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बिजली की चाक से मिलेगी मिट्टी की कला को बुलंदी, लखनऊ समेत 19 जिलों को मिलेगा आत्मनिर्भर भारत योजना का लाभ

पारंपरिक कामगारों के लिए कुम्हारों को दिया जाएगा बिजली की चाक उत्तर प्रदेश के 19 जिलों में आत्म निर्भर भारत योजना का मिलेगा लाभ।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 07:11 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 11:40 AM (IST)
बिजली की चाक से मिलेगी मिट्टी की कला को बुलंदी, लखनऊ समेत 19 जिलों को मिलेगा आत्मनिर्भर भारत योजना का लाभ
बिजली की चाक से मिलेगी मिट्टी की कला को बुलंदी, लखनऊ समेत 19 जिलों को मिलेगा आत्मनिर्भर भारत योजना का लाभ

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। काेरोना संक्रमण काल में जहां एक ओर श्रमिकों को रोजगार देने की कवायद चल रही है तो दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा रहा है। इसी कड़ी में अब पारंपरिक कामगारों की कला को नई ऊंचाई देने की कवायद शुरू हो रही है। आत्म निर्भर भारत योजना के तहत राजधानी समेत प्रदेश के 19 जिलों के ऐसे पारंपरिक कारीगरों के काम को नई ऊंचाई दी जाएगी। मिट्टी का परपंरागत काम करने वाले कुम्हारों को बिजली चालित चाक देकर उनके हुनर की कला को बुलंदी दी जाएगी तो काष्ट कला के करीगरों को नई तकनीक का प्रशिक्षण देकर उनकी कलाकर देश विदेश तक फैलाया जाएगा। इसी जिम्मेदारी खादी और ग्रामोद्योग आयोग को दी गई है।

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इन विधाओं मेें मिलेगा प्रशिक्षण

केंंद्र सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग की पहल पर सूबे में पहले चरण में 19 जिलों में यह योजना लागू की जाएगी। इस चरण में कुम्हारी कला, शहद उत्पादन, लेदर क्राफ्ट और लकड़ी की कला को शामिल किया गया है।

इन जिलों मेें होगी शुरुआत

राजधानी के अलावा अयोध्या, हरदोई, जालौन, अमेठी,सीतापुर, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सुलतानपुर, उन्नाव,फतेहपुर, बांदा, जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र अंबेडकर नगर, प्रयागराज, बलिया, कौशांबी व प्रतापगढ़ में योजना की शुरुआत होगी।

इस महीने के अंत से होगी शुरुआत

आयोग के सहायक निदेशक एके मिश्रा ने बताया कि नव नियुक्त निदेशक की पहल पर केंद्र सरकार की ओर से चयनित 19 जिलों में 25 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक आए हैं, उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए इस योजना की शुरुअात हो रही है। केंद्र सरकार की इस योजना की शुरुआत इस महीने के अंत तक हो जाएगी। प्रशिक्षण के लिए हर विधा में 200 कामगारों का चयन हो चुका है।

रोजगार की बढ़ेगी संभावना

केंंद्र सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग के नव नियुक्त राज्य निदेशक डीएस भाटी ने बताया कि इस योजना को मूर्त रूप देने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इससे न केवल प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिलेगा बल्कि जिले में अन्य वर्ग के लोगों को भी काम की किल्लत नहीं होगी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की खादी एक वस्त्र नहीं विचारधारा है जो हर किसी को रोजगार से जोड़ता है। इस योजना का भी यही उद्देश्य है। लुघ उद्याेगों का बढ़ावा देने के साथ ही चारो विधाओं में 200-200 कामगारों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। कई चरणों में प्रशिक्षण की तैयारी है।


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