बीएस-6 की आहट ने तोड़ी मंदी, छूट पर मार्केट में टूट पड़े खरीदार-जानिए कितने रह गए रेट
मंदी की मार से जूझ रहे वाहनों को छूट ने दी रफ्तार कोर्ट के आर्डर के बाद खरीद में आई तेजी।
लखनऊ, जेएनएन। मंदी की मार से जूझ रहा वाहन बाजार छूट का 'ईंधन मिलते ही रफ्तार भरने लगा है। अभी तक ढीली जेब का हवाला देकर मुंह मोड़े ग्राहक कार और बाइक की खरीदारी करने टूट पड़े हैं। हालांकि, यह एकाएक नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश से ठंडे पड़े ऑटो सेक्टर में बसंत बहार आई है, जिसमें एक अप्रैल से बीएस-6 वाहन ही बिक सकेंगे। रास्ता कोई बचा नहीं है, लिहाजा कार और बाइक कंपनियों ने भी बचा माल बेचने के लिए ऑफर की झड़ी लगा दी है। मौजूदा बीएस-4 कैटेगरी के वाहन करीब 20 से 25 प्रतिशत सस्ती कीमत पर निकाले जा रहे हैं।आमतौर पर ग्राहकों को यह छूट त्योहारी सीजन में भी नसीब नहीं होती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने भी एक अप्रैल से पूरे देश में केवल पर्यावरण के लिए मुफीद बीएस-6 वाहनों बेचने की अनुमति दे दी है। इस फैसले के बाद 31 मार्च तक वाहन कंपनियों में बीएस-4 वाहन स्टाक निकालने की होड़ मची है। आम दिनों में लखनऊ में हर माह करीब पांच हजार वाहनों की बिक्री का बाजार है, लेकिन मौजूदा स्कीम के चलते यह आंकड़े काफी आगे निकल गए है। हुंडई एरिया सेल मैनेजर नवीन जायसवाल का कहना है कि बीएस-4 वाहनों में एक से डेढ़ लाख रुपये की छूट है। हमने बीएस-6 में पेट्रोल वर्जन भी बेचना शुरू कर दिया है। डीजल भी मार्च महीने की शुरुआत से शुरू कर देंंगे। बीएस-6 के लिए भी तैयार हैं। केवल क्रेटा और नई वर्ना मार्च में लांच करेंगे। वहीं, मारुति में भी बीएस-4 वाहनों की भारी डिमांड बनी हुई है। अर्टिगा के लिए ग्राहकों की लंबी वेटिंग है। मारुति प्रबंधन का कहना है कि नवंबर से ही उन्होंने बीएस-6 वर्जन के वाहन बेचने शुरू कर दिए थे।
दोपहिया वाहनों में डिस्काउंट
अग्रणी कंपनी हीरों ने अपनी स्कूटर में पांच हजार तक की छूट रखी है। बजाज और टीवीएस की 150 सीसी गाडिय़ों पर पांच हजार तक की राहत मिल रही है।
- 01 अप्रैल से केवल बीएस-6 वाहनों की ही बिक्री
- 31 मार्च तक ही बीएस-4 वाहन खरीदने के ऑफर
- 01 से ढाई लाख रुपये कम कीमत पर मिल रहीं कारें
- 15 हजार रुपये तक की छूट दोपहिया वाहनों पर
आधा रह गया था बाजार
पिछले कुछ महीनों से देश के ऑटो सेक्टर में मंदी की हवा उड़ रही थी। अगस्त से अक्टूबर तक वाहन बिक्री में 31.57 प्रतिशत तक गिरावट का दावा किया गया। कई लोगों की नौकरी जाने, एजेंसी बंद होने की खबरें आईं। लखनऊ की बात करें तो यहां भी पांच हजार वाहन रोजाना बिक्री का ग्राफ कुछ महीनों के लिए आधा रह गया था। हालांकि, बाद में सरकार सक्रिय हुई। बीएस-4 वाहनों पर तुरंत रोक का फैसला वापस लिया गया, जिसके बाद बाजार धीरे-धीरे चढऩे लगा।
जानें क्या है बीएस
सरकार वाहनों से उत्सर्जित होने वाले प्रदूषण के मानक तय करती है। इससे मतलब एमिशन स्टैंडर्ड से है। बोलचाल में बीएस यानी भारत स्टेज कहते हैैं। यह बताता है कि आपकी गाड़ी कितना प्रदूषण फैला रही है। बीएस के साथ जो नंबर होता है, उससे पता चलता है कि इंजन कितना प्रदूषण फैलाता है। यानी जितना बड़ा नंबर उतना कम प्रदूषण। इसी तर्ज पर बीएस-4, बीएस-5 और बीएस-6 निर्धारित किया गया है।
बीएस-6 के फायदे
बीएस-6 लागू होने के बाद प्रदूषण को लेकर पेट्रोल और डीजल कारों के बीच ज्यादा अंतर नहीं रह जाएगा। डीजल कारों में 68 फीसद और 25 फीसद तक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम हो जाएगा। साथ ही डीजल कारों से पीएम का उत्सर्जन कम होने की संभावना है।
कैसे तय होते मानक
भारत स्टेज यानी एमिशन स्टैंडर्ड को वर्ष 2000 में पेश किया गया था। यह स्टैंडर्ड सरकार तय करती है। यह एमिशन स्टैंडर्स इंटरनल कंबशन इक्विपमेंट से निकलने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तय होते हैं। अलग-अलग नाम्र्स केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है।
...मगर महंगे होंगे बीएस-6 वाहन
अभी ग्राहकों को भले छूट मिल रही है मगर, पर्यावरण को राहत देने वाले बीएस-6 वाहन उनकी जेब पर थोड़ा भारी पड़ेंगे। चार पहिया के लिए जहां 10 से 40 हजार रुपये तक अधिक खर्च करने पड़ेंगे। वही, दोपहिया के लिए पांच से 10 हजार तक अधिक खर्चा करना पड़ सकता है।