यूपी में हिचकोले खाकर चल रही 181 महिला हेल्पलाइन बंद, कर्मचारियों को दिया एक माह का नोटिस
181 Women Helpline महिलाओं को किसी भी तरह की मुसीबत से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश में संचालित 181 महिला हेल्पलाइन बंद हो गई है।
लखनऊ, जेएनएन। महिलाओं को किसी भी तरह की मुसीबत से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश में संचालित 181 महिला हेल्पलाइन बंद हो गई है। पिछले एक साल से अधिक समय से हिचकोले खाकर चल रही इस सेवा का संचालन इस बार कंपनी ने बंद किया है। कंपनी ने महिला काउंसलरों को एक माह का नोटिस देते हुए हेल्पलाइन के सभी ऑपरेशन बंद कर दिए हैं। कंपनी ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि उसे सरकार से पिछले करीब सवा साल से भुगतान नहीं हो रहा है।
दरअसल, पूर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों से उन्हें बचाने के लिए छह सीटर 181 महिला हेल्पलाइन का कॉल सेंटर शुरू किया था। कॉल सेंटर की उपयोगिता देख योगी सरकार ने इस सेवा का विस्तार कर कॉल सेंटर को 30 सीटर कर दिया। साथ ही सभी 75 जिलों में रेस्क्यू वैन सेवा शुरू की थी। शुरुआत से कॉल सेंटर संचालन का जिम्मा 108 एवं 102 एंबुलेंस चलाने वाली जीवीके-ईएमआरआइ कंपनी को दिया गया। कॉल सेंटर में हर दिन 400 से 500 पीड़ित महिलाओं की कॉल आती थीं।
इस अच्छी खासी सेवा में अफसरों की ऐसी नजर लगाई कि आज यह हेल्पलाइन पूरी तरह बंद हो गई है। इसका कारण मार्च 2019 से सरकार ने कंपनी को भुगतान नहीं किया। इस कारण महिला कर्मचारियों को पिछले एक साल से वेतन नहीं मिला है। इसके बावजूद महिलाएं अपने संसाधनों से ऑफिस आकर कॉल सेंटर चला रही थीं। कंपनी ने सोमवार से 181 महिला कॉल सेंटर से लेकर जिलों में संचालित रेस्क्यू सेंटर के सभी ऑपरेशन बंद कर दिए हैं।
महिला कल्याण विभाग के अफसर पिछले छह माह से अधिक समय से कंपनी को जल्द भुगतान का वादा करते रहे लेकिन भुगतान नहीं हुआ। सचिवालय में फाइल इधर से उधर फुटबाल बनी हुई है। संचालन करने वाली कंपनी जीवीके-ईएमआरआइ ने इस बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है। वहीं, प्रमुख सचिव महिला कल्याण राधा एस चौहान ने हाल ही में विभाग का काम-काज संभाला है। उन्होंने कहा कि अभी उनके पास इसकी जानकारी नहीं है। जल्द ही इस मामले को हल करने की कोशिश करूंगी।
यह है मामला : 181 महिला हेल्पलाइन को लेकर शासन के अफसरों ने आपत्ति इस बात पर लगाई है कि छह सीटर से 30 सीटर कॉल सेंटर करने के लिए कैबिनेट से अनुमोदन नहीं लिया गया। साथ ही टेंडर करने के बजाय सीधे कंपनी को नामित कर दिया गया। छह सीटर कॉल सेंटर का पैसा केंद्र सरकार से आता है। 30 सीटर कॉल सेंटर करने पर 24 सीटर का पैसा प्रदेश सरकार को देना है। ऐसे में 24 सीटर कॉल सेंटर के संचालन का पैसा कैबिनेट मंजूरी के बाद ही दिया जा सकता है। महिला कल्याण विभाग कैबिनेट प्रस्ताव तैयार कर चुका है, लेकिन इसमें कभी वित्त विभाग तो कभी कोई दूसरा विभाग आपत्ति लगाकर फाइल इधर से उधर भेज रहा है।