डॉक्टर बनाने को तैयार पांच नए मेडिकल कॉलेज, पूरी हुई प्रधानाचार्यों की नियुक्ति
आरक्षण में संशोधन के कारण शिक्षकों के करीब 30 पदों को छोड़कर बाकी 220 पदों के लिए भी इंटरव्यू पूरा हो चुका है।
लखनऊ, जेएनएन। प्रदेश के पांच नए मेडिकल कॉलेज इस साल से डॉक्टरी की पढ़ाई कराने को तैयार हो गए हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पिछले हफ्ते तेजी से इंटरव्यू करते हुए इन कॉलेजों के लिए जहां प्रधानाचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली है, वहीं एमबीबीएस की पढ़ाई कराने के लिए इन कॉलेजों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भी भर्ती का पहला चरण पूरा हो गया है।
केंद्र सहायतित परियोजना के तहत राज्य सरकार ने बस्ती, अयोध्या, शाहजहांपुर, फीरोजाबाद व बहराइच के जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में बदलने का काम लगभग पूरा कर लिया है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.केके गुप्ता ने बताया कि नए मेडिकल कॉलेजों के लिए भवन निर्माण व संसाधनों की व्यवस्था का काम पूरा हो चुका है, जबकि पिछले हफ्ते किए गए इंटरव्यू के जरिये सभी पांच मेडिकल कॉलेजों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है।
यह है जरूरत
डॉक्टरों की कमी दूर करने के कई उपाय आजमाने के बाद शासन के वरिष्ठ अधिकारी अब इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि राजकीय मेडिकल कॉलेजों की तादाद और एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ाए जाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं है। खास तौर पर विशेषज्ञ चिकित्सक हासिल करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में पीजी कक्षाओं की जरूरत है। इसकी गंभीरता इससे समझी जा सकती है कि अस्पतालों व स्वास्थ्य योजनाओं की संख्या लगातार बढऩे के बावजूद बीते दो दशकों में 600 विशेषज्ञ चिकित्सकों को भी स्थाई रूप से जोड़ा नहीं जा सका है, जबकि प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के मौजूदा 2922 विशेषज्ञ चिकित्सकों में से तीन चौथाई से अधिक 50 वर्ष की आयु के हैं।
एमसीआइ का निरीक्षण अगले महीने
नए मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई शुरू करने से पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की अंतिम सहमति जरूरी होगी। एमसीआइ की टीम निरीक्षण के लिए अगले महीने आएगी। एमसीआइ की टीम दो बार इन कॉलेजों का निरीक्षण कर कार्य की प्रगति का अंदाजा ले चुकी है।