शहीदों के परिजनों में आक्रोश : पूछा, सरकार ने क्यों बदला था एसओपी नियम
कश्मीर में आंतरिक खूफिया को मजबूत करने की जरूरत। पाकिस्तान को देना होगा मुंहतोड़ जवाब, सभी तरह के संबंध खत्म करे सरकार।
लखनऊ, जेएनएन। जम्मू कश्मीर में आतंकी घटना से शहीदों के परिजनों में आक्रोश है। भारत के ढीले रवैये और तत्कालीन जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा बदले गए स्टैंडिंग ऑपरेटिंग पोजिशन (एसओपी) को घटना की बड़ी वजह मान रहे हैं। वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को करारा जवाब देने की बात एक बार फिर शहीदों के परिजनों ने की। आश्रितों ने सरकार पर अनदेखी का भी आरोप लगाया। 1997 के ऑपरेशन रक्षक, 1971 का भारत पाक युद्ध शहीदों, वर्ष 2000 ऑपरेशन रक्षक और वर्ष 2005 के ऑपरेशन रक्षक में शहीद हुए आश्रितों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
ओपी त्रिपाठी, पिता (सेवानिवृत्त व हवलदार )
पाकिस्तान मानने वाला नहीं है, मजबूती से सबक सिखाना चाहिए। आखिर कब तक हम जवानों की बलि चढ़ाते रहेंगे। मैंने 1997 के ऑपरेशन रक्षक में जवान बेटे अरुण कुमार त्रिपाठी को खोया था। हालांकि मुझे इसकी चिंता नहीं है, लेकिन हम कब ऐसे सहते रहेंगे, कठोर कदम उठाना चाहिए।
चन्द्राना पत्नी राजा सिंह (वीर चक्र)
दो से तीन दिन शोर रहेगा, फिर सरकार भूल जाती है। आश्रितों में मां बाप, बीवी व ब'चे जीवन भर संघर्ष किया करते हैं। अब समय आ गया है कि एक-एक शहीदों की शहादत का बदला सरकार अ'छी तरह से ले। यही स'ची श्रद्धांजलि और शहीदों का सम्मान होगा। मैं 1971 के भारत पाक युद्ध में पति राजा सिंह (वीर चक्र) को खोने के बाद से आज भी संघर्ष कर रही हूं।
समा देवी, पत्नी शहीद हर्षवर्धन सिंह
सरकार को कुछ ऐसा कदम उठाना चाहिए कि और घरों में महिला विधवा न हो। क्योंकि वादे करके सरकारें भूल जाती हैं और आश्रित जीवन भर संघर्ष किया करते हैं। वर्ष 2004 में ऑपरेशन रक्षक में पति हर्ष वर्धन सिंह शहीद हुए थे, सरकार ने कोई मदद नहीं की।
शांति विष्ट, माता शहीद लेफ्टिनेंट हरि सिंह
भाषण से काम नहीं चलता, जिनके घर का लाल शहीद होता है, असली दर्द वही जानता है। सरकार को चाहिए कठोर कदम उठाए। घुट-घुट कर मरने से अ'छा है, एक बार आर-पार हो जाए। 21 जुलाई 2000 को शहीद हुए बेटे लेफ्टिनेंट हरि सिंह विष्ट की याद में आंसू बहा रही हूं।
मेजर एके सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आंतरिक खूफिया पूरी तरह से फेल हुई है। घटना से पहले वहां की मार्केट बंद हो जाती है। पुलवामा वाली घटना में भी ऐसा हुआ। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने कई गलत कदम उठाए, उसका खामियाजा यह घटना है। स्टैंडिंग ऑपरेटिंग पोजिशन नियम बदलना, बिल्डिंग की छतों पर सेना की जगह सिविल पुलिस का कदम भी उचित नहीं था, हालांकि केंद्र ने घटना के बाद इसे फिर से पुराने नियम बहाल कर दिए हैं। हमें आंतरिक खूफिया पर पूरी तरह से फोकस करना चाहिए।