उत्तर प्रदेश के 156 उद्योग अब पर्यावरण एनओसी से पूरी तरह मुक्त
प्रदेश में चमड़े के उत्पाद, बेकरी, मसाले, ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी फार्म, मोमबत्ती, अचार, माचिस, फ्लोर मिल सहित 156 उद्योग लगाना आसान हो गया है।
लखनऊ, शोभित श्रीवास्तव। प्रदेश में चमड़े के उत्पाद, बेकरी, मसाले, ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी फार्म, मोमबत्ती, अचार, माचिस, फ्लोर मिल सहित 156 उद्योग लगाना आसान हो गया है। प्रदेश सरकार ने इन उद्योगों को पर्यावरण की वाइट श्रेणी में डाल दिया है। इसका फायदा यह होगा कि इन उद्योगों को प्रदेश में स्थापित करने के लिए अब पर्यावरण एनओसी नहीं लेनी होगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन उद्योगों को चिह्नित कर इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
अभी तक प्रदेश में छोटे रेस्टोरेंट या फिर चाय व कॉफी बार खोलने के लिए भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जल व वायु प्रदूषण की एनओसी लेनी पड़ती थी। सबसे ज्यादा परेशानी आगरा संरक्षित क्षेत्र में आने वाले आगरा, मथुरा, फीरोजाबाद, एटा, कासगंज आदि जिलों में हो रही थी। यहां पर छोटे-मोटे उद्योगों के लिए भी पर्यावरण की एनओसी नहीं मिल रही थी। आगरा के आस-पास बहुत से कारोबारी फिनिश लेदर उद्योग लगाना चाहते हैं लेकिन, उन्हें पर्स, जैकेट, जूते आदि का कारखाना खोलने तक की इजाजत नहीं मिल रही थी।
इसी समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ऐसे उद्योग जो प्रदूषण नहीं फैलाते हैं, उन्हें वाइट श्रेणी में रखने के लिए कहा था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी 156 उद्योगों को वाइट श्रेणी में रख दिया है। इसके तहत अब छोटे रेस्टोरेंट, चाय व कॉफी बार जिसमें 36 लोगों तक बैठने की व्यवस्था हो, आसानी से खोला जा सकेगा। हस्तशिल्प उद्योग, एल्युमिनियम, स्टेनलेस स्टील व ब्रास की छोटी फैक्ट्रियां, तंबाकू पैकिंग, एल्युमिनियम व कॉपर के तार, फ्लोर पॉलिस, नेल पॉलिस, टूथ पाउडर-पेस्ट, हेयर ऑयल व शैंपू के साथ ही घरेलू सामान व किचन के सामानों की फैक्ट्री लगाने में अब वायु व जल प्रदूषण के लिए पर्यावरण की एनओसी नहीं लेनी होगी।
क्या है वाइट श्रेणी
उद्योगों में होने वाले प्रदूषण के लिहाज से उन्हें रेड, ऑरेंज, ग्रीन व वाइट श्रेणी में बांटा गया है। जिन उद्योगों का पर्यावरण इंडेक्स स्कोर 20 के अंदर है उन्हें वाइट श्रेणी में रखा गया है। इस श्रेणी को हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बनाया है। 21 से 40 इंडेक्स वाले उद्योग ग्रीन में, 41 से 59 इंडेक्स वाले उद्योग ऑरेंज में और 60 से ऊपर वाले उद्योग रेड श्रेणी में रखे गए हैं।
इन उद्योगों को भी नहीं लेनी होगी एनओसी
- -आइटी इंडस्ट्री (10 केएलडी से कम डिस्चार्ज वाली)
- -स्टील के बख्शे, ड्रम व शटर उद्योग
- -मोजेक पाइप, सीमेंट पाइप, स्पन पाइप
- -मोटर एवं पंप
- -वाद्य यंत्र निर्माण
- -कोल्हू या एक्सपेलर्स
- -ऑप्टिकल फ्रेम एवं ग्लासेस
- -कृषि एवं वन उत्पादों की पैकिंग
- -पेंट एवं वार्निश (मिक्सिंग एंड ब्लेंडिंग यूनिट)
- -आरसीसी ब्रिक्स
- -बीज प्रसंस्करण यूनिट
- -सेरीकल्चर यूनिट
- -खेल के सामान
- -छाता एवं रेनकोट निर्माण
- -बांस के उत्पाद
- -कंक्रीट के रेलवे स्लीपर
- -मिनिरल वाटर
- -मिल्क कलेक्शन सेंटर
- -गजक, रेवड़ी, चिक्की व नमकीन फैक्ट्री
- -वॉशिंग पाउडर (मैनुअल मिक्सिंग)
- -पेन, पेंसिल, रबर व कटर फैक्ट्री
- -पेपर नैपकीन, फेसियल टिश्यू नैपकीन, टायलेट पेपर
- -गुब्बारे, प्लास्टिक बोतलों के ढक्कन
- -प्रिंटिंग पे्रस
- -पीवीसी पाइट, केबिल फैक्ट्री आदि
सदस्य सचिव उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आशीष तिवारी ने कहा कि 156 उद्योगों को वाइट श्रेणी में रखने से अब इन्हें प्रदेश में स्थापित करना आसान हो गया है। इससे ताज संरक्षित क्षेत्र में सबसे ज्यादा लाभ होगा। क्योंकि वहां अभी किसी भी तरह के उद्योग को लगाने के लिए एनओसी नहीं मिल रही थी।