आशियाना सामूहिक दुष्कर्म कांड में गौरव की जमानत याचिका खारिज
2005 को आशियाना इलाके में घरों में काम करने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की हुई थी वारदात।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहुचर्चित आशियाना सामूहिक दुष्कर्म मामले में जेल में सजा भुगत रहे गौरव शुक्ला को जमानत पर रिहा करने से इन्कार करते हुए गुरुवार को उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। शुक्ला को राजधानी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 18 अप्रैल 2016 को दोषी करार देते हुए दस साल की सजा सुनाई थी।
यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस मनीष माथुर की बेंच दिया है। फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर रखी है। अपील के विचाराधीन रहने के दौरान गौरव शुक्ला की ओर से जमानत पर रिहा किए जाने की अर्जी हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल की गई थी। गौरव शुक्ला की ओर से पेश जमानत अर्जी पर उसके वकील नागेंद्र मोहन का तर्क था कि मेडिकल साक्ष्य पीडि़ता के बयानों से मेल नहीं खा रहे और न ही बताए जा रहे चोटों की पुष्टि करते हैं। यह भी कहा गया कि इस मामले के अन्य सह अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है।
वहीं, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमएम पांडेय व अपर शासकीय अधिवक्ता नंदप्रभा शुक्ला ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त लंबे समय तक खुद को नाबालिग बताकर न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करता रहा था तथा यह भी दलील दी कि पीडि़ता का बयान अपीलार्थी गौरव के खिलाफ है। इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। तर्क दिया गया कि गौरव ने अपने साथियों के साथ मिलकर जिस प्रकार की क्रूरता पीडि़ता के साथ की थी, उसे देखते हुए, गौरव को जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं होगा। सरकार की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि विचारण कोर्ट ने गौरव को उसके अपराध की गंभीरता की तुलना में कम सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ सरकार की ओर से अपील दायर कर सजा बढ़ाने की मांग की गयी है।
इस मामले में कुल छह आरोपी थे। इनमें से तीन आरोपितों भारतेंदु मिश्र व अमन बक्शी को 10-10 साल व फैजान उर्फ फज्जू को उम्र कैद की सजा पहले ही सुना दी गई थी। जबकि, किशोर घोषित होने के बाद दो अपचारियों की मौत हो गई थी।
ये था मामला
दो मई, 2005 को आशियाना इलाके में घरों में काम करने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई। वह अपना काम निपटाकर अपने भाई के साथ वापस घर लौट रही थी तभी नागेश्वर मंदिर के पास एक कार आकर रुकी। उसमें से तीन लोग उतरकर आए और लड़की को उठा ले गए जबकि उसका भाई चिल्लाता रहा। घर आकर पीडि़ता के भाई ने इस बात की जानकारी अपने पिता को दी। इसके बाद मामला पुलिस के संज्ञान में आया। विवेचना में पीडि़ता के साथ सामुहिक दुष्कर्म की पुष्टि हुई। 10 मई, 2006 को सभी मुल्जिमों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।