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2022 Assembly Election in UP : क्षेत्रीय कमेटियों के जरिए स्थानीय समीकरण सुधारेगी भाजपा

यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए संगठनात्मक ढांचा तैयार कर रही भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय कमेटियों में विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व के जरिए सामाजिक संतुलन साधने में जुटी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 12:14 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 02:07 PM (IST)
2022 Assembly Election in UP : क्षेत्रीय कमेटियों के जरिए स्थानीय समीकरण सुधारेगी भाजपा
2022 Assembly Election in UP : क्षेत्रीय कमेटियों के जरिए स्थानीय समीकरण सुधारेगी भाजपा

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए संगठनात्मक ढांचा तैयार कर रही भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय कमेटियों में विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व के जरिए सामाजिक संतुलन साधने में जुटी है। प्रदेश कमेटी की तरह क्षेत्रीय समितियों में भी युवाओं व महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के साथ स्थानीय जातीय समीकरण बनाने के लिए कहा गया है। एक माह के भीतर क्षेत्रीय कमेटियां तैयार की जानी हैं।

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अवध और पश्चिम क्षेत्र को छोड़कर अन्य चार क्षेत्रों में पुराने अध्यक्ष यथावत हैं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पदाधिकारियों की नियुक्ति करके स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव ही नहीं, आगामी लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखकर संगठन तैयार किया जा रहा है। प्रदेश कमेटी के पदाधिकारियों की औसत आयु लगभग 50 वर्ष है। ऐसे में क्षेत्रीय कमेटियों में युवाओं का बोलबाला रहेगा।

छह क्षेत्रीय अध्यक्षों में सबसे कम आयु वाले मोहित बेनीवाल हैं। बसपा और राष्ट्रीय लोकदल के प्रभाव वाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए शुभ क्षेत्र रहा है। पिछले तीन चुनावों (दो लोकसभा व एक विधानसभा) में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चली चुनावी बयार भाजपा के पक्ष में रही है। जानकारों का कहना है कि सपा-रालोद गठबंधन बनेगा तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा से ज्यादा बसपा का खेल खराब होगा। भाजपा का गढ़ बने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबको साधकर अपनी कमेटी बनाना मोहित बेनीवाल के लिए पहली चुनौती होगी।

अवध में कांग्रेस को है रोकना : पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अवध क्षेत्र में भी कमजोर साबित हुई थी। अमेठी में राहुल गांधी की हार के बाद उत्तर प्रदेश में मोर्चा संभालने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा को मैदान में उतारा गया है। लगातार सड़कों पर संघर्ष करती दिख रही कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भी निम्नतम प्रदर्शन पर समेटना भाजपा के नए क्षेत्रीय अध्यक्ष शेषनारायण मिश्र की सांगठनिक परीक्षा होगी। पूर्व में क्षेत्रीय संयोजक रह चुके मिश्र के लिए नया दायित्व चुनौती भरा है।

जनप्रतिनिधियों से तालमेल की दरकार : भाजपा के कई विधायकों द्वारा दिखाए जा रहे असंतोष को कम करने का जिम्मा भी क्षेत्रीय अध्यक्षों को मिलेगा। उनसे तालमेल बनाकर संगठन मजबूत करने में नए क्षेत्रीय अध्यक्षों को राजनीतिक कौशल दिखाना होगा।


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