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यूपी को रणजी ट्राफी का खिताब दिलाने वाले मोहम्मद कैफ फूलपुर से चुनाव भी लड़े

इलाहाबाद के मोहम्मद कैफ ने क्रिकेट के हर प्रारूप में खुद को फिट करने के साथ ही उत्तर प्रदेश को रणजी ट्राफी में पहला खिताब भी अपनी कप्तानी में दिलाया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 06:13 PM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 07:39 AM (IST)
यूपी को रणजी ट्राफी का खिताब दिलाने वाले मोहम्मद कैफ फूलपुर से चुनाव भी लड़े
यूपी को रणजी ट्राफी का खिताब दिलाने वाले मोहम्मद कैफ फूलपुर से चुनाव भी लड़े

लखनऊ [धर्मेन्द्र पाण्डेय]। सोलह वर्ष पहले लंदन के लॉर्ड्स में नेटवेस्ट ट्राफी के खिताबी मुकाबले में 13 जुलाई शानदार पारी खेलने वाले मोहम्मद कैफ ने आज के ही दिन को सक्रिय क्रिकेट से संन्यास के लिए चुना। इलाहाबाद के मोहम्मद कैफ ने क्रिकेट के हर प्रारूप में खुद को फिट करने के साथ ही उत्तर प्रदेश को रणजी ट्राफी में पहला खिताब भी अपनी कप्तानी में दिलाया। इसके साथ ही उन्होंने सक्रिय राजनीतिक पारी भी खेली। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोहम्मद कैफ ने इलाहाबाद के फूलपुर से कांग्रेस से भाग्य आजमाया था।

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मोहम्मद कैफ ने भारतीय क्रिकेट को सब जूनियर स्तर से ही खिताब दिलाने का काम शुरू किया और टीम इंडिया में जगह बनाने में सफलता प्राप्त की। मोहम्मद कैफ ने इंग्लैंड में भारतीय अंडर-16 टीम को खिताब दिलाया था। इसके बाद अपनी सफलता को कायम रखा और 2000 के जूनियर विश्वकप में भारतीय टीम को खिताब दिलाने का गौरव प्राप्त किया।

इलाहाबाद के कीडगंज मोहल्ले से क्रिकेट का ककहरा सीखने वाले कैफ ने कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में अपने खेल को निखारा। पूर्व रणजी ट्राफी क्रिकेटर मोहम्मद तारीफ के पुत्र कैफ ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया। उनकी कप्तानी में उत्तर प्रदेश ने 2005-06 में लखनऊ में बंगाल को शिकस्त देकर पहली बार रणजी ट्राफी चैंपियन होने का गौरव प्राप्त किया। इसके बाद मोहम्मद कैफ के अलावा सुरेश रैना, आरपी सिंह, प्रवीन कुमार, पीयूष चावला तथा सुदीप त्यागी को देश की टीम से खेलने का मौका मिला।मोहम्मद कैफ विश्व कप 2003 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। उत्तर प्रदेश के साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ की रणजी ट्राफी टीम की कप्तानी भी की।

भारतीय क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ फील्डरों में शुमार रहे कैफ मध्यक्रम के ठोस बल्लेबाज थे। टीम इंडिया से बाहर होने के करीब 12 वर्ष बाद आज उन्होंने उस यादगार दिन को संन्यास की घोषण की, जिस दिन यानी 13 जुलाई 2012 को लंदन में हीरो बने थे। 37 वर्ष के कैफ ने 13 टेस्ट, 125 वनडे खेले थे। उन्हें लाडर्स पर 2002 में नेटवेस्ट ट्राफी फाइनल में 87 रन की मैच जिताने वाली पारी के लिए जाना जाता है। कैफ ने 13 टेस्ट में 32 की औसत से 2753 रन बनाए. वहीं 125 वनडे में उनका औसत 32 रहा। कैफ क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में दूसरी पारी शुरू कर चुके हैं। इस खिताब को जीतने के बाद कप्तान सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी में खड़े होकर अपनी टी-शर्ट हवा में लहराई थी।

नेटवेस्ट ट्रॉफी की खिताबी जीत के हीरो रहे कैफ

भारत ने 13 जुलाई 2002 को लॉर्ड्स में इंग्लैंड को दो विकेट से हराकर नेटवेस्ट ट्रॉफी खिताब पर कब्जा जमाया था। इंग्लैंड ने नासिर हुसैन (115) और मार्कस ट्रेस्कोथिक (109) के शतक की मदद पांच विकेट पर 325 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में भारत ने 146 रनों पर 5 विकेट गंवा दिए थे।

इसके बाद मोहम्मद कैफ (87) और युवराज सिंह के बीच छठे विकेट के लिए हुई 121 रनों की साझेदारी ने मैच में भारत का पलड़ा भारी किया। इसके बाद भारत ने तीन गेंद शेष रहते आठ विकेट खोकर लक्ष्य हासिल किया। इसके बाद गांगुली ने स्टेडियम की बालकनी में अपनी टी शर्ट निकालकर लहराई थी, यह दृश्य फैंस कभी भुल नहीं पाएंगे।

राजनीति में आजमाई किस्मत

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के नक्शकदम पर चलते हुए मोहम्मद कैफ ने भी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई। मोहम्मद कैफ को कांग्रेस ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के संसदीय क्षेत्र इलाहाबाद के फूलपुर से 2014 में लोकसभा का टिकट दिया।

कैफ का जोरदार चुनाव प्रचार करने वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ तमाम कांग्रेसियों ने किया। वह नरेंद्र मोदी की लहर में टिक नहीं सके। यहां से कैफ की मेहनत के बाद भी केशव प्रसाद मौर्या ने जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी के धर्मराज सिंह पटेल दूसरे, बसपा के कपिलमुनि करवरिया तीसरे तथा कांग्रेस के मोहम्मद कैफ चौथे स्थान पर रहे। इसके बाद भी कैफ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खेलना जारी रखा और उत्तर प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ रणजी टीम की कप्तानी की। 


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