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लविवि: चांसलर गोल्ड और चक्रवर्ती मेडल पर फैसला 13 को,आज जारी होगी सूचीLucknow News

वीसी व बेस्ट एनसीसी मेडल के नामों की भी होगी घोषणा।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 08:47 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 08:47 AM (IST)
लविवि: चांसलर गोल्ड और चक्रवर्ती मेडल पर फैसला 13 को,आज जारी होगी सूचीLucknow News
लविवि: चांसलर गोल्ड और चक्रवर्ती मेडल पर फैसला 13 को,आज जारी होगी सूचीLucknow News

लखनऊ, जेएनएन।  लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) ने 14 अक्टूबर को होने जा रहे दीक्षा समारोह को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। समारोह में दिए जाने मेडल की सूची तैयार कर ली गई है। लविवि प्रशासन द्वारा 11 सितंबर को सूची जारी की जाएगी। चांसलर गोल्ड, चक्रवर्ती, वीसी और बेस्ट एनसीसी केडेट मेडल पर 13 सितंबर को निर्णय लिया जाएगा।

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लविवि परीक्षा नियंत्रक प्रो ध्रुव सेन सिंह ने बताया कि मुख्य अतिथि के नाम की घोषणा लविवि प्रशासन द्वारा जल्द ही की जाएगी। समारोह में 200 पदक वहीं यूजी व पीजी को मिलाकर करीब 30 हजार से अधिक डिग्रियां दीक्षा समारोह में दी जाएंगी। समारोह में बेसिक स्कूल के 25 छात्र और 25 छात्राएं शामिल होंगे। मेडल सूची 11 सितंबर तक विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएगी। जिससे छात्र अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। आपत्ति निस्तारण के बाद अंतिम मेडल सूची जारी की जाएगी।

लूटा ने लगाए गंभीर आरोप, सीजेआई द्वारा शिलान्यास किए गए पत्थर को हटाकर कराया गया लोकार्पण

लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) और लविवि प्रशासन एक बार फिर आमने सामने आ गया है। लूटा ने लविवि प्रशासन के खिलाफ राजभवन से लिखित शिकायत की है। लूटा अध्यक्ष डॉ नीरज जैन व महामंत्री डॉ विनीत वर्मा की ओर से की गई शिकायत में कहा गया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में स्थित लॉ बिल्डिंग और उर्दू विभाग की बिल्डिंग का निर्माण एवं उद्घाटन तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा वर्ष 1966 में किया गया था। लविवि द्वारा इस बिल्डिंग के ऊपर तीसरे तल का निर्माण करवाया गया है। मगर 6 सितंबर 2019 को मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा केवल नवनिर्मित तल का उद्घाटन करवाने के बजाय पुराना पत्थर हटाकर उसकी जगह नया पत्थर लगवा दिया गया है और पूरी बिल्डिंग का उद्घाटन दोबारा करवाया गया, जो कि न केवल तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश का अपमान है बल्कि लविवि की छवि धूमिल करने वाला मामला भी है। उर्दू विभाग की बिल्डिंग का एक तल पूर्व में ही निर्मित किया जा चुका था। यह निर्माण लखनऊ के प्रतिष्ठित लॉरी घराने द्वारा दिए गए अनुदान से हुआ था। लूटा पदाधिकारियों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य का पत्थर किसी अन्य द्वारा हटाया जाना गलत है। लूटा ने राज्यपाल से निष्पक्ष जांच कराकर मामले में सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।  


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