
  • कींटनाशक रिजर्व रखने का आदेश
  • जिला कृषि रक्षा अधिकारी धनंजय सिंह ने बताया कि राजधानी के सभी कीटनाशक की दुकानों पर कींटनाशक रिजर्व करा दिया गया है। माल, मलिहाबाद, काकोरी व सरोजनीगनर के आम बेल्ट में सभी बागवानों से अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। दिन में 100 से 150 किमी की दूरी तय करने वाली ये टिडि्डयां कभी भी पहुंच सकती हैं। रात में ही इनका बसेरा फसलों पर होता है और सुबह फिर से निकल पड़ती हैं। फायर ब्रिगेड के साथ ही संबंधित विभागों को अलर्ट कर दिया गया है।

टिड्डी पर एक नजर

  • टिड्डी ऐक्रिडाइइडी परिवार के ऑर्थाप्टेरा गण का कीट है। हेमिप्टेरा गण के सिकेडा वंश का कीट भी टिड्डी या फसल डिड्डी कहलाता है। इसे टिड्डा भी कहते हैं। दुनिया में छह प्रजातियां पाई जाती हैं। यह प्रवासी कीट है और इसकी उड़ान दो हजार मील तक होती है। टिड्डी एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ने की क्षमता रखती है. ये एक दिन में अपने वजन के बराबर अनाज खा सकती है
  •  लाखों की संख्या में आ रही टिड्डियां करोड़ों रुपये की फसल को कुछ घंटों में ही बर्बाद कर देती हैं। भारत के राजस्थान, पंजाब, गुजरात में इसका प्रभाव देखा जा चुका है।
  • इन टिड्डियों का एक छोटा दल एक दिन में लगभग 2500 व्यक्तियों का भोजन चट कर सकता है। यदि बड़े दल (झुंड) का प्रकोप हो जाए जो भुखमरी जैसी स्थिति पैदा हो जाती है।
  • आमतौर पर झुण्ड में रहने वाली एक मादा टिड्डी 2-3 फलियों पर औसतन 60-80 अंडे प्रति फली देती है।
  • अकेले रहने वाली मादा द्वारा 3-4 बार में औसतन 150-200 अंडे देती है।
  • 15 डिग्री सेल्सियससे नीचे तापमान होने पर अंडों का विकास नहीं होता है।
  • तापमान 32-35 डिग्री सेल्सियस होने पर अंडों की सेने की अवधि 10-12 दिन होती है।
  • अंडे सेने के बाद पंख रहित हॉपर निकलते हैं। झुंड में रहने वाली मादा में हॉपर के 5 इंस्टार और अकेले रहने वाली मादा के हॉपर में 5-6 इंस्टार होते हैं।
  • हॉपर की प्रत्येक इंस्टार में रंग और वृद्धि में परिवर्तन देखा जा सकता है।
  • वयस्क टिड्डा सबसे सबसे अधिक हानिकारक और लंबी दूरी की यात्रा करने सक्षम होते हैं।
  • अकेले रहने वाले वयस्क रात में केवल कुछ घंटों के लिए उड़ान भरते हैं जबकि झुण्ड में रहने वाले वयस्क (स्वार्म्स) दिन के उजाले के दौरान उड़ते हैं। 

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