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लखनऊ में सार्वजनिक जगहों पर बने 152 धार्मिक स्थल, हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद नगर निगम ने तैयार की सूची

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को नगर निगम सीमा में ऐसे धार्मिक स्थलों के बारे में पता किया गया जो सार्वजनिक स्थलों पर बने हैं। ऐसे धार्मिक स्थलों की संख्या 152 पाई गई है। गुरुवार को नगर निगम ने सूची तैयार कर जिलाधिकारी को भेज दी है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 10:41 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 02:43 PM (IST)
लखनऊ में सार्वजनिक जगहों पर बने 152 धार्मिक स्थल, हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद नगर निगम ने तैयार की सूची
यह सूची उच्चतम न्यायालय से लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों पर की जा रही है।

लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को नगर निगम सीमा में ऐसे धार्मिक स्थलों के बारे में पता किया गया, जो सार्वजनिक स्थलों पर बने हैं। ऐसे धार्मिक स्थलों की संख्या 152 पाई गई है। गुरुवार को नगर निगम ने सूची तैयार कर जिलाधिकारी को भेज दी है। इसमें विभिन्न देवी देवताओं के मंदिरों के अलावा मस्जिद और मजार हैं। यह सूची उच्चतम न्यायालय से लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों पर की जा रही है। कोर्ट ने कुछ दिन पहले ही अधिकारियों से कार्रवाई की सूची मांगी थी। सार्वजनिक जगहों पर बने सबसे अधिक धार्मिक स्थल नगर निगम के जोन दो से जुड़े इलाके में हैं, जहां 45 की संख्या पाई गई है। यह इलाका ऐशबाग से लेकर बुलाकी अड्डा और राजाजीपुरम क्षेत्र से जुड़ा है। दूसरे नंबर पर आशियाना से लेकर रायबरेली रोड से जुड़े इलाके हैं, यहां ऐसे धार्मिक स्थलों की संख्या 28 पाई गई है। 

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किस जोन में कितने धार्मिक स्थल सार्वजनिक भूमि पर (नगर निगम जोन)

  • जोन एक      24
  • जोन दो        45
  • जोन तीन      नौ
  • जोन चार      14
  • जोन पांच       7
  • जोन -छह     12
  • जोन सात      13
  • जोन आठ      28 

पहले भी कोर्ट ने दिया था आदेशः वर्ष 2013 में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश देकर पूछा था कि सार्वजनिक जगहों पर कितने धार्मिक स्थलों का निर्माण कराया गया है। कोर्ट ने 29 सितंबर, 2009 के बाद सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक स्थलों को हटाने को कहा था। इससे पहले उच्च न्यायालय ने विशेष अनुज्ञा याचिका 2006, यूनियन ऑफ इंडिया बनाम गुजरात व अन्य पारित आदेश 29 सितंबर 2009, इलाहाबाद उच्च न्यायालय लवकुश व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश व अन्य पारित आदेश 2016 और वर्ष 2013 के अलावा पिछले दिनों अब्दुल कयूम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भारत संघ बनाम गुजरात मामले में सात दिसंबर 2009 को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को सार्वजनिक भूमि पर अवैध निर्माण हटाने की नीति बनाने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी सार्वजनिक स्थल पर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च का निर्माण नहीं हो सकता है। 

हाईकोर्ट के नए आदेश पर शासन ने मांगी थी रिपोर्टः सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक स्थलों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट हाईकोर्ट ने तलब की और अधिकारियों पर नाराजगी जताई तो शासन ने सभी जिलाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की थी। नगर निगम को अपनी सीमा में ऐसे धार्मिक स्थलों को चिंहित करना था। 

अब तक की कार्रवाईः पहली रिपोर्ट वर्ष 2013 से यह रिपोर्ट नगर निगम तैयार कर रहा है कि वैकल्पिक स्थल उपलब्ध होने पर जिला प्रशासन की कार्ययोजना के अनुसार आगामी माह में जिला प्रशासन और पुलिस के नेतृत्व शिफ्टिंग का कार्य कराए जाने में नगर निगम सहयोग करेगा। दूसरी रिपोर्ट जन सामान्य के अत्याधिक विरोध के कारण शिफ्टिंग का कार्य नहीं कराया जा सकता है। 

नगर निगम सीमा में सार्वजनिक जगहों पर 152 धार्मिक स्थलों को चिंहित किया गया है। रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी गई है। -महेश वर्मा, मुख्य अभियंता नगर निगम


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