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माँगी पति की दीर्घायु की मनौती

ललितपुर ब्यूरो: हरतालिका तीज नगर में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया। घरों में तीज की आकर्षक झाँ

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 01:35 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 01:35 AM (IST)
माँगी पति की दीर्घायु की मनौती
माँगी पति की दीर्घायु की मनौती

ललितपुर ब्यूरो:

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हरतालिका तीज नगर में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया। घरों में तीज की आकर्षक झाँकी सजाई गई। रात भर महिलाओं द्वारा जागरण करके भजन गीत गाये। विवाहित महिलाओं ने जहाँ पति की दीर्घायु की मनौती माँगी, वहीं कुँवारी लड़कियों ने अच्छे वर की मनौती के लिए निर्जल व्रत की कठिन साधना की। हरतालिका तीज महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन केवल शादीशुदा औरतें अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत नहीं रखती हैं, बल्कि कुँवारी लड़कियाँ भी अच्छे वर और रिश्ते में प्रेम बढ़ाने के लिए यह व्रत रखती हैं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन इसे मनाया जाता है। इस दिन गौरी-शकर की पूजा की जाती है। इस व्रत को पार्वती माता ने भगवान शकर को पति के रूप में पाने के लिए जंगल में कठोर व्रत किया था। व्रत रखने वाली महिलाओं और लड़कियों को निर्जला व्रत रहना पड़ता है। इस व्रत में रात भर पूजन किया जाता है। इस पूजन में भगवान शकर व माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर बनाई जाती है। रिद्धि-सिद्धि के साथ गणेश, पार्वती व पार्वती माता की सहेलियों की भी प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद पूजन किया जाता है। पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती हैं। दूसरे दिन यह व्रत खुलता है और महिलाएं अन्न ग्रहण करती हैं। शिव परिवार की कच्ची मूर्ति बनाकर उसका विसर्जन करके ही व्रत संपन्न होता है। पति की लम्बी उम्र और सुरक्षा के लिए महिलाएं ये व्रत रखती हैं।

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निर्जल व्रत रखकर माँगा आशीर्वाद

जाखलौन (ललितपुर) : कस्बा सहित उससे लगने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में हरितालिका तीज का त्यौहार भक्तिभाव एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया। कस्बे के कई घरों में छोटे-छोटे पंडाल सजाये गये थे। जिनमे भगवान शिव पार्वती गणेश एवं कार्तिकेय के साथ नंदी व अन्य देवी देवताओं को पण्डाल में विराजमान कर उनकी पूजा-अर्चना की गयी। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए इस व्रत को निर्जन वन में किया था। भगवान शिव ने माता की तपस्या से प्रसन्न होकर माता पार्वती को पत्‍‌नी रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। तभी से इस कठोर व्रत को महिलाओं के साथ अविवाहित लड़किया भी भगवान शिव मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं। भगवान शिव को प्रसन्न रखने के साथ रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन एवं नृत्य करती है रात्रि में शाम को पहला भोग लगाकर कथा का श्रवण करती है। रात्रि जागरण के साथ सुबह 4 बजे भगवान होम पूजन एवं आरती के साथ इस कठोर व्रत का समापन होता है।


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