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शिक्षक क्षेत्र एमएलसी चुनाव में बढ़ता सियासी दलों का दबदबा, संगठनों को मिल रही कड़ी चुनौती

विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की छह सीटों पर अगले साल होने वाले चुनाव में राजनीतिक दलों की घुसपैठ बढ़ जाने के कारण शिक्षक संगठनों का वर्चस्व दरकता नजर आ रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 05:33 PM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 05:33 PM (IST)
शिक्षक क्षेत्र एमएलसी चुनाव में बढ़ता सियासी दलों का दबदबा, संगठनों को मिल रही कड़ी चुनौती
शिक्षक क्षेत्र एमएलसी चुनाव में बढ़ता सियासी दलों का दबदबा, संगठनों को मिल रही कड़ी चुनौती

अवनीश त्यागी, लखनऊ। विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की छह सीटों पर अगले साल होने वाले चुनाव में राजनीतिक दलों की घुसपैठ बढ़ जाने के कारण शिक्षक संगठनों का वर्चस्व दरकता नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी के अलावा भारतीय जनता पार्टी भी मैदान में उतरने का मन बना चुकी है। वर्ष 2014 में बरेली-मुरादाबाद क्षेत्र में शिक्षक संगठनों को पछाड़ कर समाजवादी पार्टी ने शिक्षकों की राजनीति में दखल बढ़ा दी थी। विधान परिषद में बहुमत हासिल करने के लिए बेताब सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी अपनी सीटें बढ़ाने का यह मौका गंवाना नहीं चाहती है। समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है, वहीं भाजपा में भी मंथन अंतिम चरण में है।

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विधान परिषद में शिक्षक राजनीति पर नजर डालें तो सत्तर के दशक में शिक्षक निर्वाचन सीटों पर शर्मा और पांडे गुट में ही मुख्य संघर्ष रहता था, जिसमें अधिकतर शर्मा गुट का पलड़ा ही भारी रहा। गठन के बाद शर्मा गुट सभी आठ सीटें जीतने में कामयाब रहा। इस गुट के सर्वेसर्वा ओमप्रकाश शर्मा लगातार जीत का रिकार्ड बनाए हुए हैं। शर्मा गुट अब भी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की आठ में से चार सीटों पर काबिज है जबकि दो सीटें चंदेल गुट के पास हैं। वहीं, एक-एक सीट वित्तविहीन महासभा और सपा के खाते में है। शिक्षक राजनीति में गुटबाजी के साथ अन्य संगठनों का दखल बढऩे से भी राजनीतिक दलों को अपना दखल बढ़ाने की राह मिली।

पंचानन के निधन के बाद बढ़ा बिखराव

शिक्षक राजनीति मेें शर्मा गुट का दबदबा पूर्व विधान परिषद सदस्य पंचानन राय के निधन के बाद कम होना आरंभ हुआ और बिखराव भी बढ़ा। वर्ष 2011 में लखनऊ के कालीचरण इंटर कालेज में राजबहादुर सिंह चंदेल और चेतनारायण सिंह की अध्यक्षता में चंदेल गुट का गठन हुआ। इस के चलते ही वर्ष 2014 में शर्मा गुट बरेली -मुरादाबाद व लखनऊ सीटें हार गया। इस कारण वित्तविहीन महासभा और सपा को शिक्षक राजनीति में एंट्री मिली। पहली बार किसी राजनीतिक दल को शिक्षक सीट प्राप्त हो गई। शिक्षक नेता डा.महेंद्रनाथ राय का कहना है कि अब शिक्षकों को मान सम्मान बचाने के लिए लडऩा होगा। शिक्षकों की गुटबाजी राजनीतिक दलों का दखल बढ़ाने में मददगार है, वहीं वित्तविहीन स्कूल व कालेजों के शिक्षक संगठनों की भूमिका भी अहम होगी।

इन सीटों पर होगा चुनाव

शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र : वाराणसी, गोरखपुर-फैजाबाद, मेरठ, लखनऊ, आगरा, बरेली-मुरादाबाद

कौन किस पर काबिज

गोरखपुर, फैजाबाद, मेरठ व आगरा : शर्मा गुट

वाराणसी : चंदेल गुट

लखनऊ : वित्तविहीन महासभा

बरेली, मुरादाबाद : समाजवादी पार्टी


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