यूपी में 11.32 लाख पुराने Smart Meter को बदलकर लगेंगे नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर, धीमी गति ले मिलेगा छुटकारा
उत्तर प्रदेश में 11.32 लाख पुराने स्मार्ट मीटरों को नए स्मार्ट प्रीपेड मीटरों से बदला जाएगा। यह कदम मीटर की धीमी गति की समस्या को दूर करने के लिए उठाय ...और पढ़ें

11.32 लाख पुराने Smart Meter को बदलकर लगेंगे नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) द्वारा राज्य में लगाए गए 12.04 लाख स्मार्ट मीटर में से सक्रिय लगभग 11.32 लाख मीटर अब रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) की स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बदले जाएंगे। टू-जी तकनीक पर आधारित इन पुराने स्मार्ट मीटर के धीमी गति से चलने और अन्य दिक्कतों के कारण मीटरों को लगाने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा था।
पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने ईईएसएल द्वारा लगाए गए 12.04 लाख स्मार्ट मीटरों में से सक्रिय 11,32,506 मीटरों को आरडीएसएस से लगाए जा रहे नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर से मार्च 2027 तक बदलने का निर्णय लिया है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा है कि इस मामले में पावर कारपोरेशन को भारी आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़ रहा है। टू-जी नेटवर्क आधारित स्मार्ट मीटर का खामियाजा उपभोक्ता भुगत रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि ईईएसएल को इन मीटरों के लिए प्रति मीटर प्रति माह 101 रुपये पावर कॉरपोरेशन दे रहा है। 11,32,506 मीटर पर पावर कॉरपोरेशन द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 137 करोड़ का भुगतान किया गया।
सात वर्षों में यह राशि लगभग 959 करोड़ रुपये हो गई। अब इन सभी मीटर को नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बदला जाएगा। प्रीपेड स्मार्ट मीटर की वर्तमान दर 6016 रुपये प्रति मीटर के मुताबिक लागत जोड़ी जाए तो लगभग 681 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।
परिषद ने मांग की है कि ईईएसएल की विफल परियोजना में शामिल सभी अधिकारियों एवं अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने बताया है कि अगस्त 2020 में जन्माष्टमी के दिन पुराने स्मार्ट मीटरों में से 1.58 लाख मीटर अचानक बंद हो गए थे। जिसके बाद विद्युत नियामक आयोग ने भी इन मीटरों को उच्च तकनीकी (फोर-जी) में परिवर्तित करने का आदेश जारी किया था।
तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने परिषद के पक्ष को सही माना। राज्य सरकार ने इस घटना की एसटीएफ जांच भी कराई थी, लेकिन दोषियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
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