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उत्तर पश्चिम हिमालय में होने वाली मौसमी उठापटक पर 24 घंटे नजर, उत्तराखंड समेत चार राज्यों में लगेंगे 10 रडार

उत्तर पश्चिम हिमालय के उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर व लेह में होने वाली हर छोटी बड़ी मौसमी उठापटक का अब सटीक पता लग सकेगा। भारतीय मौसम विभाउत्तर पश्चिम हिमालय के उत्तराखंड समेत चार राज्यों में होने वाली हर छोटी बड़ी मौसमी उठापटक का अब सटीक पता लग सकेगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 06:11 AM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 06:11 AM (IST)
उत्तर पश्चिम हिमालय में होने वाली मौसमी उठापटक पर 24 घंटे नजर, उत्तराखंड समेत चार राज्यों में लगेंगे 10 रडार
उत्तर पश्चिम हिमालय के उत्तराखंड,समेत चार राज्यों में होने वाली छोटी बड़ी मौसमी उठापटक का अब सटीक पता लग सकेगा।

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। उत्तर पश्चिम हिमालय के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर व लेह में होने वाली हर छोटी बड़ी मौसमी उठापटक का अब सटीक पता लग सकेगा। भारतीय मौसम विभाग इन राज्यों में मौसम के पूर्वानुमान के लिए 10 रडार सिस्टम लगाने की तैयारी में है। मुक्तेश्वर में पहला रडार लगकर तैयार है जिसका आगामी 11 नवंबर को लोकार्पण किया जाएगा। मौसम विज्ञानियों के अनुसार पहाड़ों के दुर्गम स्थानों पर लगाए जा रहे रडार से अगले दो-तीन घंटे के भीतर होने वाले मौसम का सटीक अनुमान लगा कर घोषणा की जा सकेगी। इससे बादल फटने, लैंडस्लाइड होने जैसी घटनाओं से होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।

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भारतीय मौसम विभाग,दिल्ली के अतिरिक्त महानिदेशक आनंद शर्मा ने बताया कि पहाड़ों की टोपोग्राफी बेहद जटिल होती है ऊंचे पहाड़ और घाटियां। इसके चलते यहां बहुत जल्दी-जल्दी वेदर सिस्टम बनते हैं जो घंटे डेढ़ घंटे में ही खत्म हो जाते हैं। काले घने बादल, भारी बारिश , तेज हवाएं मौसम को अचानक बदल देती हैं जिससे बादल फटने लैंडस्लाइड होने जैसी घटनाओं से दो चार होना पड़ता है। हालांकि मौसम विभाग द्वारा कुछ स्थानों पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित किए गए हैं लेकिन वह तुरंत होने वाले बदलाव को रिपोर्ट नहीं कर पाते वही रडार 24 घंटे मौसम की जानकारी देता है जिससे हर दो-तीन घंटे में मौसम कैसा रहने वाला है इसका पूर्वानुमान कर अलर्ट जारी की जा सकती है यही वजह है कि विभाग उत्तर पश्चिमी हिमालय पर रडार सिस्टम स्थापित करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि रडार सिस्टम स्थापित करने के लिए जमीन समतल चाहिए होती है और ऐसा स्थान का चयन करना पड़ता है जहां पहाड़ या कोई अवरोध ना हो। रडार सिस्टम से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें पहाड़ से टकराकर वापस आ जाएंगी जिस से अनुमान लगाना मुश्किल होगा। वहीं रडार के लिए 24 घंटे विद्युत आपूर्ति पानी आदि जैसी सुविधाओं की भी जरूरत होती है।

बीते कई वर्षों से किए जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप नैनीताल के मुक्तेश्वर में एक रडार सिस्टम हाल में स्थापित किया गया है जिसका आगामी 11 नवंबर को लोकार्पण किया जाएगा। साल के अंत में कुफरी शिमला में भी रडार सिस्टम शुरू हो जाएगा विभाग जम्मू ले पहल गांव में भी रडार सिस्टम स्थापित कर रहा है प्रयास है कि उत्तर पश्चिम हिमालय के मौसम क कि ना केवल सटीक जानकारी मिल सके बल्कि लोगों को इस से अवगत कराया जा सके रडार सिस्टम से मिली जानकारी को वेबसाइट पर प्रसारित किया जाता है जिससे कोई भी अगले 2 से 3 घंटे के भीतर मौसम में क्या तब्दीली आने वाली है इसकी जानकारी हासिल कर सकता है। शर्मा ने बताया कि रडार सिस्टम 100 किलोमीटर के लगभग क्षेत्र की मौसमी हलचल को रिकॉर्ड करते हैं। यानी दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली मौसमी उठापटक अब अबूझ नहीं रहेगी।


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