गृहलक्ष्मी के स्पर्श से कचरा भी बना ‘सोना’, पेश की ऐसी मिसाल Lucknow News
महिलाओं ने कूड़ा प्रबंधन की कमान थामकर गढ़ी नजीर। परिवार की माली हालत सुधारी गांव की तस्वीर भी बदली।
लखनऊ [राजीव बाजपेयी]। लखनऊ-रायबरेली नेशनल हाईवे के किनारे बसा लालपुर गांव स्वच्छता के मामले में मिसाल बन गया है। इसका श्रेय यहां की महिलाओं को जाता है। घर के चूल्हे-चौके के साथ उन्होंने गांव के कूड़ा प्रबंधन की कमान थामी तो तस्वीर बदल गई। परिवार की मुफलिसी दूर हुई और गांव भी चमकने लगा। गृह लक्ष्मी के स्पर्श से यहां कचरा सोना बन रहा है।
यहां सवेरे महिलाएं रिक्शा लेकर निकलती हैं। गांव के प्रत्येक घर से कूड़ा एकत्र करतीं हैं। इसके बदले एक तय शुल्क लिया जाता है। सूखे और गीले कूड़े को अलग-अलग रखा जाता है। एक निजी संस्था की मदद लेकर कूड़े से जैविक खाद भी तैयार होती है। इसे बेचा जाता है। इसके साथ ही ये महिलाएं कूड़े से कबाड़ छांटकर उसे अलग से बेच देती हैं। महिलाएं स्वच्छता के साथ आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा रहीं हैं।
पहले कचरे से बजबजाती थीं नालियां
राजधानी से करीब 40 किलोमीटर दूर लालपुर गांव में करीब सवा दो सौ घर हैं। अधिकांश घरों के लोग मेहनतकश मजदूर और छोटे काश्तकार हैं। गांव की नालियां कचरे से जाम होकर बजबजाती थीं। हर ओर गंदगी का अंबार था। राजधानी से करीब होने के बावजूद सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के पहुंचने की रफ्तार सुस्त थी। अब सब कुछ पूरी तरह से बदल चुका है।
ऐसे शुरू हुआ स्वच्छता और सफलता का सफर
पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरणा पाकर ग्राम प्रधान जितेंद्र ने हरिता स्वयं सहायता समूह तैयार किया। इसमें ऐसी महिलाओं को शामिल किया जो घर की देहरी से निकल कर परिवार के लिए कुछ करना चाहती थीं। अध्यक्ष निर्मला सिंह, सचिव सीमा और कोषाध्यक्ष गायत्री की अगुवाई में यह समूह केवल लालपुर में ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में भी स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की अलख जगा रहा है। अब गांव का नाम अफसरों की जुबान पर है। तमाम योजनाओं के रूप में इसका लाभ यहां के हर व्यक्ति को मिल रहा है।
क्या कहते हैं अफसर ?
मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार बंसल के मुताबिक, लालपुर में महिलाओं ने जिस तरह स्वच्छता की कमान संभाली है वह अपने में मिसाल है। सभी ग्राम पंचायतों को इससे सबक लेना चाहिए।