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विश्वकर्मा जयंती 2019: रिश्तों को जोड़ रहा तो कोई सिखाता अध्यात्म का पाठ, ये हैं समाज को संवारने वाले शिल्पी Lucknow News

विश्वकर्मा जयंती पर हम आपको समाज के कुछ ऐसे लोगों से मिलवा रहे हैं जो समाज में संस्कार पैदा करने के साथ महापुरुषों के विचारों से सींच रहे हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 09:18 AM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 03:16 PM (IST)
विश्वकर्मा जयंती 2019: रिश्तों को जोड़ रहा तो कोई सिखाता अध्यात्म का पाठ, ये हैं समाज को संवारने वाले शिल्पी Lucknow News
विश्वकर्मा जयंती 2019: रिश्तों को जोड़ रहा तो कोई सिखाता अध्यात्म का पाठ, ये हैं समाज को संवारने वाले शिल्पी Lucknow News

लखनऊ [जुनैद अहमद]। समाज, संस्कार, विचार, धार्मिक और सेवा संस्कार जिंदा रखना मौजूदा समय की सबसे बड़ी जरुरत बन गई है। समाज में संस्कार पैदा करने के लिए राजधानी के कई लोग हैं, जो लोगों में संस्कार भरने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ समाज में नैतिक शिक्षा जगा रहे हैं तो कोई धार्मिक संस्कारों की पाठशाला चला रहा है। वहीं, कुछ तो ऐसे हैं, जो महापुरुषों के विचारों से समाज को सींच रहे हैं। वहीं, कुछ परिवार टूटने से बचा रहे हैं।

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रिश्तों को जोडऩे को देती है प्राथमिकता

निजी जिंदगी और काम काज से वक्त निकालकर सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने वाली फैमली कोर्ट में काउंसलर गजाला फारूखी पिछले बीस सालों से समाजसेवा में लगी हुई हैं। वह महिलाओं को उनके सम्मान के साथ अधिकार के लिए आवाज बुलंद करने के लिए प्रेरित करती हैं। घरेलू ङ्क्षहसा में महिलाओं को इंसाफ दिलाती हैं। पति-पत्नी के रिश्तों को जोडऩे पर जोर देती है। बार्लिंंटन निवासी गजाला फैमली कोर्ट में महिलाओं का दुखदर्द बांटने में लगी हैं। पत्नियों को गुजारा भत्ते से लेकर उनकी हर जरूरत की जिम्मेदारी से मुंह मोडऩे वाले पतियों से अच्छे से समझाकर उनका हक दिलवाती हैं। उन्होंने बताया कि कोशिश करती हूं कि किसी का घर न टूटे, रिश्ता टूटता है, तो पूरा घर बिखर जाता है, और खासकर बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। ऐसे केस में महीनों काउंसिलिंग करती हूं। इस साल जुलाई-अगस्त माह में घरेलू ङ्क्षहसा के करीब 50 मामले निपटाए, सभी मामलों में महिलाओं के हित में गए।

 

अध्यात्म और ईमानदारी की पाठशाला

ब्रहमाकुमारी राधा बहन पिछले 35 वर्षों से अध्यात्म, ईमानदारी, आङ्क्षहसा, प्रेम, सच्चाई की पाठशाला चला रही हैं। कर्नाटक, हुबली, जयपुर जैसे शहरों में सेवा करके वह 25 सालों से लखनऊ में ज्ञान बांट रही हैं। वह अब तक राष्ट्रीय स्तर पर कई गतिविधियां कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि ब्रहमाकुमारी विश्व भर में फैला हुआ एक ऐसा आध्यात्मिक संस्थान है जो व्यक्तिगत परिवर्तन और विश्व नवनिर्माण के लिए समर्पित है। हम व्यक्ति को उसके दृष्टिकोण में भौतिक से आध्यात्मिकता तक परिवर्तन करने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे शांति की गहरी सामूहिक चेतना और व्यक्तिगत गरिमा के निर्माण करने में हरेक आत्मा को मदद मिलती है। हम महिलाएं मिल कर शाखा चलाते हैं। हमारे साथ कुछ पुरुष भी इस काम में जुटे हैं। हम हमेशा अपने निर्णय भाईयों के साथ मिलजुल कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि हमने 70 गांव में लगातार अभियान चला रहे हैं। इसके अलावा तमाम स्कूल, कॉलेज, संस्थाओं व ऑफिस में प्रवचन देने जाते हैं। शुरुआत हम लोगों का विरोध भी होता था, जो लोग हमारे पास गलत धारणा लेकर लडऩे आते थे, उन्हें पूरा सच बताया गया तो वह खुद सात दिन का कोर्स करने लगते हैं।

 

12 वर्षों से लोगों की नि:स्वार्थ सेवा

मेडिकल कॉलेज, बलरामपुर अस्पताल और लोहिया संस्थान में सेवा भाव से गरीब लोगों को फ्री भोजन कराने वाले विशाल सिंह पिछले करीब 12 वर्षों से इस कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने अपने पिताजी के नाम से विजय श्री फाउंडेशन की स्थापना की। अस्पतालों में भर्ती गरीब मरीजों व उनके तीमारदारों को पेट भर खाना खिलाने से पहल की।  पहले घर से खाना बनवा कर मेडिकल कॉलेज लखनऊ में भर्ती गरीब मरीजों के तीमारदारों को खिलाते थे। जून 2015 में 'प्रसादम सेवा' आरम्भ की। यहां प्रतिदिन लगभग 300 तीमारदारों को दोपहर में सात्विक भोजन कराया जाता है। भोजन प्राप्त करने वाले तीमारदारों का चयन भी विभिन्न वार्डों में तैनात डॉक्टर या नर्स द्वारा टोकन प्रणाली द्वारा किया जाता है। ऐसे ही सेवा बलरामपुर अस्पताल व लोहिया अस्पताल में भी चलाई जाती है। विशाल सिंह ने बताया कि वर्तमान में तीनों अस्पतालों में प्रतिदिन लगभग 900 व्यक्तियों को सात्विक स्वादिष्ट भोजन सम्मान के साथ बैठा कर कराया जाता है। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती बच्चों के लिए मिनी थियेटर की व्यवस्था की। मासूम चेहरों पर खुशी जाने के लिए एक टॉय बैंक की स्थापना की गई है। स्ट्रेचर एवं व्हीलचेयर सेवा शुरू की। अस्पतालों में वाटर कूलर लगाए गए हैं।

 

जन-जन तक पहुंचाते हैं स्वामी विवेकानंद का संदेश

महानगर के स्वामी विवेकानंद केंद्र के जीवन वर्ती कार्यकर्ता और संगठक अश्विनी कुमार पिछले करीब 15 वर्षों से स्वामी विवेकानंद के संदेश को आमजनों तक पहुंचा कर उनमें संस्कार का संचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद कहते थे कि व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र का पुन:निर्माण हो सकता है। उनके बताए हुए रास्ते और सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। नई पीढ़ी के साथ वरिष्ठ लोगों के लिए कार्यशाला, व्याख्यान, सेमिनार आदि आयोजित करते हैं। हमारे स्थानीय कार्यकर्ता की मदद से शहर के विभिन्न इलाकों में कार्यशाला आयोजित कराते हैँ, जिनमें लोग स्वामी जी के संदेश सुनते हैं। वहीं केंद्र में भी बच्चों के लिए शनिवार और रविवार को कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसमें बच्चों को संस्कार भरने का प्रयास किया जाता है।


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