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आंत से बनाया किशोरी का जननांग, देश का पहला और विश्व में तीसरा सफल ऑपरेशन Lucknow News

केजीएमयू में सिग्मॉयड वेजाइनोप्लाटी तकनीक से सफल ऑपरेशन। डॉक्टरों का विश्व में तीसरी सर्जरी का दावा।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 11:16 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 08:30 AM (IST)
आंत से बनाया किशोरी का जननांग, देश का पहला और विश्व में तीसरा सफल ऑपरेशन Lucknow News
आंत से बनाया किशोरी का जननांग, देश का पहला और विश्व में तीसरा सफल ऑपरेशन Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू डॉक्टरों ने 16 वर्षीय किशोरी की आंत के टुकड़े से सफलतापूर्वक जननांग विकसित किया है। सिग्मॉयड वेजाइनोप्लाटी तकनीक से यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा। दावा है कि इस तरह का देश में पहला और विश्व में तीसरा ऑपरेशन है। ऐसे केस दस हजार में किसी एक बच्ची में मिलते हैं। 

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रायबरेली निवासी किशोरी के जन्म से ही जननांग (वेजाइना, यूटेरस) नहीं थे। परिजनों ने शुरुआत में समस्या को नजरअंदाज किया। उम्र बढ़ने के साथ अंगों के विकास का इंतजार करते रहे। लोकलाज में जन्मजात बीमारी पर पर्दा डाले रहे। 16 की उम्र में बेटी को मासिक धर्म शुरू न होने पर स्थानीय महिला रोग विशेषज्ञ को दिखाया। वहां से किशोरी को केजीएमयू रेफर कर दिया गया।

एमआरकेएच सिंड्रोम-टाइप टू निकला

केजीएमयू में यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विश्वजीत के मुताबिक, जांच में किशोरी एमआरकेएच सिंड्रोम-टाइप टू से पीडि़त मिली। साथ ही, वेजाइनल एजेनिसिस की समस्या समेत करीब नौ बीमारियों से ग्रसित थी। वेजाइनल एजेनिसिस की वजह से ही किशोरी का जननांग, यूटेरस, ओवरी और यूटेरिन ट्यूब आदि विकसित नहीं हुए थे। 

एक ही किडनी मिली

डॉ. विश्वजीत के मुताबिक, किशोरी के एक्स-रे, सीटी स्कैन, ईको, अल्ट्रासाउंड और ब्लड समेत अन्य जांचें कराई गईं। उसकी गर्दन की हड्डी सामान्य से छोटी थी। हाथ में कई उंगली आपस में जुड़ी थीं और एक ही किडनी मिली। इसके अलावा हार्ट के वॉल्व में भी खराबी पाई गई। 

ऐसे किया सफल ऑपरेशन

किशोरी के शरीर में लगभग दो मीटर की आंत मौजूद थी। पेट के निचले हिस्से में 10 सेमी का चीरा लगाया गया। इसमें से बीच से 10-12 सेंटीमीटर का टुकड़ा कट किया गया। इसके बाद आंत को आपस में जोड़ दिया गया। कटा हुआ हिस्सा अंदर से ही जननांग के पास ले जाया गया। इसमें रक्त की धमनियां जुड़ी हुई थीं। माइक्रो व प्लास्टिक सर्जरी के जरिए जननांग विकसित किया गया। ऑपरेशन में डेढ़ घंटे लगे। शनिवार को किशोरी को डिस्चार्ज कर दिया गया। उसमें यूटेरस अविकसित है, इसलिए गर्भधारण नहीं कर सकती है। हालांकि, वैवाहिक जीवन बिता सकती है।

टाइप-वन के 15 मरीजों के हो चुके ऑपरेशन

डॉ. विश्वजीत के मुताबिक, एमआरकेएच सिंड्रोम दो तरह का होता है। टाइप वन में सिर्फ वेजाइना और यूटेरस नहीं होता है। वहीं, टाइप-टू में जननांग अविकसित के साथ-साथ कई समस्या होती हैं। टाइप-वन के केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग में 15 मरीजों के ऑपरेशन हो चुके हैं। टाइप-टू में सिग्मॉयड वेजाइनो प्लाटी केजीएमयू व देश में पहला ऑपरेशन हुआ है। इससे पहले इंटरनेट पर अमेरिका में दो केसों के ऑपरेशन रिपोर्ट किए गए हैं। 

क्या है एमआरकेएच ?

एमआरकेएच सिंड्रोम को मेयर टॉकीटेंसकी, कुस्टर, हाउसर सिंड्रोम कहा जाता है। यह जेनेटिक बीमारी है, जिसमें निजी अंग छोटे, अविकसित होते हैं। गर्दन छोटी होना, सिर छोटा होना, अंगुलियों का सामान्य न होना, किडनी, हार्ट, लिवर, पैंक्रियाज आदि में समस्या होती है। 


आयुष्मान से ऑपरेशन, टीम में थे ये डॉक्टर

किशोरी का ऑपरेशन आयुष्मान योजना के तहत हुआ। टीम में डॉ. विश्वजीत सिंह, डॉ. राहुल जनक सिन्हा, डॉ ज्ञानेंद्र, डॉ मुकेश, डॉ. कौशल, डॉ. जिया व नर्सिंग स्टाफ शामिल रहा। निजी अस्पताल में इसका खर्च तीन लाख के करीब आता।


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