एक युग का अंत : नहीं रहे वरिष्ठ कवि पंडित दूधनाथ शर्मा श्रीष
19 नवंबर 1919 को जौनपुर के महारेव ग्राम में जन्मे हिंदी अवधी के महान गीतकार दूधनाथ शर्मा को हिंदी संसथान से साहित्यभूषण से अलंकृत किया जा चुका है।
लखनऊ, जेएनएन। वरिष्ठ कवि पंडित दूधनाथ शर्मा श्रीष के निधन की बाद शहर के कवियों और साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई। पिछले 30 वषों से खदरा में आयोजित आदित्य द्विवेदी के शिवरात्रि कविसम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले दूधनाथ शर्मा हिंदी अवधी के महान गीतकार थे। 19 नवंबर 1919 को जौनपुर के महारेव ग्राम में जन्मे हिंदी संसथान से साहित्यभूषण से अलंकृत किया जा चुका है। जौनपुर में बुधवार को निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार उनकी अंतिम इच्छानुसार काशी के मणिकर्णिका घाट पर देर शाम कर दिया गया।
संत प्रवृत्ति के दूधनाथ शर्मा के निधन पर शहर के कवियों ने श्रद्धांजलि दी है। जिसमें डॉ सुरेश, मुकुल महान, प्रमोद द्विवेदी, चंद्रेश शेखर, नितीश तिवारी, क्षितिज कुमार सहित अनेक साहित्यकारों ने दुख प्रकट किया। गुरुवार को ऐशबाग रामलीला के तुलसी सभागार में शोक सभा की जाएगी।
उन्हें सुनने के बाद दंग रह गया : सर्वेश अस्थाना
1989 में मैंने एक कविसम्मेलन कराया किसी के कहने से उसमे श्रीष जी को भी आमंत्रित किया। वो जब आये तो मुङो लगा ये व्यक्ति भला क्या कविता करता होगा। तब तक उनका नाम भी नही सुना था ऊपर से एक मटमैली सी धोती उसपर कुर्ता और एक खद्दर की झूलती हुई सदरी तथा पसीने से भीग कर निचले भाग में काली पड़ चुकी टोपी देख कर मन उदास सा हो गया। जब काव्यपाठ के लिए श्रीष जी को आमंत्रित किया गया और उन्होंने माइक पर अत्यंत मीठे स्वर में गीत पढ़ने शुरू किये तो मुझे काटो तो खून नहीं..। श्रीष जी से बार बार सुना गया। आज भी अपने उस तात्कालिक उपजे भाव को को सोच कर लज्जित हो उठता हूं।
शहर के कवियों में शोक की लहर
ऐशबाग रामलीला समिति के आदित्य द्विवेदी कहते हैं कि मुझे वर्ष तो याद नहीं लेकिन काफी लंबा अरसा हो गया उनके साथ मिले हुए। मैंने अपने जीवन में कभी इतना सरल व्यक्ति नहीं देखा। मेरे मन में उनके प्रति बहुत श्रद्धा है। उनका जब भी मन करता मुङो संदेश भेज देते, और मैं उन्हें उनके गांव से लखनऊ ले आता। उनका लखनऊ से विशेष लगाव था। मेरे हर कवि सम्मेलन की अध्यक्षता दूधनाथ शर्मा ही करते थे।
कवि वाहिद अली वाहिद ने बताया कि कवि दूधनाथ शर्मा की कविताओं में गांव का परिवेश दिखाई देता है। उनके व्यक्तित्व और सरल स्वभाव काफी मशहूर था। उनका जाना हंिदूी साहित्य की अपूरणीय क्षति है। उनके लिए एक पंक्ति कहना चाहूंगा कलम कागज के सीने पे निशानी छोड़ जाती है, मोहब्बत की किताबों में कहानी छोड़ जाते हैं..।
कवि अभय सिंह ने कहा कि उनकी आवाज में वह जादू था कि जो भी सुनता उनका हो जाता। लगभग छह वर्षो से मैं उनके साथ हूं। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। तंगहाली में जीने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपना स्वाभिमान नहीं खोया। वह सरलता के प्रतिमूर्ति थे।