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उत्तर प्रदेश में पीएम आवास योजना : किसी को छत तो किसी को इंतजार

पूर्ववर्ती सरकार से तुलना करें तो यह उपलब्धि निश्चित तौर पर पीठ थपथपाने काबिल है परंतु सभी गरीबों को छत उपलब्ध कराने की मुहिम में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 01:34 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 01:34 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में पीएम आवास योजना : किसी को छत तो किसी को इंतजार
उत्तर प्रदेश में पीएम आवास योजना : किसी को छत तो किसी को इंतजार

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में सर्वाधिक आवास निर्माण कराकर न केवल सबको चौंकाया है वरन विभिन्न श्रेणियों में एक दर्जन पुरस्कार भी झटके।

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प्रधानमंत्री आवास निर्माण के लिए लाभार्थी को 1.20 लाख रुपये की धनराशि मिलती है। मनरेगा से 175 रुपये प्रति दिवस के हिसाब से 90 दिन की मजदूरी भी देय है। यह धनराशि तीन किश्तों प्रथम 40 हजार, दूसरी 70 व तीसरी 10 हजार रुपये की होती है। एक कमरा, बरामदा व किचन निर्माण का प्रावधान है। शौचालय नहीं होने की स्थिति में 12 हजार रुपये अनुदान और मिलता है।

पूर्ववर्ती सरकार से तुलना करें तो यह उपलब्धि निश्चित तौर पर पीठ थपथपाने काबिल है परंतु सभी गरीबों को छत उपलब्ध कराने की मुहिम में अभी बहुत कुछ करना बाकी है। इस योजना में लाभार्थियों के चयन में मनमानी व भ्रष्टाचार के सवाल भी सिर उठाए खड़े हैैं। सरकारी दावे कुछ भी कहें लेकिन, प्रदेश के जिलों में अब भी गरीबों की ऐसी बड़ी संख्या है जिन्हें छत का इंतजार है और जिनके अरमानों पर ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों की जोड़ी ने पानी फेर रखा है। जागरण टीम ने कई ब्लाकों में जाकर दावों की हकीकत परखी।

सामने आ गई जिलों की हकीकत

राष्ट्रीय फलक पर चमके बिजनौर जिले के अफजलगढ़ (कासमपुरगढ़ी) ब्लाक में खुशी है तो गम भी। प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू करने में इस ब्लाक ने तत्परता दिखाई है। 76 ग्राम पंचायतों वाले ब्लाक में दो वर्षों में 30 आवास निर्माण का लक्ष्य समय से पूरा कर लिया गया। सरकारी रिकार्ड में अब इस ब्लाक में कोई पात्र गरीब नहीं है, परंतु दूसरा पहलू यह है कि वर्षा में दर्जनों मकान ध्वस्त हो गए और इन परिवारों के पास रहने को कोई आवास नहीं। ग्राम आसफाबाद चमन के निवासी ओमप्रकाश, अशोक, फूल सिंह और बिजेंद्र जैसे दर्जनों ग्रामीण सरकारी आवास मिलने की राह देख रहे हैं। ग्राम प्रधान सुधा देवी का कहना है कि पात्रों की सूची ब्लाक को दे दी गई परंतु नए सर्वे में नाम शामिल होने के बाद ही आवास मिलना संभव होगा। दरअसल, अभी तक जो आवास निर्माण कराए गए हैैं, उन परिवारों के नाम वर्ष 2012 में कराए बेसलाइन सर्वे मेंं शामिल थे।

राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले प्रदेश के अमरोहा जिले के ब्लाक जोया में 2016-17 और 2017-18 में प्रधानमंत्री आवास योजना में केवल नौ आवास ही बनाए गए परंतु ऑनलाइन फीडिंग शत-प्रतिशत पूर्ण करने पर जोया ब्लाक पुरस्कार का हकदार बन गया। निकटवर्ती ब्लाक धनौरा में 21 आवास गत दो साल में बनाए गए जबकि सच्चाई यह है कि अभी अनेक गरीब परिवार आवास को तरस रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में 32 आवास का लक्ष्य आया था लेकिन, अधिकारियों ने यह कह कर वापस भेज दिया कि जिले में अब कोई पात्र लाभार्थी नहीं रहा।

