गुमनाम प्राचीन अवशेषों का कराएं पंजीकरण, पुरातत्व विभाग चला रहा है अभियान Lucknow News
सौ साल पुराने पुरावशेषों के पंजीकरण के लिए 13 से 28 सितंबर के बीच चलेगा विशेष अभियान। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लखनऊ ने चलाया अभियान।
लखनऊ, जेएनएन। आपके पास या आसपास यदि किसी के पास पुरावशेष हैं तो उनका पंजीकरण कराएं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम 1972 की धारा 14 के तहत पुरावशेषों के पंजीकरण के लिए 13 से 28 सितंबर के बीच विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत सभी लोग, जिनके घरों के आसपास पुरावशेष या पुरानिधियां हैं, उन्हें पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। एएसआइ के अलीगंज स्थित लखनऊ मंडल कार्यालय में रजिस्ट्रीकरण अधिकारी पुरानिधियों की जांच-परख कर पंजीकरण करेंगे। शर्त यह है कि ये पुरानिधियां 100 वर्ष पुरानी होनी चाहिए।
इनका हो सकता है पंजीकरण
यह जानकारी एएसआइ के अधीक्षण पुरातत्वविद इंदु प्रकाश ने दी। उन्होंने कहा कि जिन पुरावशेषों का इसके तहत पंजीकरण किया जाना है, उनमें पत्थर, मिट्टी, धातु, हाथी दांत, लकड़ी और हड्डी से बनी मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा सभी माध्यमों जैसे कागज, लकड़ी, कपड़ा आदि पर बनी चित्रकला और हस्तलिपि हो सकती है। इसके अलावा लकड़ी की मूर्तियां (उकेरी व गोल मूर्तियां) शामिल हैं। डॉ. प्रकाश ने बताया कि सिक्के, हथियार, मेडल, फर्नीचर और आभूषण इसमें शामिल नहीं हैं।
एकत्र पुरावशेषों की लगेगी प्रदर्शनी
इंदु प्रकाश ने कहा कि इस अभियान के तहत जो पुरावशेष एकत्र होंगे उनकी 25 से 28 सितंबर के बीच रेजीडेंसी स्थित 1857 स्मृति संग्रहालय में प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। प्रदर्शनी को आमजन देख सकते हैं। इसका मकसद लोगों को अपने पुरावशेषों के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराने के साथ डाटा बैंक तैयार करना है।