चलती बस के पहिए निकले, चालक की सूझबूझ से बची यात्रियों की जान
पहिये का नट-बोल्ट ढीला होने के बाद दोनों चक्के बाहर आए। 15 से अधिक यात्री थे सवार।
लखनऊ, जेएनएन। हरदोई से लखनऊ आ रही परिवहन निगम की एक चलती बस के पिछले दोनों पहियों के नट बोल्ट निकल गए। बांयी ओर के दोनों पहिए निकलकर बाहर निकल आए। बस अनियंत्रित हो सड़क पर रगड़ते हुए रुक गई। बस में सवार यात्री चीखने लगे। हालांकि चालक की समझदारी से एक बड़ा हादसा टल गया। कंडक्टर ने डिपो को सूचना देकर बस में सवार यात्रियों को दूसरी बस से रवाना किया।
हादसा बुधवार सुबह का है जब कैसरबाग डिपो की बस संख्या यूपी 33एटी-3566 हरदोई से लखनऊ आ रही थी। करीब एक किमी. के अंतराल पर माधवगंज के पास चलती बस के दोनों पहियों के बोल्ट निकल गए। एक ओर पहिए निकलते ही बस लटकने की स्थिति में आकर चेचिस पर पहियों के बीच फंस गई। बस का पहले बांयी ओर का पिछला एक पहिया बाहर लटका फिर दूसरा बाहर खिसक गया। चालक को आभास हुआ तो उसने बस को रोकने की कोशिश की। बस रगड़ते हुए किसी तरह चेचिस पर रुक गई। तब तक पहिए बाहर निकल गए। बस में 15 से अधिक यात्री सवार थे। हरदोई के पास क्षतिग्रस्त हुई बस के चालक रंजीत सैनी की सूझबूझ से बस में सवार 15 से अधिक यात्रियों की किसी तरह जान बची।
कैसे निकल पड़ती हैं खटारा रोडवेज बसें
तमाम दावों के बाद भी खटारा बसों का संचालन थमा नहीं है। 'जागरण' ने इसे लेकर कई बार अभियान चलाकर जिम्मेदारों को बसों के रखरखाव में सुधार के लिए आगाह किया पर सुधार नहीं दिखा। नट बोल्ट न होने को लेकर समाचार प्रकाशित किया गया है। अक्सर रूट पर खटारा बसें खड़ी हो जाती हैं। यहां तक चालकों की सूचना पर त्वरित रूप से अधिकारी मौके पर जाकर जांच कराने तक की जहमत नहीं उठाते हैं। सूत्र बताते हैं कि सीनियर फोरमैन की लापरवाही से सबसे ज्यादा बसें रूट ऑफ रहती हैं। हादसों पर चालकों को दोषी ठहरा कटौती कर दी जाती है।
कैसरबाग बस अड़डे के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अमरनाथ सहाय ने कहा कि इस लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह गंभीर मामला है। जो भी जिम्मेदार होगा। उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। चलती बस के पहिये का नट निकल जाने से यह हादसा हुआ है। कुंभ में हूं। गुरुवार को डिपो में पहुंचने पर इसकी जांच करा कार्रवाई की जाएगी, फिर चाहे सीनियर फोरमैन हो या कोई अन्य।