मुरादाबाद जिले में 2016-17 व 2017-18 में मिले आवासों का निर्माण अभी पूरा नहीं हो पाया है। 7784 आवासों का निर्माण कराया जाना था। लाभार्थियों को तीनों किस्तें भी जारी की जा चुकी हैं लेकिन, निर्माण कार्य अधूरा है। एकमात्र मुरादाबाद ब्लाक ही ऐसा है जिसमें शतप्रतिशत आवास निर्माण पूरा होने का दावा किया जा रहा है। संभल जिले में 4379 आवास निर्माण का लक्ष्य है, जिसके सापेक्ष 4109 लाभार्थियों को तृतीय किस्त दे दी गई है। रामपुर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में 2091 आवास बनाने का लक्ष्य है, इसमें से अधिकतर आवासों का निर्माण लगभग पूरा होने को है।

वाराणसी मंडल के चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर और जौनपुर के लिए 16696 आवास स्वीकृत हुए हैं। इनमें से अभी 7859 आवास का निर्माण आरंभ होने का दावा है। कुछ ऐसे मामले भी हैं कि जिन्हें योजना का लाभ मिला परंतु वह भूमिहीन हैं इसलिए आवास बनवा नहीं पा रहे हैं। बैंकखातों में रुपये मंगाने के लिए पात्रों को दफ्तरों के चक्कर लगाने की शिकायतें मिल रही है। विंध्य मंडल में कुल 9716 लाभार्थी आवास लेने के पात्र है। पात्रों की सूची तैयार करने में कई बार संशोधन होने से मामला खिंचता चला जाता है। आजमगढ़, बलिया व मऊ में करीब 18 हजार आवास का लक्ष्य है। काम पिछडऩे का एक कारण बहुतेरे लाभार्थी आवास में न खर्च कर किसी और मद में खर्च कर दे रहे हैं। यह गड़बड़ी वर्ष 2011 की जनगणना के कारण ज्यादा हुई है। मानक की अनदेखी करके खुद की जाति केलोगों को लाभ पहुंचाने के लिए अपात्रों का भी चयन कर लिया। लखीमपुर जिले के पलिया, निघासन, रमियाबेहड़, फूलबेहड़, बिजुआ, नकहा धौरहरा व ईसानगर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण की गति सुस्त है।

धांधली की शिकायतों का अम्बार

इस बड़ी योजना में धांधली की शिकायतें कम नहीं है। मनमाने ढंग से अपात्रों को लाभार्थी बनाकर अनुदान देने की जांच में पकड़े 7709 अपात्र परिवारों से 26 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम वसूली जाएगी। इस योजना में गड़बड़ी के आरोप में 1673 लोगों पर कार्रवाई की गई है।

बेहतर टीम वर्क से मिली उपलब्धि

ग्राम विकास राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि बेहतर टीम वर्क से प्रदेश को पहली बार यह उपलब्धि मिल सकी। योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद योजना को पटरी पर लाया गया और 12 माह का कार्य आठ माह में निपटा दिया गया। इसके लिए भारत सरकार से कई नियमों में शिथिलता भी ली गयी। जिन पात्र परिवारों को किन्हीं कारणों से प्रधानमंत्री आवास नहीं मिल सके हैं उनको नए सर्वे में शामिल कराकर आवास उपलब्ध करा दिया जाएगा। 'ग्राम संवाद एप' पर कोई भी व्यक्ति लाभार्थियों की सूची देख सकता है।

फैक्ट फाइल

सर्वाधिक अपात्र

गोंडा- 2032

-भाजपा सरकार के दावे के मुताबिक अभी तक 8.41 लाख आवासों का निर्माण पूर्ण हो चुका है जो किसी राज्य में सर्वाधिक है।

-शहरी क्षेत्रों में कुल 14.20 लाख प्रधानमंत्री आवास बनाए जाएंगे। अब तक कुल 9.17 लाख आवासों की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। 41315 आवास निर्मित हो चुके हैं। 


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