Move to Jagran APP

अब अपने ही खून की 'खुराक' से दूर होगा गठिया, पहले दिन से ही होगा असर-जानिए कैसे Lucknow News

शोध मरीज के 30 एमएल रक्त से तैयार प्लाजा ठीक करेगा दर्द। केजीएमयू का पीएमआर विभाग निदान की दिशा में करेगा पहल।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 12:20 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 10:50 PM (IST)
अब अपने ही खून की 'खुराक' से दूर होगा गठिया, पहले दिन से ही होगा असर-जानिए कैसे Lucknow News
अब अपने ही खून की 'खुराक' से दूर होगा गठिया, पहले दिन से ही होगा असर-जानिए कैसे Lucknow News

लखनऊ [संदीप पांडेय]। ऑस्टियो आर्थराइटिस (गठिया) का मुकम्मल इलाज हो सकेगा। वो भी मरीजों के ही खून से। केजीएमयू का पीएमआर (फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन) विभाग 'प्लेटलेट रिच प्लाज्मा' विधि से इलाज शुरू करने जा रहा है। इसके लिए सेंट्रीफ्यूज मशीन लगेगी। 

loksabha election banner

पीएमआर विभाग के डॉ. राहुल के मुताबिक, मरीज का 30 एमएल रक्त निकाला जाएगा। उसे सेंट्रीफ्यूज मशीन में डाला जाएगा, जहां प्लेटलेट रिच प्लाज्मा तैयार होगा। यह करीब चार एमएल बनेगा। इसको अल्ट्रासाउंड गाइडेड निडिल के माध्यम से घुटने व अन्य जोड़ों में डाला जाएगा। इसके असर से घुटने के जोड़ में सूखी कार्टिलेज (ऊतकों का समूह) लुब्रीकेंट में तब्दील होने लगेगा। ऐसे में गठिया के मरीज में जोड़ों की हड्डियों में घिसाव नहीं होगा। मरीजों को सूजन व दर्द से निजात मिलेगी। यह प्रक्रिया 15 से 20 मिनट की होगी। वहीं, खर्चा भी 500 या एक हजार रुपये आएगा। 

पहले दिन से ही होगा असर

डॉ. राहुल के मुताबिक, प्लेटलेट रिच प्लाज्मा कार्टिलेज के साथ-साथ अन्य शरीर के ऊतकों को भी दोबारा बनाएंगे। म्यूकोपॉली सेकराइड, ग्लूकोसामीन की पूर्ति भी इससे संभव है। यह डोज इंजेक्ट होते ही पहले दिन से असर शुरू करेगी। वहीं प्लेलेट रिच प्लाज्मा तीन सप्ताह में पूरा असर दिखाएगी।

स्पोट्र्स इंजरी में भी कारगर

प्लेटलेट रिच प्लाज्मा ऑस्टियो ऑर्थराइटिस ही नहीं हड्डी के कई रोगों में कारगर है। इसमें  स्पॉन्डलाइटिस, टेनिस एल्बो इंजरी, गोल्फर एल्बो, प्लांटर फेशिया, घुटने के अलावा कलाई का आर्थराइटिस।

नी आर्थराइटिस के अधिक मामले

पश्चिमी देशों में हिप आर्थराइटिस की समस्या अधिक है। वहीं देश में नी (घुटना) आर्थराइटिस अधिक हैं। यह दिक्कत घुटनों में कार्टिलेज खत्म होने से होती है। आर्थराइटिस पीडि़त महिलाएं अधिक हैं। अनुपात 100 मरीजों में 60 महिलाओं का है। इसका कारण, महिलाओं में 50 की उम्र पार मीनोपॉज व स्ट्रोजेन हार्मोन में कमी आना है। लखनऊ में 10 फीसद आबादी आर्थराइटिस की चपेट में हैं। 

क्या कहते हैं अफसर? 

पीएमआर विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार के मुताबिक, प्लेटलेट रिच प्लाज्मा से विभाग में इलाज शुरू होगा। इसकी तैयारी की जा रही हैं। एक माह में मरीजों को सुविधा मिलने लगेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.