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इस हालत में कैसे घंटाघर देखेंगे पर्यटक

लखनऊ : पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रदेश सरकार ने अरबों रुपये खर्च कर हेरिटेज जोन को

By Edited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 09:07 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 09:07 PM (IST)
इस हालत में कैसे घंटाघर देखेंगे पर्यटक
इस हालत में कैसे घंटाघर देखेंगे पर्यटक

लखनऊ :

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पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रदेश सरकार ने अरबों रुपये खर्च कर हेरिटेज जोन को संवारने का काम किया, लेकिन फूलप्रूफ प्लानिंग न होने से कुछ माह बाद ही इसकी रंगत फिर फीकी पड़ने लगी है।

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट होने के बाद भी हुसैनाबाद हेरिटेज जोन की खूबसूरती बचाए रखने के लिए जिम्मेदारों ने कोई प्लानिंग नहीं की। अब फिर से पुरानी रंगत में लौट रहे हेरिटेज जोन से पर्यटकों को कैसे आकर्षित करेंगे, यह बड़ा सवाल है।

हेरिटेज जोन के उद्घाटन के कुछ महीने बाद ही ऐतिहासिक घंटाघर पार्क बदहाल होने लगा है। बाउंड्री न होने से पार्क में दिनभर क्रिकेट व पतंगबाजी होती है। पार्क में लाखों रुपये कीमत से लगाए गए गुलमोहर के पेड़ तार बंधी पतंग की डोर से कट जाते हैं। पार्क में तीन बार गोल्डन डूरंटा पौधा लगाने के बाद भी पनप नहीं सका। अब चौथी बार इन क्यारियों में बोगनवेलिया लगाने की प्लानिंग चल रही है। पाथ वे के पास बनी क्यारियां पान मसाले की पीक और कूड़े से भरी हुई हैं। यहीं नहीं पार्क में आवारा जानवरों का भी जमावड़ा लगा रहता है। घंटाघर के सामने टेंट की दुकान की दरियों को धूप दिखाई जा रही है। बदहाली की वजह से पार्क में बनाई गई सीटें भी बैठने के लायक नहीं बची हैं। पाथ वे पर लोग गाड़ियां व साइकिल चलाना सीख रहे हैं। पार्क में बने ओपन थियेटर का भी बुरा हाल है। लोग पलंग व कुर्सी डालकर धूप सेंक रहे हैं। यही हाल हुसैनाबाद बड़ा तालाब, शीश महल तालाब, पिक्चर गैलरी व गुलाब वाटिका का भी है।

अगर हुसैनाबाद हेरिटेज जोन की खूबसूरती बचाने के लिए अभी से ठोस प्लानिंग नहीं की गई तो हेरिटेज जोन फिर बदहाली की कगार पर लौट जाएगा।

कौन करेगा सुरक्षा

म्यूजियम व फूड कोर्ट सहित कुछ कार्यो को छोड़ दिया जाए तो हेरिटेज जोन के सुंदरीकरण का काम अंतिम पड़ाव में चल रहा है। इन अधूरे काम को पूरा करने के बाद कार्यदायी संस्था एलडीए हेरिटेज जोन को हुसैनाबाद ट्रस्ट के हवाले करके निकल जाएगी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पहले से ही बदहाली की मार झेल रहा हुसैनाबाद ट्रस्ट हेरिटेज जोन की सुरक्षा कैसे करेगा।

बिना बाउंड्री सब बेकार

पार्क के रखरखाव के लिए चारों ओर बाउंड्री बनाना जरूरी है। केवल गार्ड रुम बनाकर उनकी तैनाती करने से बात नहीं बनेगी। बाउंड्री बनाने से आवारा जानवर पार्क में नहीं आ सकेंगे। फुटपाथ और सतखंडा के सामने ग्रे नाइट के पिलर लगाए गए हैं। उनकी जगह सड़क के दोनों ओर नक्काशीदार पत्थर से बाउंड्री बनाई जा सकती है, जैसे रईस मंजिल और बड़े तालाब की बाउंड्री में लगाए गए हैं। इससे न गंदगी होगी न ही हरियाली को नुकसान पहुंचेगा। पास की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले भी पार्क में गंदगी नहीं कर सकेंगे। मनकामेश्वर घाट की तरह कुड़ियाघाट के पास अस्थाई शौचालय बनाकर गंदगी की समस्या को कम किया जा सकता है।

टोटियां और ताले हुए चोरी

पर्यटकों की सुविधा के लिए घंटाघर पार्क में महिला व पुरुष शौचालय बनाए गए हैं। रेट्रो लुक में बने इन शौचालयों पर लाखों रुपये खर्च किए गए हैं। शौचालय में लगी टोटियां तीन बार गायब हो चुकी हैं। इससे सुरक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है। चोरी पर लगाम लगाने के लिए शौचालय गेट पर चैनल लगवाया गया है, लेकिन चोर चैनल में लगा ताला भी उड़ा ले गए।

झुग्गी बनी टाट का पैबंद

हेरिटेज जोन के पास बनी झुग्गी-झोपड़ी मलमल पर टाट के पैबंद सरीखी है। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग दिनभर पार्क में डेरा डाले रहते हैं। इनके शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है। कई बार अवैध झुग्गी-झोपड़ी हटाने की कवायद शुरू हुई, लेकिन मामला फुस हो गया।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

हमारा काम केवल हुसैनाबाद हेरिटेज जोन को संवारने का हैं। सुरक्षा व रखरखाव का काम ट्रस्ट का ही है न कि एलडीए का। हम अपना काम पूरा करके इसे ट्रस्ट को सौंप देंगे। इसके बाद हेरिटेज जोन की सुरक्षा की जिम्मेदारी हुसैनाबाद ट्रस्ट की है।

- बीपी मौर्या, अधिशाषी अभियंता, एलडीए

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ट्रस्ट घंटाघर पार्क की बाउंड्री हटाने के पक्ष में नहीं था, लेकिन ओपन एरिया बनाने की वजह से बाउंड्री हटाई गई। अभी हेरिटेज जोन एलडीए ने ट्रस्ट को हैंडओवर नहीं किया है। ट्रस्ट के पास फंड नहीं है। हैंडओवर से पहले ही सुरक्षा के लिए 100 गार्ड रखने के लिए बजट का प्रस्ताव भी भेजा गया है।

- जय शंकर दुबे, एडीएम पश्चिम व सचिव हुसैनाबाद ट्रस्ट

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हुसैनाबाद हेरिटेज जोन के सुंदरीकरण के लिए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण से अनुमति नहीं ली गई है। हेरिटेज जोन में कराए गए कार्यो पर पुरातत्व विभाग की ओर से कई आपत्तियां भी दर्ज कराई गई हैं। सुंदरीकरण में मानकों की अनदेखी की गई है।

- एनके पाठक, अधीक्षण पुरातत्व विद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण


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