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तालबेहट रेज : अवैध खनन रोकने में वन विभाग नाकाम

ललितपुर ब्यूरो : वन विभाग के आला अफसरों के तमाम प्रयासों के बावजूद तालबेहट रेज के जंगल में अवैध खन

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 01:11 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 01:11 AM (IST)
तालबेहट रेज : अवैध खनन रोकने में वन विभाग नाकाम
तालबेहट रेज : अवैध खनन रोकने में वन विभाग नाकाम

ललितपुर ब्यूरो :

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वन विभाग के आला अफसरों के तमाम प्रयासों के बावजूद तालबेहट रेज के जंगल में अवैध खनन थामे नहीं थम रहा है। सक्रिय माफिया दिन के उजाले में ही नहीं रात के अंधेरे में भी जेसीबी की मदद से बालू और मिट्टी का खनन कर रहे है। ताबड़तोड़ खनन से बहुमूल्य वन सम्पदा लुटती चली जा रही है। इससे न केवल हरे भरे पेड़ों, बल्कि जंगली जानवरों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है।

जनपद के जंगल में तालबेहट रेज क्षेत्र के जंगलों का भी अपना अलग महत्व है। खनिज सम्पदा की दृष्टि से तालबेहट रेज बेहद महत्वपूर्ण है। यहाँ की नदियों, नालों व वन क्षेत्रों में बालू और मोरग की सैकड़ों खदानें है। वर्षाे से जंगल क्षेत्र में अवैध खनन का काला कारोबार संचालित किया जा रहा है। सक्रिय माफिया धड़ल्ले से व बेखौफ होकर तालबेहट रेज क्षेत्र के सरखड़ी, सुनौरी, खदरी, पवा, पिपरई, नत्थीखेड़ा, पूराबिरधा, आदि क्षेत्रों में खनन कर रहे है। यही नहीं जंगल के अन्य इलाकों में भी बेखौफ होकर खनन किया जा रहा है, जिससे तालबेहट क्षेत्र के हरे भरे जंगल खत्म होते जा रहे है। जंगल के साथ-साथ हरी भरी पहाड़िया भी माफिया के निशाने पर है। यहा दिन के उजाले में नहीं रात के अंधेरे में भी जेसीबी के माध्यम से खनन किया जा रहा है। अवैध खनन के इस काले कारोबार के चलते विशालकाय पहाड़िया, टौरियाँ खत्म होती जा रही है। खासतौर से पवा व सुनौरी क्षेत्र की पहाड़िया दिन रात खोदी जा रही है। अवैध खनन इस कदर चल रहा है कि वन क्षेत्र में घुसकर नदी व नालों में बालू खोदी जा रही है। बाद में इस बालू को रातों-रात खपाया जा रहा है। खनन के साथ-साथ रेज में कटान भी जोरों पर है। सक्रिय माफिया शीशम, सागौन, महुआ, आम, आदि के वेशकीमती पेड़ काटकर उन्हे अन्यत्र ले जा रहे है। लम्बे समय से चल रहे इस कारोबार के कारण तालबेहट रेज की बहुमूल्य वन सम्पदा खत्म होती जा रही है। यदि जल्द ही वन विभाग द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये, तो आने वाले समय में यहा के हरे भरे जंगल इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह जायेंगे। अवैध खनन व कटान के कारण वन्य जीवों के अस्तित्व पर भी खतरा मण्डराने लगा है। बता दें कि बीते साल नवम्बर माह से तालबेहट रेज में किसी रेंजर की तैनाती नहीं की गयी। ललितपुर रेजर जीपी शुक्ला ही यहा का अतिरिक्त कार्यभार जैसे तैसे सम्भाल रहे हैं।

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बॉक्स में

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तगड़ा है माफिया का नेटवर्क

माफिया का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि वन विभाग की टीमें इसे भेद नहीं पा रही है। आलम यह है कि जिन मार्गाे से अवैध खनन से लदे डम्पर व ट्रैक्टर ट्रॉली गुजरती है, वहाँ पहले से ही उनके खास आदमी तैनात रहते है, जो वन विभाग के मूवमेण्ट पर नजर रखते है। यही वजह है कि ऐसे वाहन पकड़ में नहीं आ पाते।

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बड़े पैमाने पर डम्प होती है बालू

इस कारोबार से जुड़े लोग जंगल के ही 1 क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बालू का भण्डारण कर लेते है। यहाँ डम्पर व ट्रैक्टर ट्रॉली़जं से बालू एकत्रित की जाती है। जहाँ से धीरे-धीरे कर बालू को निकाला जाता है। यह सब इतने गोपनीय ढंग से होता है कि किसी को भनक नहीं लगती।

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दबंगों के आगे असहाय वनकर्मी

माफिया की दबंगई के आगे निहत्थे वनकर्मी असहाय नजर आते है। स्टाफ व संसाधनों की कमी झेल रही तालबेहट रेज में वनकर्मियों के पास अस्लिहा भी नहीं है, जिसका फायदा माफिया खूब उठाते है और मनमानी करते है। कई बार आमना-सामना होने पर वनकर्मियों को ही लेने के देने पड़ जाते है। कई मामलों में मुकदमा भी दर्ज कराया गया। लेकिन अवैध खनन थामे नहीं थम रहा है।

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कार्यवाही भी खूब हुई

तालबेहट रेज के वनकर्मियों के साथ-साथ उड़नदस्ता टीम ने खनन माफिया के खिलाफ कार्यवाहिया भी खूब हुई। हजारों रुपया जुर्माना भी वसूला गया। मुकदमा भी दर्ज हुए, इसके बावजूद अवैध खनन का कारोबार थम नहीं रहा है।


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