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गैंग्स्टर में 4 अभियुक्तों को 4 वर्ष का कारावास

ललितपुर ब्यूरो : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (गैंग्स्टर) जगदीश कुमार ने जाखलौन क्षेत्र में संगठित

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 01:37 AM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 01:37 AM (IST)
गैंग्स्टर में 4 अभियुक्तों को 4 वर्ष का कारावास
गैंग्स्टर में 4 अभियुक्तों को 4 वर्ष का कारावास

ललितपुर ब्यूरो :

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अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (गैंग्स्टर) जगदीश कुमार ने जाखलौन क्षेत्र में संगठित गिरोह बनाकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले 4 अभियुक्तों को 4-4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनायी। साथ ही 20 हजार रुपया अर्थदण्ड भी लगाया। अर्थदण्ड अदा न करने पर अभियुक्तों को 3-3 माह की अतिरिक्त सजा भी भोगनी होगी। न्यायाधीश ने यह महत्वपूर्ण फैसला 11 वर्ष पुराने मामले में दिया।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता बादाम सिंह यादव ने बताया कि 11 वर्ष पूर्व 17 दिसम्बर 2007 को तत्कालीन जाखलौन थानाध्यक्ष रामऔतार वर्मा हमराह सिपाहियों के साथ ग्राम धौर्रा, कपासी, भारौन, माताखेड़ा आदि में भ्रमण करते हुए ग्राम जहाजपुर पहुँचे। यहाँ ग्रामीणों ने दबी जुबान से बताया कि ग्राम जहाजपुर के संतोष खंगार पुत्र बाबूलाल खंगार, भज्जाू, बलराम, पुत्रगण हुकुम सिंह, निवासीगण ग्राम अमऊखेड़ा, राजेश पुत्र गजराज सिंह यादव निवासी ग्राम देवगढ़ थाना जाखलौन संगठित गिरोह बनाकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते है। सन्तोष खंगार गैंग लीडर है, जो गाँव व आसपास के ग्रामीण इलाकों में सरकारी सम्पत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर पत्थर चोरी करना, खनन करना आदि कार्याे में लिप्त है। इनके भय व आतंक के चलते पत्थर की लीज लेने वाले व्यापारी खनन नहीं कर पाते है। भारी मात्रा में अवैध खनन कर यह गिरोह धन कमाता है। इनके भय और आतंक के चलते कोई भी व्यक्ति इनके खिलाफ गवाही देने का साहस नहीं कर पाता। थानाध्यक्ष ने जाखलौन पुलिस को तहरीर देकर पूरे मामले से अवगत कराया। इस पर पुलिस ने सन्तोष खंगार, भज्जाू, बलराम व राजेश यादव के खिलाफ धारा 2/3 गैंग्स्टर के तहत मामला दर्ज कर लिया। बाद में इन्हे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर न्यायालय में पेश की। तब से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था। इस समय सभी अभियुक्त जमानत पर थे। बुधवार को गवाहों के बयानों, साक्ष्यों व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता की दलीलों को न्याय संगत मानते हुए न्यायाधीश ने चारों अभियुक्तों को गिरोह बन्धी अधिनियम के तहत दोषी मानते हुए 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनायी। साथ ही 5-5 हजार रुपया अर्थदण्ड भी लगाया। अर्थदण्ड अदा न करने पर अभियुक्तों को 3-3 माह का अतिरिक्त कारावास भी भोगना होगा। सजा सुनाये जाने के बाद पुलिस ने चारों अभियुक्तों को अपनी अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया।


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