दो बार ध्वस्तीकरण आदेश फिर भी नहीं कर सके इस मैरिज हॉल का बाल भी बांका Lucknow News
राज गार्डेन मैरिज हॉल को वर्ष 2006 में और फिर इस साल अप्रैल में दिया गया ढहाने का नोटिस। दोनों ही बार संचालक के रसूख और अफसर-अभियंता गठजोड़ ने बचाया।
लखनऊ, जेएनएन। दो बार ध्वस्तीकरण का नोटिस होने के बावजूद एलडीए के अभियंता-अफसर गठजोड़ की वजह से दो सौ कब्रों वाले कब्रिस्तान के ऊपर बने रॉयल हॉल मैरिज गार्डेन का अब तक बाल भी बांका नहीं किया जा सका। न तो जमीन का मालिकाना हक वैध है और न किया गया निर्माण, फिर भी मैरिज हॉल संचालक बेखौफ काबिज हैं। प्राधिकरण के अधिकारियों ने दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद मौके का एक बार फिर मुआयना कर ध्वस्तीकरण जल्द कराने की बात कही है।
इस अवैध मैरिज हॉल और कब्रिस्तान पर इसके निर्माण की खबर मंगलवार को जागरण ने प्रकाशित की। बाग शीतलाजी निवासी सैयद अब्दुल रहमान ने आइजीआरएस में शिकायत की थी कि 345-10ए राज गार्डेन बाग शीतलाजी अपट्रॉन पॉवर हाउस के सामने ये मैरिज हॉल है। कब्रिस्तान की इस भूमि को बेचा गया है, जबकि भूमि के संरक्षण का अधिकार ही बेचने वाले के पास था। वर्ष 1985 में एलडीए इस भूमि को अर्जित करना चाहता था, मगर तत्कालीन लेखपाल द्वारा यहां कब्रिस्तान होने और उसमें करीब 200 कब्रें होने की रिपोर्ट मिलने के बाद भूमि को अर्जन मुक्त कर दिया गया। इसके बाद न केवल इस भूमि को नियम विरुद्ध बेचा गया, बल्कि यहां मैरिज हॉल भी बनाया गया। एलडीए की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने 13 मई को इस निर्माण को ढहाने का नोटिस दिया था। इससे पहले करीब 13 साल पहले 17 फरवरी 2006 में भी ऐसा ही एक नोटिस दिया गया था। मगर दोनों ही बार पालन नहीं किया गया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
एलडीए की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने बताया कि इस संबंध में बुधवार को मौके का मुआयना कराया जाएगा। इसके अलावा 19 सितंबर को सुनवाई की भी संभावना है। निर्माण ढहाने के लिए अंतिम आदेश दिया जाएगा।