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ग्रह-नक्षत्रों का खेल बताकर बच निकले दूसरों को जेल भेजने वाले इंस्पेक्टर Lucknow News

प्रिंसिपल से बदसलूकी के आपराधिक कृत्य पर भी कोई कार्रवाई नहीं। भावुक प्रिंसिपल बोले मैंने क्षमा किया मगर कम हो खाकी का गुरूर।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 03:17 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 03:17 PM (IST)
ग्रह-नक्षत्रों का खेल बताकर बच निकले दूसरों को जेल भेजने वाले इंस्पेक्टर Lucknow News
ग्रह-नक्षत्रों का खेल बताकर बच निकले दूसरों को जेल भेजने वाले इंस्पेक्टर Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। सैकड़ों छात्र और शिक्षकों की मौजूदगी में बीकेटी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल से बदसलूकी करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर महज ग्रह-नक्षत्रों का वास्ता देकर बेदाग बच निकले। कानून की नजर में उनका कृत्य बेशक गंभीर अपराध है लेकिन, उनका बाल भी बांका नहीं हो पाया। इंस्पेक्टर के आगे पूरी आइपीसी बौनी साबित हो गईं। सिर्फ इसलिए क्योंकि, यहां ‘अपराधी’ पुलिस थी, जांच करने वाली भी पुलिस और अंत में जज बनकर तथाकथित माफी का फैसला सुनाने वाली भी पुलिस ही..।

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हद तो यह हो गई कि बड़े साहब के दबाव में ही सही, प्रार्थना सभा के दौरान खेद जताने पहुंचे इंस्पेक्टर में वर्दी का गुरूर फिर भी नहीं गया। माफी के बजाय, अमर्यादित ढंग से महज अहंकार का बोध कराकर चले गए। हालांकि, यहां सवाल सिर्फ माफी नहीं है। मुद्दा सिर्फ इतना है कि आखिर मामूली अपराध में लोगों को जेल दिखा देने वाले इंस्पेक्टर को छूट कौन सी कानून की किताब पढ़कर दे दी गई।

बीकेटी इंटर कॉलेज में एडमिशन के नाम पर प्रधानाचार्य आरके सिंह तोमर से की गई अभद्रता मामूली घटना नहीं कही जा सकती। ऐसा करने वाला आम इंसान नहीं बल्कि धाराओं के खिलाड़ी इलाके के कोतवाल अमरनाथ वर्मा ही थे। उनका कृत्य इसलिए भी गंभीर था क्योंकि, बदसलूकी शैक्षिक संस्थान में की। मामला चर्चा में नहीं आता अगर, प्रिंसिपल मुखर न हुए होते। अपमान से आहत होकर उन्होंने एसएसपी, डीआइओएस से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई। यह दीगर है कि कानूनी कार्रवाई के बजाय इंस्पेक्टर को माफी की शर्त पर छोड़ दिया।

एसएसपी कलानिधि नैथानी ने कहा क‍ि पुलिसकर्मियों को परस्पर समन्वय बनाकर जनहित में काम करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रधानाध्यापक ने इंस्पेक्टर को माफ कर दिया है। अगर आगे कोई शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

दो साल की हो सकती है सजा

ऐसे मामले में आम इंसान को दो साल की जेल हो सकती है। एडवोकेट अरुण कुमार ंिमश्र के मुताबिक, इंस्पेक्टर के कृत्य में आइपीसी की धारा 504, 506 और 509 के तहत केस बनता है। इसमें दो साल की सजा और जुर्माना संभव है। हालांकि, धाराएं जमानती हैं। आपसी समझौता भी संभव है। अगर प्रधानाचार्य चाहें तो इंस्पेक्टर जेल तक जा सकते हैं।

...मगर प्रिंसिपल ने दिखाया बड़ा दिल

घटनाक्रम को याद करके प्रिंसिपल आरके सिंह तोमर फिर भावुक हो गए। बताया कि किस तरह इंस्पेक्टर ने सबके सामने बेइज्जत किया। बोले, हमने उंनको क्षमा कर दिया है। भले ही माफी मांगने के बजाय उन्होंने आत्मग्लानि शब्द का ही इस्तेमाल किया। फिर भी ऐसा कोई शख्स किसी थाने का इंचार्ज बनने लायक नहीं है।वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मंत्री डॉ. आरपी मिश्र ने कहा क‍ि प्रधानाचार्य के साथ र्दुव्‍यवहार करने वाले इंस्पेक्टर के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। अफसरों ने संज्ञान नहीं लिया तो संगठन सड़क पर उतरेगा।  


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