कृषि ही नहीं, व्यावसायिक शत्रु संपत्तियां भी होंगी नीलाम
तैयारी : शत्रु संपत्ति अभिकरण के संयुक्त सचिव ने अफसरों के साथ की बैठक। राज्य की ऐसी सभी संपत्तियों का मूल्यांकन और सर्वे के निर्देश।
लखनऊ, जेएनएन। मामूली किराया देकर दशकों से शुत्र संपत्तियों पर काबिज लोगों को जल्द ही कब्जा छोडऩा पड़ सकता है। सरकार कृषि योग्य ही नहीं, व्यावसायिक शत्रु संपत्तियों की भी नीलामी करने जा रही है। केंद्र सरकार के शत्रु संपत्ति अभिकरण के संयुक्त सचिव ने सूबे की सभी शत्रु संपत्तियों का मूल्यांकन और सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।
सोमवार को राजस्व परिषद में अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान संयुक्त सचिव एनके सिंह ने कहा कि देशभर में संपत्तियों का निस्तारण किया जा रहा है। यूपी में बड़ी संख्या में शत्रु संपत्तियां हैं। संयुक्त सचिव ने भी जिलों के अधिकारियों से संपत्तियों का उचित मूल्यांकन कर सर्वे रिपोर्ट मांगी है। सर्वे रिपोर्ट में संपत्तियों का पूरा ब्योरा फोटोग्राफ सहित देना होगा। जिन संपत्तियों पर मुकदमे चल रहे हैं, उनकी भी पूरी रिपोर्ट मांगी गई है ताकि नियमानुसार निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
लखनऊ में ही 272 संपत्तियां
राजधानी में सबसे अधिक शत्रु संपत्तियां हैं। इनमें से अधिकांश पर किरायेदार काबिज हैं, जो मामूली किराया दे रहे हैं। एडीएम प्रशासन श्रीप्रकाश गुप्ता के मुताबिक राजधानी में 262 संपत्तियों का मूल्यांकन और सर्वे कर लिया गया है। दस का शेष है। एडीएम का कहना है कि अधिकांश व्यावसायिक संपत्तियों में लेटीगेशन चल रहा है।
क्या है शुत्र संपत्ति
विभाजन के बाद जिन संपत्तियों को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया था, उनको शत्रु संपत्ति माना गया। शत्रु संपत्ति को अधिग्रहीत करने के बाद सरकार ने जरूरतमंदों को न्यूनतम दर पर किराये पर दिया था। बीते दिनों सरकार ने किराया दरों में संशोधन किया था।
लखनऊ में प्रमुख शत्रु संपत्तियां
बटलर पैलेस, लारी बिल्डिंग हजरतगंज, महमूदाबाद मेंशन हजरतगंज, लाल कोठी मौलवीगंज, अली वारसी बिल्डिंग, नसीम खां बिल्डिंग नरही, कनीज सईदा बेगम बिल्डिंग नरही, काकर वाली कोठी एमजी मार्ग हजरतगंज, मलका जमानिया इमामबाड़ा गोलागंज, सिद्दीकी बिल्डिंग, पीर जल, आलिया गोलागंज, शहजादी बेगम मकबरा और क'चा हाता अमीनाबाद।