दूरबीन विधि से पथरी के ऑपरेशन में चूक बढ़ा रही मुसीबत
कई मरीजों को गलत ऑपरेशन के कारण आ रही लीवर ट्रांसप्लांट तक की नौबत। टाइफाइड का ढंग से करें इलाज वरना हो सकता है पित्त की थैली का कैंसर।
लखनऊ, जेएनएन। पित्त की थैली में होने वाली पथरी का दूरबीन विधि से ऑपरेशन करवाते समय सावधानी बरतें। हमेशा कुशल सर्जन से ही ऑपरेशन करवाएं। क्योंकि ऑपरेशन में जरा सी चूक हुई तो पित्त की नली में चोट लग जाती है। इससे स्थिति गंभीर हो जाती है और लीवर ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ जाती है। यह जानकारी केजीएमयू के सर्जरी विभाग के डॉ. विशाल गुप्ता ने दी। वह सर्जरी विभाग के 107वें स्थापना दिवस समारोह पर आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर साल 25 मरीज ऐसे आ रहे हैं जो सर्जरी में हुई चूक के भुक्तभोगी होते हैं। गलत ऑपरेशन से पित्त की नली व खून की नसे कट जाती हैं।
नई दिल्ली के जीबी पंत हास्पिटल के डॉ. एचएच नाग ने बताया कि पित्त की थैली में पथरी को ज्यादा समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जागरूकता न होने के कारण लोग ऑपरेशन टालते रहते हैं। अगर पेट के दाहिनी ओर ऊपरी हिस्से में दर्द हो तो अल्ट्रासाउंड जरूर करवाएं। टाइफाइड हो तो उसका ढंग से इलाज करवाएं, क्योंकि इसके खतरनाक बैक्टीरिया आगे कैंसर का कारण बन सकते हैं।
कैमरा लगा कैप्सूल खाकर जाने क्यों हो रहा रक्तस्राव
संजय गांधी पीजीआइ के गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि बड़ी आंत से हो रहा रक्तस्राव मल द्वार के रास्ते बाहर निकलता है। आमतौर पर पखाना सख्त होने के कारण ऐसा होता है। इसे सीटी एंजियो और एंजियोग्राफी के माध्यम से बंद किया जाता है। कई बार ऐसा होता है कि छोटी आंत से खून रिसकर बड़ी आंत में आ जाता है। इसे पता लगाने के लिए कैप्सूल इंडोस्कोपी की जाती है। इसमें कैप्सूल जिस पर कैमरा, बैटरी व डायोड लगा होता है वह मरीज को खिलाया जाता है। उसके पेट के पास इमेज रिकार्डर लगा दिया जाता है। यह कैप्सूल आठ घंटे में करीब 50 हजार इमेज रिकॉर्ड करता है। इसके बाद यह पखाने के द्वारा बाहर निकल आता है। इसपर करीब 15 हजार रुपये खर्च होते हैं।
हार्निया से बचने को भोजन व पानी के बीच रखे आधे घंटे का गैप
केजीएमयू के सर्जरी विभाग के डॉ. अवनीश कुमार ने बताया कि खाना खाने व पानी पीने के बीच करीब आधे घंटे का गैप रखना चाहिए। जो लोग खाना खाने के बीच-बीच में पानी पीने पर खाने को पचाने वाला एसिड डायल्यूट हो जाता है। खाना न पचने से पेट की बीमारी व गैस की दिक्कत होने लगती है। इससे पेट की दीवार कमजोर हो जाती है। आंत नीचे उतरने लगती है और उलझ जाती है। इससे हार्निया होता है।
60 प्रतिशत लोगों को अत्यंत मोटापे के कारण टाइप टू शुगर
नई दिल्ली से आए बैरियाट्रिक सर्जन डॉ. मनीष बैजल ने बताया कि जिनका मॉस बाडी इंडेक्स (बीएमआइ) 35 या उससे अधिक है वह अत्यंत मोटापे से ग्रस्त होते हैं। यह बीमारी है। इसमें बैरियाट्रिक सर्जरी कर पेट को छोटा किया जाता है और छोटी आंत जो कि छह मीटर की होती है। उसे 2.5 मीटर उसकी बाईपास सर्जरी कर दी जाती है। ऐसे मरीज जो अत्यंत मोटापे के कारण पांच साल से कम अवधि में शुगर ग्रसित होते हैं उनमें 83 प्रतिशत की शुगर नियंत्रित हो जाती है।