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रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी कर रहा था बर्खास्त कर्मचारी, ऐसे बनाते थे शिकार

गिरोह के सरगना और उसके छह साथियों को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली राजस्थान पश्चिम बंगाल लखनऊ और गोरखपुर तक फैला नेटवर्क।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 08:24 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 12:17 PM (IST)
रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी कर रहा था बर्खास्त कर्मचारी, ऐसे बनाते थे शिकार
रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी कर रहा था बर्खास्त कर्मचारी, ऐसे बनाते थे शिकार

लखनऊ, जेएनएन। गोरखपुर में नार्दन रेलवे का बर्खास्त कर्मचारी सुशील कुमार वर्मा उर्फ बीके सिंह ने साथियों संग मिलकर 50 से अधिक बेरोजगारों को टीसी, क्लर्क और गैंगमैन के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये ठग लिए। एएसपी टीजी अमित कुमार और उनकी टीम ने एक युवती समेत चार पीडि़तों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर गिरोह के सरगना सुशील कुमार और उसके छह साथियों को दबोच लिया। गिरोह दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, लखनऊ, गोरखपुर और कानपुर तक सक्रिय था। पुलिस ने गिरोह के पास से फर्जी नियुक्तिपत्र, एक लाख की नकदी, टीटी की वर्दी, टाई, दो नेम प्लेट, कार और हिसाब-किताब वाली डायरी बरामद की है। 

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ये हुए गिरफ्तार

एएसपी टीजी के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपितों में सुशील कुमार शर्मा उर्फ बीके सिंह निवासी गोरखपुर राजघाट बसंतपुर, लखन सिंह पूर्व रेलवे कोच अटेंडेंट निवासी ग्वालियर मुरार छुरावली तिराहा, अंकित कटियार कानपुर नौबस्ता गुंजन विहार, मिथुन गौतम निवासी भिंड लहर वार्ड नंबर नौ, अरुण बरइया निवासी मध्यप्रदेश पुरैना बानमौर, बामौर, गोरखपुर खारोबार गांमघाट का श्रवण यादव उर्फ गुल्लू और राजेंद्र पासवान गोरखपुर गोला डेईडिहा का रहने वाला है। 

आरोपितों से ये हुई बरामदगी

उक्त लोगों के पास से दो फर्जी नियुक्तिपत्र, दो बैज टीई, दो नेम प्लेट, दो काले को, टाई, एक लाख रुपये, 12 मोबाइल फोन, डायरी हिसाब किताब लिखी हुई और एक कार बरामद की गई है। गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश में दबिश दी जा रही है। एएसपी टीजी ने बताया कि गिरोह से संबंधित जो भी पीडि़त फरियाद लेकर आएगा उसके आधार पर मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। 

कंसल्टेंसी एजेंसी और ट्रेनों में ढूंढते थे शिकार

एएसपी टीजी ने बताया कि गिरोह का सक्रिय सदस्य अंकित कटियार कानपुर में कंसल्टेंसी एजेंसी चलाता था। कंसल्टेंसी से बेरोजगार युवकों और युवतियों को फंसाकर वह सुशील से मिलाता था। सुशील उन्हें रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर रुपये तय कराता था। वहीं, लखन सिंह ट्रेनों में सफर करता रहता था। वह लोकल ट्रेनों की ऐसी बोगी में बैठता था, जिसमें छात्र-छात्राएं बैठी हों। ट्रेन में ही बात करने के दौरान वह उन्हें अपने झांसे में फंसा लेता था। 

यह था रेट 

टीसी के लिए आठ लाख रुपये, क्लर्क के लिए पांच लाख रुपये और गैंगमैन के लिए तीन लाख रुपये। 

रेलवे स्टेशन पर बड़े अधिकारी के दफ्तर के आसपास करते थे लेन-देन 

गिरोह का सरगना बहुत शातिर था। वह बेरोजगारों के साथ मीटिंग करने के लिए उन्हें दिल्ली, कानपुर, गोरखपुर, लखनऊ के चारबाग और बादशाहनगर स्टेशनों के आसपास बुलाता था। यहां वह किसी अधिकारी के दफ्तर के आसपास ही क्लाइंट से मुलाकात कर उन पर विश्वास जताता था। उसके बाद उसी के आसपास रुपये लेता था। 

कई रेल अधिकारियों और कर्मचारियों की भी जांच 

एएसी टीजी ने बताया कि गिरोह की कॉल डिटेल खंगाली जा रही हैं। आशंका है कि उनके साथ रेलवे के कई कर्मचारी और अधिकारी भी जुड़े हो सकते हैं। कॉल डिटेल के आधार पर पड़ताल कर कार्रवाई की जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। 


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