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UP: पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के लिए उपयोगी कौशल भी सीखेंगे 11 हजार दिव्यांग बच्चे

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के विभिन्न जिलों में विशिष्ट आवश्यकता वाले (दिव्यांग) 11045 बच्चों को उनके घरों में स्पेशल एजुकेटर्स व फिजियोथेरेपिस्ट के माध्यम से शिक्षित करेगा। इस बारे में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 12:46 AM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 12:46 AM (IST)
UP: पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के लिए उपयोगी कौशल भी सीखेंगे 11 हजार दिव्यांग बच्चे
शारदा पोर्टल पर आउट ऑफ स्कूल दिव्यांग बच्चों की डाटा एंट्री की जाएगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के विभिन्न जिलों में विशिष्ट आवश्यकता वाले (दिव्यांग) 11,045 बच्चों को उनके घरों में स्पेशल एजुकेटर्स व फिजियोथेरेपिस्ट के माध्यम से शिक्षित करेगा। स्पेशल एजुकेटर व फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा मिशन प्रेरणा के तहत निर्धारित लर्निंग आउटकम्स तथा दिव्यांग बच्चों के लिए दैनिक जीवन के लिए उपयोगी कौशल को ध्यान में रखते हुए ऐसे बच्चों को शिक्षित-प्रशिक्षित किया जाएगा।

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राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा विजय किरन आनंद ने इस बारे में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके लिए शारदा पोर्टल पर आउट ऑफ स्कूल दिव्यांग बच्चों की डाटा एंट्री की जाएगी। इन बच्चों में से ऐसे बच्चों को होम बेस्ड एजुकेशन के लिए चिन्हित किया जाएगा जो गंभीर रूप से दिव्यांगता से प्रभावित होने के कारण स्कूल या एक्सीलरेटेड लर्निंग कैंप में नहीं जा सकते हैं।

इन बच्चों का नजदीकी प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्कूल में नामांकन कराया जाएगा और समर्थ तकनीकी प्रणाली में उनका डाटा दर्ज किया जाएगा। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से इनके स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग करायी जाएगी और मेडिकल एसेसमेंट कैंप या डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्ड से उन्हें दिव्यांगता प्रमाणपत्र दिलाया जाएगा।

शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए बच्चों को आवश्यक शिक्षण सामग्री, किताबें व सहायक उपकरण व यंत्र मुहैया कराये जाएंगे। बच्चों के दैनिक क्रियाकलाप पर अधिक फोकस किया जाएगा और वैयक्तिक शैक्षणिक योजना के आधार पर बच्चों के लर्निंग आउटकम का मूल्यांकन किया जाएगा।

दिव्यांगता के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा जनवरी में प्रत्येक जिले के तीन स्पेशल एजुकेटर व फिजियोथेरेपिस्ट को मास्टर ट्रेनर के रूप में दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। मास्टर ट्रेनर फरवरी में जिलों में इसका प्रशिक्षण देंगे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला समन्वयक (समेकित शिक्षा) और खंड शिक्षा अधिकारी को दिव्यांग बच्चों को घरों पर दिये जाने वाले शिक्षण-प्रशिक्षण की सघन निगरानी करनी होगी।


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